शिमला: हिमाचल की सियासत में इन दिनों नेताओं के एक दूसरे पर किए जा रहे तंज सुर्खियों में हैं. विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज पर हाल ही में एक टिप्पणी की (vikramaditya singh Comment on Suresh bhardwaj) थी. उस पर प्रतिक्रिया देते हुए शहरी विकास मंत्री ने कहा कि वे विक्रमादित्य सिंह के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. भारद्वाज ने कहा कि वे विक्रमादित्य सिंह को केवल शुभकामनाएं देते हैं.
इसके साथ ही उन्होंने विक्रमादित्य सिंह को अपने पिता के नाम पर राजनीति न करने की नसीहत भी दी. वहीं, सड़कों से बर्फ हटाने में असफल रहने वाले बयान पर सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यदि सड़कें बहाल न होती, तो विक्रमादित्य अपने आवास हॉली लॉज से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए रिज मैदान स्थित रेस्तरां में नहीं आ पाते. बता दें कि हॉली लॉज से रिज मैदान तक का रास्ता उतराई वाला है और बर्फबारी के दौरान यह रास्त (Snowfall in shimla) फिसलन भरा हो जाता है.
यही नहीं सुरेश भारद्वाज ने यह भी कहा कि जिस समय पूर्व में कांग्रेस की सरकार थी, शिमला में हिमपात के कारण 11 दिन तक बिजली नहीं आई थी. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Suresh bhardwaj on virbhadra singh) जब रोहड़ू से विधायक थे, तो उनके क्षेत्र में ही बर्फबारी से हालात काफी दिक्कत भरे हो जाते थे. एक बार बिजली जाने पर दोबारा कब आएगी, यह लोगों को पता नहीं होता था. सुरेश भारद्वाज ने विक्रमादित्य सिंह को स्नो मैनुअल का अध्ययन करने की सलाह भी दी.
बता दें कि विक्रमादित्य सिंह ने सुरेश भारद्वाज को राजनीति से रिटायरमेंट की सलाह दी थी. उन्होंने जयराम सरकार पर में कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज पर तंज कसा था कि राजनीति अब सुरेश भारद्वाज के बस की नहीं रही, उन्हें अब रिटायरमेंट लेकर पेंशन का मजा लेना चाहिए. उन्होंने कहा था कि प्रदेश में भारी बर्फबारी को लेकर मौसम विभाग ने पहले ही अलर्ट जारी किया था, लेकिन प्रशासन ने बर्फबारी से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए. जिसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.
वहीं, अपने विभाग से संबंधित विषय पर सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश सरकार टीसीपी के तहत आने वाले क्षेत्रों के लिए डेवलपमेंट प्लान तैयार कर रही है. उन्होंने कहा कि पहली बार शिमला डेवलपमेंट प्लान (Shimla Development Plan) भी लोगों के सामने रखा जाएगा. कुछ ही दिनों में सुझावों के लिए इसे जनता के सामने रखा जाएगा, जिसके बाद कैबिनेट से मंजूरी दी जाएगी.
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