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शिमला में सीएम आवास के बाहर NSUI ने किया प्रदर्शन, उठाई ये मांग

राजधानी शिमला में छात्र हितों की मांग को लेकर NSUI ने सीएम आवास के बाहर प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन और प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर की अगुवाई में सैकड़ों कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल हुए. एनएसयूआई के इस छात्र आक्रोश रैली में कोरोना के नियमों के खुलकर धज्जियां उड़ाई गई.

डिजाइन फोटो
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Published : Oct 8, 2020, 6:04 PM IST

शिमला: छात्र हितों की मांगों को लेकर छात्र संगठन एनएसयूआई ने आक्रोश रैली निकालकर प्रदर्शन किया. यह रैली शिमला पार्टी कार्यालय राजीव भवन से एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन और प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर की अगुवाई में मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर की ओर बढ़ी. इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा. काफी संख्या में एनएसयूआई के कार्यकर्ता इस रैली में शामिल हुए और मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर का घेराव किया.

छात्र हित की मांगों को लेकर निकाली गई इस आक्रोश रैली में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं का गुस्सा प्रदेश सरकार पर फूटा. छात्रों ने जमकर नारेबाजी प्रदेश सरकार के खिलाफ की. हालांकि कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री आवास से कुछ मीटर दूरी पर ही बैरिकेट्स लगा कर रोक लिया गया.

एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने इन बैरिकेट्स को तोड़ने को लेकर जोर आजमाइश की. कार्यकर्ता बैरिकेट्स पर चढ़ गए. इस दौरान हल्की धक्का-मुक्की भी हुई, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया. सीएम आवास के बाहर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. प्रदेश सरकार के समक्ष यह मांग रखी कि वह छात्रों की मांगों को पूरा करें.

वीडियो रिपोर्ट

एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि बात चाहे केंद्र की भाजपा सरकार की हो या प्रदेश की भाजपा सरकार की शिक्षा का निजीकरण लगातार यह सरकारें कर रही हैं. कोविड-19 के बीच जब सभी पर आर्थिक संकट आया है तब भी फीस माफ नहीं कि जा रही है. जबकि 6 माह तक की फीस सरकार को माफ करनी चाहिए.

आक्रोश रैली के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन हिमाचल प्रदेश राज्य इकाई ने मांग उठाई है कि कोरोनाकाल में राहत के तौर पर प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों, कॉलेजों व सभी प्रोफेशनल शिक्षण संस्थानों के छात्रों की कम से कम छह महीनों की फीस माफ की जाए. कॉलेज व यूनिवर्सिटी के छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए ऑनलाइन छात्र शिकायत निवारण पोर्टल की सुविधा शीघ्र शुरू की जाए.

कॉलेजों के पहले व दूसरे वर्ष के छात्रों को बिना परीक्षा उनके पिछले परफॉर्मेंस के आधार पर प्रमोट किया जाए. शिक्षा का निजीकरण व शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण बंद किया जाए. इसके साथ ही किसान विरोधी बिल वापस लिया जाए. अभिभावकों के विरोध के बावजूद कोरोना महामारी के सामुदायिक फैलाव के दौरान स्कूल और कॉलेज ना खोलें जाए. इस दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओर प्रदेशाध्यक्ष ने अपना ज्ञापन अतिरिक्त जिला न्यायायिक दंडाधिकारी प्रभा राजीव के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा.

कोरोना के नियमों की उड़ी धज्जियां

एनएसयूआई के इस छात्र आक्रोश रैली में कोरोना के नियमों के खुलकर धज्जियां उड़ाई गई. जहां कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया तो वहीं मास्क भी चेहरे पर सही तरीके से लगे हुए नजर नहीं आए.

शिमला: छात्र हितों की मांगों को लेकर छात्र संगठन एनएसयूआई ने आक्रोश रैली निकालकर प्रदर्शन किया. यह रैली शिमला पार्टी कार्यालय राजीव भवन से एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन और प्रदेशाध्यक्ष छत्तर ठाकुर की अगुवाई में मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर की ओर बढ़ी. इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात रहा. काफी संख्या में एनएसयूआई के कार्यकर्ता इस रैली में शामिल हुए और मुख्यमंत्री आवास ओक ओवर का घेराव किया.

छात्र हित की मांगों को लेकर निकाली गई इस आक्रोश रैली में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं का गुस्सा प्रदेश सरकार पर फूटा. छात्रों ने जमकर नारेबाजी प्रदेश सरकार के खिलाफ की. हालांकि कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री आवास से कुछ मीटर दूरी पर ही बैरिकेट्स लगा कर रोक लिया गया.

एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने इन बैरिकेट्स को तोड़ने को लेकर जोर आजमाइश की. कार्यकर्ता बैरिकेट्स पर चढ़ गए. इस दौरान हल्की धक्का-मुक्की भी हुई, लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया. सीएम आवास के बाहर एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की. प्रदेश सरकार के समक्ष यह मांग रखी कि वह छात्रों की मांगों को पूरा करें.

वीडियो रिपोर्ट

एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा कि बात चाहे केंद्र की भाजपा सरकार की हो या प्रदेश की भाजपा सरकार की शिक्षा का निजीकरण लगातार यह सरकारें कर रही हैं. कोविड-19 के बीच जब सभी पर आर्थिक संकट आया है तब भी फीस माफ नहीं कि जा रही है. जबकि 6 माह तक की फीस सरकार को माफ करनी चाहिए.

आक्रोश रैली के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन हिमाचल प्रदेश राज्य इकाई ने मांग उठाई है कि कोरोनाकाल में राहत के तौर पर प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों, कॉलेजों व सभी प्रोफेशनल शिक्षण संस्थानों के छात्रों की कम से कम छह महीनों की फीस माफ की जाए. कॉलेज व यूनिवर्सिटी के छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए ऑनलाइन छात्र शिकायत निवारण पोर्टल की सुविधा शीघ्र शुरू की जाए.

कॉलेजों के पहले व दूसरे वर्ष के छात्रों को बिना परीक्षा उनके पिछले परफॉर्मेंस के आधार पर प्रमोट किया जाए. शिक्षा का निजीकरण व शिक्षण संस्थानों का भगवाकरण बंद किया जाए. इसके साथ ही किसान विरोधी बिल वापस लिया जाए. अभिभावकों के विरोध के बावजूद कोरोना महामारी के सामुदायिक फैलाव के दौरान स्कूल और कॉलेज ना खोलें जाए. इस दौरान एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओर प्रदेशाध्यक्ष ने अपना ज्ञापन अतिरिक्त जिला न्यायायिक दंडाधिकारी प्रभा राजीव के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा.

कोरोना के नियमों की उड़ी धज्जियां

एनएसयूआई के इस छात्र आक्रोश रैली में कोरोना के नियमों के खुलकर धज्जियां उड़ाई गई. जहां कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया तो वहीं मास्क भी चेहरे पर सही तरीके से लगे हुए नजर नहीं आए.

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