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श्रम कानूनों में संशोधन को लेकर नाहन में ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन, PM मोदी को भेजा ज्ञापन

ट्रेड यूनियनों ने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर भेजे ज्ञापन में प्रधानमंत्री से इस दिशा में उचित कदम उठाने के साथ सभी मजदूर विरोधी संशोधनों को अविलंब रद्द करने की मांग की है.

Trade unions protest against central government in nahan
नाहन में ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन
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Published : Jul 3, 2020, 6:29 PM IST

नाहन: जिला मुख्यालय में शुक्रवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों के खिलाफ व मजदूरों के वेतन का भुगतान न होने के मामले में डीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद डीसी सिरमौर के माध्यम से 7 मांगों को लेकर एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा उचित कदम उठाने की मांग की गई.

ज्ञापन में बीजेपी शासित राज्यों में श्रम कानूनों में किए गए एवं प्रस्तावित मजदूर विरोधी संशोधनों को तुरंत वापस लेने, ठेका कर्मियों की भारी संख्या को श्रम कानून के दायरे से बाहर रखने सहित कई मांगे उठाई गई है. यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने ईपीएफ हिस्सेदारी को 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की घोषणा की है. जोकि यह कदम मजदूर विरोधी है.

वीडियो रिपोर्ट.

ट्रेड यूनियनों ने इस दिशा में सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की है. इस मौके पर सीटू राज्य कमेटी के सचिव राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते जहां केंद्र सरकार को मजदूरों को राहत देने काम करना चाहिए था. वहीं, सरकार ने इस महामारी का फायदा उठाकर श्रम कानूनों को खत्म करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि मांगों को सरकार पूरा नहीं करती तो इसके खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा.

इस दौरान ट्रेड यूनियनों ने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर भेजे ज्ञापन में प्रधानमंत्री से इस दिशा में उचित कदम उठाने के साथ सभी मजदूर विरोधी संशोधनों को अविलंब रद्द करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें : HRD मंत्री से मिले अनुराग, NIT हमीरपुर पर लगे कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की रखी मांग

नाहन: जिला मुख्यालय में शुक्रवार को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों के खिलाफ व मजदूरों के वेतन का भुगतान न होने के मामले में डीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके बाद डीसी सिरमौर के माध्यम से 7 मांगों को लेकर एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा उचित कदम उठाने की मांग की गई.

ज्ञापन में बीजेपी शासित राज्यों में श्रम कानूनों में किए गए एवं प्रस्तावित मजदूर विरोधी संशोधनों को तुरंत वापस लेने, ठेका कर्मियों की भारी संख्या को श्रम कानून के दायरे से बाहर रखने सहित कई मांगे उठाई गई है. यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार ने ईपीएफ हिस्सेदारी को 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की घोषणा की है. जोकि यह कदम मजदूर विरोधी है.

वीडियो रिपोर्ट.

ट्रेड यूनियनों ने इस दिशा में सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की है. इस मौके पर सीटू राज्य कमेटी के सचिव राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते जहां केंद्र सरकार को मजदूरों को राहत देने काम करना चाहिए था. वहीं, सरकार ने इस महामारी का फायदा उठाकर श्रम कानूनों को खत्म करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि मांगों को सरकार पूरा नहीं करती तो इसके खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा.

इस दौरान ट्रेड यूनियनों ने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर भेजे ज्ञापन में प्रधानमंत्री से इस दिशा में उचित कदम उठाने के साथ सभी मजदूर विरोधी संशोधनों को अविलंब रद्द करने की मांग की है.

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