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प्रदेश में निजी स्कूलों को पूरी फीस वसूलने की छूट, छात्र अभिभावक मंच ने जताया विरोध - निजी स्कूलों में फीस लेनी शुरू

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों और संस्थानों को पूरी फीस लेने के लिए अधिकृत करने के सरकार के निर्णय को बेहद शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस निर्णय को तुरंत वापस ले.

Student and parents manch protests against the himachal government
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Published : Oct 29, 2020, 6:33 PM IST

शिमलाः सरकार की ओर से प्रदेश में निजी स्कूलों को अब अभिभावकों से पूरी फीस वसूलने की छूट दे दी है. निजी स्कूलों को यह छूट देने का विरोध छात्र अभिभावक मंच की ओर से विरोध जताया जा रहा है.

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों और संस्थानों को पूरी फीस लेने की छूट देने के लिए सरकार के निर्णय को बेहद शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस निर्णय को तुरंत वापस लें. उन्होंने सरकार के इस निर्णय को छात्र और अभिभावक विरोधी निर्णय करार दिया है. उनका आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों ने अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है. साथ ही अभिभावकों को पूरी फीस जमा करवाने के लिए लगातार बाध्य किया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों और संस्थानों ने दोबारा छात्रों अभिभावकों को पूरी फीस जमा करने के लिए मोबाइल पर मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं.

इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूरी फीस जमा नहीं की गई तो छात्रों को ना केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा, बल्कि उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा. उन्होंने सुंदरनगर के खिलरा स्थित मां हाटेश्वरी नर्सिंग कॉलेज का हवाला देते हुए कहा है कि कॉलेज में पिछले 7 महीने से कोई कक्षा नहीं लगी है.

छात्रा एक भी दिन होस्टल में नहीं रुके हैं. इसके बाद भी प्रतिमाह 4300 रुपए फीस के हिसाब से 7 महीने की कुल हॉस्टल फीस 30 हजार रुपए जमा करवाने का दबाव प्रबंधन की ओर से बनाया जा रहा है.

वहीं, संस्थान की ओर से यह कहा जा रहा है कि जो छात्र इस फीस को जमा नहीं करेंगे. उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा. छात्र अभिभावक मंच ने आरोप लगाया है कि कैबिनेट ने उच्च न्यायालय के एक निर्णय को आधार बनाकर निजी स्कूलों को खुली लूट की इजाजत दे दी है.

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि जब न्यायलय का निर्णय निजी स्कूलों और संस्थान प्रबधनों के पक्ष में आता है तो सरकार निर्णय को रातोंरात लागू कर देती है, जबकि जो निर्णय इनके खिलाफ आता है तो सरकार चार वर्ष होने के बाद भी उस निर्णय को लागू नहीं करती है.

उन्होंने कहा कि सरकार का यह दोहरा रवैया किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगा. उन्होंने सरकार को चेताया है कि वह अपना यह फैसला जल्द से जल्द वापस ले, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सकें.

शिमलाः सरकार की ओर से प्रदेश में निजी स्कूलों को अब अभिभावकों से पूरी फीस वसूलने की छूट दे दी है. निजी स्कूलों को यह छूट देने का विरोध छात्र अभिभावक मंच की ओर से विरोध जताया जा रहा है.

छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों और संस्थानों को पूरी फीस लेने की छूट देने के लिए सरकार के निर्णय को बेहद शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह अपने इस निर्णय को तुरंत वापस लें. उन्होंने सरकार के इस निर्णय को छात्र और अभिभावक विरोधी निर्णय करार दिया है. उनका आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों ने अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है. साथ ही अभिभावकों को पूरी फीस जमा करवाने के लिए लगातार बाध्य किया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का आरोप है कि सरकार के इस निर्णय के बाद निजी स्कूलों और संस्थानों ने दोबारा छात्रों अभिभावकों को पूरी फीस जमा करने के लिए मोबाइल पर मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं.

इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूरी फीस जमा नहीं की गई तो छात्रों को ना केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा, बल्कि उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा. उन्होंने सुंदरनगर के खिलरा स्थित मां हाटेश्वरी नर्सिंग कॉलेज का हवाला देते हुए कहा है कि कॉलेज में पिछले 7 महीने से कोई कक्षा नहीं लगी है.

छात्रा एक भी दिन होस्टल में नहीं रुके हैं. इसके बाद भी प्रतिमाह 4300 रुपए फीस के हिसाब से 7 महीने की कुल हॉस्टल फीस 30 हजार रुपए जमा करवाने का दबाव प्रबंधन की ओर से बनाया जा रहा है.

वहीं, संस्थान की ओर से यह कहा जा रहा है कि जो छात्र इस फीस को जमा नहीं करेंगे. उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा. छात्र अभिभावक मंच ने आरोप लगाया है कि कैबिनेट ने उच्च न्यायालय के एक निर्णय को आधार बनाकर निजी स्कूलों को खुली लूट की इजाजत दे दी है.

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि जब न्यायलय का निर्णय निजी स्कूलों और संस्थान प्रबधनों के पक्ष में आता है तो सरकार निर्णय को रातोंरात लागू कर देती है, जबकि जो निर्णय इनके खिलाफ आता है तो सरकार चार वर्ष होने के बाद भी उस निर्णय को लागू नहीं करती है.

उन्होंने कहा कि सरकार का यह दोहरा रवैया किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं होगा. उन्होंने सरकार को चेताया है कि वह अपना यह फैसला जल्द से जल्द वापस ले, जिससे अभिभावकों को राहत मिल सकें.

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