शिमला: दो दशक से भी अधिक लंबे समय के राजनीतिक जीवन में जयराम ठाकुर एक नई भूमिका में थे. मुख्यमंत्री के तौर पर जयराम ठाकुर ने 9 मार्च 2018 को अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश (JAIRAM THAKUR BUDGET SPEECH) करने के लिए सदन में पहुंचे तो सभी की नजरें उनके इस नए रूप पर टिकी थीं. कुल 84 पन्नों के बजट भाषण में जयराम ठाकुर ने बीच में कुछ अशआर पढ़े थे. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की दो कविताओं के अंश भी सुनाए. दुष्यंत की गजल का एक हिस्सा भी उनके बजट भाषण में शामिल था और साथ ही शामिल थीं 28 नई योजनाएं. जयराम ठाकुर ने हिंदी में बजट भाषण दिया.
दिलचस्प बात ये रही कि जयराम ठाकुर का बजट भाषण सुनने के लिए स्पीकर गैलरी में उनकी धर्मपत्नी डॉ. साधना ठाकुर भी मौजूद थीं. बजट पेश करने के बाद जयराम ठाकुर के लिए एक उत्साहजनक प्रतिक्रिया दिग्गज राजनेता व पूर्व सीएम स्व. वीरभद्र सिंह की तरफ से आई. वीरभद्र सिंह ने कहा कि मौजूदा जटिल आर्थिक परिस्थितियों में जयराम ठाकुर ने अच्छा बजट पेश किया.
खैर, जयराम ठाकुर ने बजट भाषण में खूब अशआर पढ़े और अटल बिहारी वाजपेयी को भी स्मरण किया. उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का भी जिक्र किया. बजट भाषण की शुरुआत में जयराम ठाकुर ने भाजपा को बहुमत दिलाने के लिए प्रदेश की जनता का आभार जताया था. पीएम नरेंद्र मोदी व सिराज की जनता का धन्यवाद करने के बाद बजट भाषण शुरू करने से पहले उन्होंने ये शेर पढ़ा...
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं कुछ लोग
पर उन्होंने मेरे पैरों के छाले नहीं देखे.
प्रदेश की चिंताजनक आर्थिक स्थिति की चर्चा के दौरान जयराम ठाकुर ने मौके के अनुसार शेर कहा...
चादर से पैर तभी बाहर आते हैं
उसूलों से बड़े जब ख्वाब हो जाते हैं.
अपनी सरकार के वायदों का जिक्र उन्होंने कुछ यूं किया...
परवाह नहीं चाहे जमाना जितना भी खिलाफ हो
चलूंगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो.
विधायक विकास निधि में बढ़ोतरी का ऐलान करने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस तरह अपने मन की बात कही...
बस दिल जीतने का मकसद है
दुनिया जीतकर तो सिकंदर भी खाली हाथ गया था.
दो साल में हर घर में रसोई गैस पहुंचाने वाला देश का पहला राज्य बनने का गौरव हासिल करेगा हिमाचल. प्रदेश में गृहिणी सुविधा योजना आरंभ करने की घोषणा से साथ सीएम ने ये शेर पढ़ा...
मैं नन्हा सा दिया हूं, जलता रहूंगा द्वार पर
आप अंधकार को दो चुनौती मेरे ऐतबार पर.
मुख्यमंत्री के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन के बिल्कुल नए अनुभव का अहसास करते हुए जयराम ठाकुर बजट भाषण पढ़ रहे थे. वे कुछ नया करने का जिक्र कर रहे थे. इस संदर्भ में उन्होंने दुष्यंत की विख्यात पंक्तियां पढ़ीं...
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.
प्रदेश में किसानों के लिए योजनाओं का जिक्र आने पर उन्होंने ये पंक्तियां पढ़ीं...
मेहनत अच्छी हो तो रंग लाती है
मेहनत गहरी हो तो सबको भाती है.
मेहनत हिमाचली किसान करे
तो इतिहास बनाती है.
इसके अलावा जयराम ठाकुर ने गौतम बुद्ध की पंक्तियों का भी उल्लेख किया था...
मैं कभी नहीं देखता कि क्या किया जा चुका है
मैं हमेशा देखता हूं कि क्या किया जाना बाकी है.
