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पीएम नरेंद्र मोदी के सोलर एनर्जी के सपने को नई ऊंचाइयां दे रहा हिमाचल, अब ग्रीन सिटी होगी राजधानी शिमला - जनजातीय जिला किन्नौर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सोलर एनर्जी स्टेट के सपने को साकार करने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की मुहिम सोलर पावर पॉलिसी (Solar Power Policy) अब रंग लाने लगी है. हिमाचल में सरकारी कार्यालयों पर सोलर एनर्जी पैनल लगाने की मुहिम सफलतापूर्वक चल रही है. इस अभियान को गति देने के लिए अब प्रदेश में कर्मचारियों के सरकारी आवास सोलर पैनल लगाए जाएंगे. पहले चरण में 300 के करीब सरकारी आवास सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली से जगमगाएंगे.

Solar Power Policy in himachal
हिमाचल में सोलर पावर पॉलिसी
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Published : Nov 15, 2021, 6:28 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 2:57 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सोलर एनर्जी स्टेट के सपने को नई ऊंचाइयां दे रही है. हिमाचल सरकार ने काफी पहले अपनी सोलर पावर पॉलिसी (Solar Power Policy) तैयार की थी. सौर ऊर्जा के जरिए प्रदेश के दुर्गम इलाकों को भी रोशनी से जगमग किया जा चुका है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के अत्यंत दूरस्थ इलाकों को भी सौर ऊर्जा के जरिए बिजली पहुंचाई गई है. हिमाचल में सरकारी कार्यालयों पर सोलर एनर्जी पैनल लगाने की मुहिम सफलतापूर्वक चल रही है. अब इस कड़ी में राजधानी शिमला का नाम भी जुड़ने वाला है. नई कवायद के तहत राजधानी शिमला में सरकारी कर्मचारियों के आवास पर भी सोलर पैनल लगाए जाएंगे.

हिमाचल प्रदेश में सौर ऊर्जा का काम देख रही एजेंसी हिम ऊर्जा की सीईओ रुपाली ठाकुर के अनुसार शहर में कर्मचारियों के सरकारी आवास में इस मुहिम को शुरू किया जा रहा है. पहले चरण में 300 के करीब सरकारी आवास सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली से जगमगाएंगे. इसके लिए प्रारंभिक तौर पर राज्य सरकार ने 4.50 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. इसमें सामान्य प्रशासन विभाग ने 1.39 कराेड़ रुपए के बजट काे मंजूरी दे दी है. हिमाचल प्रदेश में हिम ऊर्जा के माध्यम से 331 मेगावाट की 89 माइक्रो एवं स्मॉल परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. लाहौल स्पीति के पांगी में बर्फ से ढके इलाकों में सोलर पावर प्लांट (solar power plant) से पैदा हो रही बिजली लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है.

राज्य सरकार ने पहले उन इलाकों पर ध्यान दिया जहां किसी भी माध्यम से निरंतर बिजली की आपूर्ति कठिन थी. दुर्गम इलाकों के कोने-कोने में बिजली पहुंचाने के बाद राज्य सरकार अब शहरी इलाकों में सौर ऊर्जा के दोहन पर ध्यान दे रही है. इस अभियान में सरकारी कर्मचारियों के आवास चुने गए हैं. राजधानी शिमला में राज्य सचिवालय के अलावा विभिन्न निदेशालयों व विभागों के मुख्यालय कार्यरत हैं. इनमें हजारों कर्मचारी काम करते हैं. उन्हें रिहाईश के लिए शिमला में ही सरकारी आवास दिए गए हैं. अब इन आवासों में हिम ऊर्जा की तरफ से सोलर पैनल लगाए जाएंगे.

सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग हिम ऊर्जा के साथ मिलकर सोलर पैनल लगाएगा. सौर ऊर्जा सस्ती होने के कारण बिजली के बिल में भी कमी आएगा. पहले चरण में शिमला के उपनगरों छोटा शिमला, रिचमाउंट, कुसुम्पटी, मैहली, परिमहल, ब्रोकहोस्ट, राजभवन, नाभा में सरकारी मकानाें की छताें पर सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. यह पावर प्लांट 3 किलोवाट का होगा. 1 साेलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. यह पैसा शीघ्र हिमऊर्जा काे जारी किया जाएगा.

शिमला में सरकारी आवासाें की छताें पर साेलर पैनल लगने से हर साल 300 दिनाें में 3600 यूनिट बिजली बचेगी. 1 किलाेवाॅट से 4 यूनिट बिजली पैदा हाेगा, तीन किलाेवाॅट साेलर पावर प्लांट से 12 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश में छोटा शिमला स्थित राज्य सरकार के सचिवालय की दोनों इमारतों में सोलर पैनल लगाए गए हैं. अब सरकारी कर्मियों के आवास भी सौर एनर्जी से जगमगाएंगे. इससे पहले भी राजधानी शिमला शहर में भी ग्रिड कनेक्टिड सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं. शहर के लगभग 66 सरकारी कार्यालयों की छतों पर यह सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं और अब सरकारी आवासों की बारी है.

हिमाचल सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई नवीन प्रयोग भी किए हैं. हिमाचल में गौशालाओं में सौर ऊर्जा को शुरू किया गया है. 10 गौशालाओं की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जमीन और छत्त पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं. इसके अलावा हिमाचल में शिमला में पर्यावरण भवन की छत पर लगाए गए सोलर पावर प्लांट से रोजाना 35 केवी ऊर्जा पैदा होती है. इससे प्रतिवर्ष चार लाख रुपए की बिजली बिल की बचत होती है. सौर ऊर्जा का लाभ यह है कि हिमाचल के शीत मरुस्थल लाहौल घाटी के लोगों का जीवन इससे पूरी तरह से बदल गया है.

