किन्नौर: देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन और प्रदेश में कर्फ्यू लगाया हुआ है. इस महामारी ने जहां बड़े से बड़े देश को घूटनों पर ला दिया है, वहीं इसका असर एक आम शख्स पर भी पड़ा है.
कोरोना के चलते कई व्यवसाय ठप हो गए हैं. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. रोज कमाकर खाने वाले मजदूरों की तो दो जून की रोटी पर बन आई है. लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए हैं. लॉकडाउन की वजह से हर व्यक्ति का काम प्रभावित हो गया है.
कोरोना वायरस की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर भी काफी असर पड़ा है. स्कूल बंद हैं और बच्चे घर में रहकर ऑनलाइन या टीवी-रेडियो के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. स्कूल नहीं जा पाने की सूरत में उन्हें अपना सिलेब्स टीवी-रेडियो या फिर ऑनलाइन मोबाइल के सहारे पूरा करना पड़ रहा है.
प्रदेश के स्कूली बच्चों को शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन स्टडी मटेरियल दिया जा रहा है, लेकिन जनजातीय जिला किन्नौर में शिक्षा विभाग का ये प्रयास सफल होता नहीं दिख रहा.
दरअसल जिला किन्नौर के सीमांत क्षेत्रों के साथ सटे ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से सैकड़ों छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा से पूरी तरह से वंचित होना पड़ रहा है. छात्रों के मोबाइल में लैक्चर के लिंक नहीं खुलते हैं, जिससे छात्र और छात्रों के अभिभावक बहुत परेशान हैं.
जिला के सीमांत इलाकों में बसे गांवों कुनोचारग, रोपावेली, हांगों चुलिंग सहित कई और क्षेत्रों में मोबाइल सिग्नल नहीं होने से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में कई दिक्कतें आ रही हैं.
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि, लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा तो दी जा रही है, लेकिन सिग्नल नहीं होने से उनके बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे. उनका कहना है कि जिला के इन दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या हमेशा से है. ऐसे में अब बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन करवाई जा रही है, जिससे उन्हें उनके बच्चों को भविष्य को लेकर चिंता सता रही है.
स्कूली बच्चों को पेश आ रही नेटवर्क की समस्या के बारे में जब जिलादंडाधिकारी गोपाल चंद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहा है और ऐसे में जिला के दुर्गम क्षेत्रों से मोबाइल नेटवर्क को लेकर शिकायत प्रशासन के पास आ चुकी है.
प्रशासन बच्चों के लिए उचित कदम उठाएगा और सरकार इन दुर्गम क्षेत्रों में जहां नेटवर्क की सुविधा कम है वहां स्कूल खोलने को लेकर विचार करेगी.
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