पांच साल में हिमाचल को जैविक खेती में अग्रणी राज्य बनाने की चर्चा करते हुए जयराम ठाकुर ने ये शेर पढ़ा...
सफलता एक दिन में नहीं मिलती
मगर ठान लो तो एक दिन जरूर मिलती है.
बजट भाषण में विभिन्न आवास योजनाओं की चर्चा करते हुए सीएम ने कहा...
उन घरों में जहां मिट्टी के घड़े रहते हैं
कद में छोटे हों, मगर लोग बड़ रहते हैं.
वन क्षेत्र बढ़ाने और वनों की रक्षा की योजनाओं पर बात करते हुए सीएम ने ये शेर पढ़ा था...
इक पेड़ मोहब्बत का ऐसा लगाया जाए
जिसका पड़ोसी के आंगन में भी साया जाए.
हिमाचल को विकास के क्षेत्र में आगे ले जाने की मंशा जताते हुए सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था...
एक छुपी हुई पहचान रखता हूं
बाहर शांत हूं, भीतर तूफान रखता हूं.
विद्युत योजनाओं के संदर्भ में जयराम ठाकुर ने कहा...
निकलता है हर सुबह एक नया सूरज यह बताने के लिए
उजाले बांट देने से उजाले कम नहीं होते.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां सुनाई...
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर.
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहूक रात.
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं
गीत नया गाता हूं.
युवाओं के लिए रोजगार और स्वावलंबन की बात करते हुए जयराम ठाकुर ने ये शेर पढ़ा...
सोचने से कहां मिलते हैं तमन्ना के शहर
चलने की जिद भी जरूरी है मंजिलों के लिए.
पहले बजट भाषण के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने ये शेर भी पढ़ा...
वही हकदार है किनारों के
जो बदल दे बहाव धारों के.
बजट भाषण में प्रदेश के बेरोजगारों की चिंता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा...
वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की
परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की.
छात्रों के लिए योजनाओं का बजट भाषण में उल्लेख करने के दौरान सीएम जयराम ठाकुर ने सोहन लाल द्विवेदी की ये विख्यात पंक्तियां कहीं...
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है.
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाओं का बजट भाषण में उल्लेख करने के दौरान जयराम ठाकुर ने कहा था...
तुम अपने पास रखो अपनी रोशनी का हिसाब
मुझे तो आखिरी घर तक दिया जलाना है.
बेटी है अनमोल योजना में बीपीएल परिवारों में कन्या जन्म पर दी जाने वाली दस हजार की राशि को बढ़ाकर 12 हजार रुपए करने और अन्य योजनाओं का जिक्र करने के दौरान सीएम ने कहा...
शर्त लगी थी खुशियों को एक लफ्ज में लिखने की
वो किताब ढूंढ़ते रह गए, मैंने बेटी लिख दिया.
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर सीएम ने कहा कि...
ज्यादा ख्वाहिशें नहीं हैं जिंदगी तुझ से
बस मेरा हर कदम पिछले से बेहतर हो.
बुजुर्गों के लिए वरिष्ठ नागरिक सुविधा केंद्र खोलने का जिक्र करते हुए सीएम ने भावपूर्ण पंक्तियां पढ़ीं...
देखना कभी नम न हों, घर के बुजुर्गों की आंखें
छत से पानी टपके तो दीवारें कमजोर होती हैं.
पारदर्शी और कुशल प्रशासन की बात करते हुए सीएम ने निदा फाजली की मशहूर रचना का अंश पढ़ा...
सफर में धूप तो होगी चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो.
बजट के अंत में जयराम ठाकुर ने एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी को निम्न पंक्तियों के जरिए स्मरण किया...
हम पड़ाव को समझें मंजिल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल.
वर्तमान के मोह जाल में
आने वाला कल न भुलाएं.
आओ फिर से दिया जलाएं
आओ फिर से दिया जलाएं.
मुख्यमंत्री के बजट भाषण में राम राज्य का जिक्र आया तो विपक्ष की तरफ से स्वर गूंजा कि अब तो जयराम राज है. इस पर सीएम ने कहा कि जयराम राज में आपको राम राज्य की परिकल्पना साकार होते दिखेगी.