शिमला: देश और दुनिया में नए साल 2022 (New Year 2022) के स्वागत की और 2021 को अलविदा कहने (GoodBye 2021) की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं, लेकिन हिमाचल के इतिहास में ये साल कुछ कड़वी यादों को देकर जा रहा है. इस साल पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई बार कुदरत का कहर देखने को मिला. इसी साल किन्नौर के बटसेरी में चट्टानें खिसकने से जहां 9 पर्यटक काल के गाल में समा गए थे. वहीं, बारिश और बाढ़ ने भी काफी तबाही मचाई. कुल्लू के मझाण गांव में भी 15 मकान जलकर खाक हो गए थे. वहीं, हिमाचल में इस साल 50 से अधिक छोटे-बड़े भूकंप के झटके आए. इसके साथ ही कई और घटनाएं इस साल घटित हुईं. इससे पहले कि हम 2021 को अलविदा कहें, आइए एक नजर डालते हैं, उन बड़ी घटनाओं पर जिसे प्रदेश की जनता कभी नहीं भूल पाएगी.
किन्नौर के बटसेरी में चट्टानें खिसकने से 9 पर्यटकों की हुई थी मौत: हिमाचल में इस साल कई बार कुदरत का कहर देखने को मिला. जुलाई महीने में किन्नौर के बटसेरी में एक दर्दनाक घटना पेश आई थी, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई थी. दरअसल कुछ पर्यटक टेंपो ट्रेवलर वाहन में छितकुल से सांगला जा रहे थे. इस दौरान बटसेरी के पास पहाड़ी से (landslide at Batseri of kinnaur) भारी-भरकम पत्थर व मलबा गिरने लगा.
पहाड़ी से पत्थर गिरता देख वाहन चालक ने भी बचाव के लिए वाहन को पीछे हटाना शुरू किया, लेकिन पर्यटकों का टेंपो ट्रेवलर मलबे की चपेट में आ गया. जिसके चलते 9 पर्यटकों की (Tourist died in landslide in kinnaur) मौत हो गई थी. इस हादसे में राजस्थान के 4, छत्तीसगढ़ के 2, दिल्ली के 2 और महाराष्ट्र का 1 पर्यटक शामिल था. इस हादसे में कई लोग जख्मी भी हुए थे. इसके अलावा हादसे में बटसेरी गांव को जोड़ने वाला ब्रिज भी टूट गया था. जबकि एक बड़े वाहन को नुकसान पहुंचा था.
धर्मशाला में बाढ़ ने मचाई थी तबाही: धर्मशाला में इस साल जुलाई में बाढ़ ने खूब तबाही मचाई थी. जबकि कांगड़ा जिले के अन्य क्षेत्रों में भई भारी नुकसान हुआ था. भागसूनाग में बदल फटने से कई गाड़ियां पानी के साथ बह गईं थी. वहीं, जिले की मांझी खड्ड में आए उफान से भी भारी नुकसान हुआ था. इसके अलावा धर्मशाला (Flash Flood in Dharamshala) को जाने वाले मार्ग में चैतड़ू से ऊपर तीन मंजिला दो मकान भी बाढ़ की चपेट में आकर बह गए था.
इसी तरह शिला चौक के पास भी एक (Cloudburst in Dharamshala) भवन खड्ड में बह गया था. भागसूनाग में मंदिर मार्ग पर स्थित पार्किंग की चार कारें और कई दोपहिया वाहन भी इस बाढ़ में बह गए थे. कांगड़ा जिले में हुई उस बारिश ने काफी तबाही मचाई थी और कई लोग बेघर भी हो गए थे. इस पूरी घटना में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि करोड़ों की संपत्ति भी ध्वस्त हो गई थी. इस तबाही का अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम भी आई थी.
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हिमाचल ने इस साल झेले 50 से अधिक भूकंप झटके: हिमाचल प्रदेश भूकंप (Earthquake in Himachal Pradesh) के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन (sensitive zone) में आता है. वर्ष 1905 में आए विनाशकारी भूकंप की भयावह यादें अभी भी लोगों में दहशत पैदा कर देती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश (Hill State Himachal Pradesh) के लोग अक्सर भूकंप के डर से सहमे रहते हैं.
भूकंप (Earthquake in mandi) की दृष्टि से संवेदनशील पांचवें जोन में पड़ने वाले हिमाचल में इस साल 50 से अधिक छोटे-बड़े भूकंप आ चुके हैं. इसी साल एक हफ्ते में चार बार भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. खासकर मंडी और चंबा जिले में सबसे ज्यादा भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. पहाड़ी राज्य होने के कारण बड़ा भूकंप हिमाचल के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और सतर्कता (Awareness and Vigilance) से भूकंप के दौरान नुकसान (damage during earthquake) को न्यूनतम किया जा सकता है.
हिमाचल में बरसात से 800 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति का हुआ नुकसान: हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष बरसात के चलते करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ. एक रिपोर्ट के मुताबिक बरसात के दौरान 800 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का नुकसान. जबकि बरसात के चलते 31 व्यक्तियों की मौत भी हुई है और 633 मवेशियों के बहने के साथ-साथ घरों (People died during monsoon in Himachal) को भी व्यापक नुकसान पहुंचा. वहीं, सड़कों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कुल 412 करोड़ का नुकसान आंका गया है. इस वर्ष बारिश के दौरान 16 अगस्त तक 336 सड़कें बंद हुईं थी. इसके अलावा 1953 ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं या तो पूर्ण रूप से या फिर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी.
