शिमला: निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने मोर्चा खोल दिया है. मंच ने सोमवार को शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि और किताबों के नाम पर की जा रही लूट को रोकने के मांग की. मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा ने आरोप लगाया कि, प्रदेश सरकार की नाकामी और मिलीभगत के कारण निजी स्कूल दोबारा से मनमानी पर उतर आए हैं. निजी स्कूलों में फीस बढ़ाई गई है लेकिन सरकार और शिक्षा विभाग उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
विजेंद्र मेहरा का कहना है कि परीक्षा के नाम पर निजी स्कूलों में फीस बढ़ाई जा रही है, किताबों के नाम पर भी अभिभावकों को लूटा जा रहा है. जो किताब सरकार 50 रुपए में सरकारी स्कूलों के लिए खरीदती है, वही किताब निजी स्कूलों के बच्चों को 150 रुपए में मिल रही है. जिससे सरकार और निजी स्कूलों की मिलीभगत साफ देखी जा रही है. विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि सरकार से निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए अलग से कानून बनाने की मांग की जा रही है, जिसके लिए सरकार ने सुझाव भी मांगे थे लेकिन अभी तक उसमें कुछ नही हो पाया है.
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निजी स्कूलों की फीस के संचालन के संदर्भ में दिए गए दिशा-निर्देशों व मार्च 2020 के शिक्षा विभाग के आदेशों का निजी स्कूल उल्लंघन कर रहे हैं और इसको तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार कर रहे हैं. स्कूलों में पीटीए का गठन नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है. विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि, कानून का प्रारूप तैयार करने में ही इस सरकार ने तीन वर्ष का समय लगा दिया, अब जबकि महीनों पहले अभिभावकों ने दर्जनों सुझाव दिए हैं तब भी जान बूझकर यह सरकार कानून बनाने में आनाकानी कर रही है. इस मानसून सत्र में कानून हर हाल में बनना चाहिए था, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता के कारण कानून नहीं बन पाया.
सरकार की नाकामी के कारण एक दिन भी स्कूल नहीं गए बच्चों की फीस में 15 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है. स्कूल बंद होने से बिजली, पानी, स्पोर्ट्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट क्लास रूम, मेंटेनेंस, सफाई का खर्चा लगभग शून्य हो गया है तो फिर ये निजी स्कूल किस बात के लिए फीस में बढ़ोतरी कर रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार और शिक्षा विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती तो उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा.
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