लाहौल स्पीति में इस साल बरसात ने ली 44 लोगों की जान: हिमाचल के सबसे छोटे जिला लाहौल स्पीति में भी इस बार बरसात ने अपना खूब कहर बरपाया. बारसात के चलते लाहौल स्पीति में इस साल 44 लोगों की जान गई. वहीं, जुलाई महिने में लाहौल-स्पीति में (People died in lahaul spiti) बादल भी फटा था, जिससे करोड़ों रुपय की संपत्ति को नुकसान हुआ था. बादल फटने के चलते कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि कई लोग लापता हो गए थे. वहीं, बरसात के दौरान झालमा पुल भी भारी बारिश के बाद टूट गया था, जिस वजह से स्थानीय लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा था.
कुल्लू के मझाण गांव में आग ने किया था तांडव, 15 मकान जलकर हो गए थे खाक: यूं तो इस साल बरसात के चलते प्रदेश भर में काफी नुकसान हुआ, लेकिन आग ने भी इस साल कई जगह खूब तांडव मचाया. दिसंबर माह में कुल्लू जिले के मझाण गांव की सैंज घाटी की गाड़ा पारली (Fire incident in majhan village Kullu) पंचायत के मझाण गांव में भीषण अग्निकांड में पूरा गांव जलकर राख हो गया था. गांव दो मंदिर सहित 27 मकान जलकर खाक हो गए थे. इसके अलावा अग्निकांड में 26 गोशालाएं भी जलकर राख हो गए थी. इस अग्निकांड के कारण कुल 9 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. बता दें कि करोड़ों रुपए के ये सभी घर काष्ठकुणी (लकड़ी) शैली से बनाए गए थे. वहीं, तन पर पहने कपड़ों के सिवाय लोगों के पास कुछ भी नहीं बचा था. इस हादसे को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर संवेदना व्यक्त की थी.
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शिमला के चौपाल में हुआ था भीषण अग्निकांड: शिमला जिले के चौपल में भी इस साल एक भीषण अग्निकांड हुआ था. दिसंबर माह में नगर पंचायत चौपाल के वार्ड नंबर चार में मदन गोपाल शर्मा, पुत्र जस्सा राम का लकड़ी से बना तीन मंजिला मकान (Fire incident in chopal of shimla) जलकर राख हो गया था. मकान के सभी 30 कमरे, रसोई घर और बाथरूम आग की भेंट चढ़ गए थे. इसके साथ ही मकान में रह रहे करीब 20 किराएदारों का सामान भी राख हो गया था. देवदार की लकड़ी का ये मकान 70 के दशक में (Fire incident in shimla) बना था. अग्निकांड के चलते एक करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था. इसके अलावा शिमला के ठियोग में भी दो मकान जलकर राख हो गए थे.
भरमौर में चट्टान खिसकने से बच्ची की हुई थी दर्दनाक मौत: हिमाचल के जनजातीय क्षेत्र भरमौर में इस एक दर्दनाक हादसा पेश आया था, जहां मलबे में दबने से एक बच्ची की मौत हो गई थी. दरअसल भरमौर उपमंडल के होली सब तहसील के ग्राम पंचायत उलांसा के गांव ओपन में भारी चट्टानें खिसकने के कारण एक 4 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई थी. बच्ची (Girl died in Bharmour of Himachal) अपने ननिहाल में आई हुई थी और उसी दौरान ये हादसा पेश आया. बच्ची ग्राम निवासी साडू तहसील भरमौर की रहने वाली थी. यह हादसा इसी साल जून महीने में पेश आया था.
शिमला के कच्ची घाटी में ढह गई थी बहुमंजिला इमारत: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कच्ची घाटी में इसी साल एक बहुमंजिला इमारत ढह गई थी. एक अक्टूबर को यह हादसा पेश आया था, जहां चंद सेकेंड में बहुमंजिला ईमारत गिर गयी थी. वहीं, हादसे के बाद इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था. हालांकि (Building collapse in Kachi Ghati shimla) इस घटना में किसी भी तरह का जानी नुकसान नहीं हुआ था. क्योंकि गिरने से पहले ही प्रशासन ने इसे खाली करवा (Shimla municipal corporation) दिया था. इमारत के ढहने से आसपास बनी इमारतों को भी नुकसान पहुंचा था. इस घटना के बाद नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल उठे थे. वहीं, सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए एक कमेटी का गठन भी किया था.
इस साल बरसात ने दिए गहरे जख्म, 1500 से अधिक मकान ध्वस्त: हिमाचल प्रदेश में इस साल बारिश लोगों पर आफत बनकर बरसी. बारिश के चलते जहां करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. वहीं, इस साल 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. बता दें कि राज्य में पिछले पांच सालों के दौरान मानसून की बौछारें करोड़ों रुपए (People died during monsoon in Himachal) का नुकसान कर चुकी है. इस तबाही का मंजर इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल बारसात में प्रदेश में डेढ़ हजार से अधिक मकान घ्वस्त हो गए.
प्रदेश में साल 2017 के दौरान मानसून सीजन में 75 लोगों की मौत हुई थी. 2018 में 343 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. वहीं, साल 2019 के दौरान भी मानूसन ने जमकर कहर बरपाया था. 2019 में राज्य के विभिन्न स्थानों पर आई आपदा सहित सड़क दुर्घटनाओं में 307 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 2020 में 284 लोगों की मौतें हुई थी. वहीं, इस साल बरसात के दौरान 200 से ज्याद लोगों ने अपनी जान गंवाई.
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