यदि हिमाचल सरकार के उपक्रम हिम ऊर्जा की बात की जाए तो इसने अब तक प्रदेश में 331.25 मेगावाट के 89 स्मॉल हाइड्रो यूनिट स्थापित किए हैं. ये यूनिट अधिकतम 5 मेगावाट तक के हैं. हिमऊर्जा ने जिला चंबा में लगभग 82.7 मेगावाट, कांगड़ा जिला में 98.65 मेगावाट, किन्नौर जिला में 25.9 मेगावाट, कुल्लू जिला में 60 मेगावाट, मंडी जिला में 10.50 मेगावाट, शिमला जिला में 39 मेगावाट और सिरमौर जिला में 12 मेगावाट के स्मॉल हाइड्रो यूनिट (small hydro unit) स्थापित किए गए हैं. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो हिम ऊर्जा ने 41 घराट, 878 उन्नत चूल्हें और 17 विंड सोलर हाइब्रिड सिस्टम भी प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए हैं. शहरी और कस्बाई इलाकों में रात के समय रोशनी की व्यवस्था के लिए 1 लाख 64 हजार 803 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं.

इतना ही नहीं हिम ऊर्जा ने 69935 लालटेन, 27713 घरेलू लाइट, 3152.45 कि.वा. के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट (off grid solar power plant), 14425.54 कि.वा. के ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफटॉप पावर प्लांट और 20,24,000 सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम लोगों को उपलब्ध कराए हैं. जनजातीय जिला किन्नौर (Tribal District Kinnaur) के गांव कुन्नू और चारंग में क्रमश: 34 घरों व 40 घरों में एक किलोवाट के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट निःशुल्क स्थापित किए. इसके अतिरिक्त चम्बा जिला के पांगी उपमंडल में एक हजार बीपीएल परिवारों के घरों में 250 वाट के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं.

ये भी पढ़ें: आजकल कुछ ज्यादा उत्साहित हैं विक्रमादित्य सिंह, लवी मेले पर न करें राजनीति: CM जयराम ठाकुर

पांगी क्षे़त्र राजधानी शिमला से लगभग 461 किलोमीटर दूर स्थित है पांगी घाटी की ऊंचाई 7,000 से 11,000 फीट है. यहां की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 18,868 है. सर्दियों के दिनों में जब यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छः महीने बंद रहती है और विद्युत लाइनें भी बाधित हो जाती है, ऐसे में इस क्षेत्र के लिए प्रदेश सरकार ने बजट में 3.83 करोड़ रुपये का प्रावधान करके गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के घरों को ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांटों से रोशन किया है. पांगी घाटी के किलाड़ निवासी नेक राम और सुभाष सिंह का कहना है कि सोलर प्लांट योजना स्कूली बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हुई है. अब घर में टेलीविजन और पांच एलईडी ट्यूब तक चल रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में अब से 32 साल पहले हिम ऊर्जा की स्थापना की गई थी. शुरुआती चरण में हिमऊर्जा केवल ईंधन दक्ष उपकरणों एवं संयंत्रों जैसेः सोलर कुकर, सोलर लालटेन, धुआं रहित चुल्हा, नूतन स्टोव, प्रेशर कुकर, साधारण लालटेन, साधारण पनचक्कियों में सुधार, सोलर गीजर, सार्वजनिक स्थानों पर सोलर स्ट्रीट लाइट लगाता था, अब पांच मेगावाट तक के सोलर पावर प्लांट भी लगाए जाते हैं हिमाचल सरकार ने सोलर एनर्जी की महत्ता को समझते हुए खुद की सोलर पावर पॉलिसी भी बनाई है.

हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार जयराम सरकार सौर ऊर्जा को निरंतर बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार का लक्ष्य अधिक से अधिक इमारतों में सोलर पावर प्लांट लगाना है यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के सोलर एनर्जी के सपने को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने बड़ी सोलर परियोजनाओं को लेकर भी एमओयू किए हैं. लाहौल स्पीति में एक हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार प्रयास कर रही है. इसमें केंद्र की मदद के लिए नए सिरे से आग्रह किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: स्कूलों में लौटी रौनक: सरकारी स्कूलों में पहुंचे पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे

शिमला: हिमाचल सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के सोलर एनर्जी स्टेट के सपने को नई ऊंचाइयां दे रही है. हिमाचल सरकार ने काफी पहले अपनी सोलर पावर पॉलिसी (Solar Power Policy) तैयार की थी. सौर ऊर्जा के जरिए प्रदेश के दुर्गम इलाकों को भी रोशनी से जगमग किया जा चुका है. पहाड़ी राज्य हिमाचल के अत्यंत दूरस्थ इलाकों को भी सौर ऊर्जा के जरिए बिजली पहुंचाई गई है. हिमाचल में सरकारी कार्यालयों पर सोलर एनर्जी पैनल लगाने की मुहिम सफलतापूर्वक चल रही है. अब इस कड़ी में राजधानी शिमला का नाम भी जुड़ने वाला है. नई कवायद के तहत राजधानी शिमला में सरकारी कर्मचारियों के आवास पर भी सोलर पैनल लगाए जाएंगे.

हिमाचल प्रदेश में सौर ऊर्जा का काम देख रही एजेंसी हिम ऊर्जा की सीईओ रुपाली ठाकुर के अनुसार शहर में कर्मचारियों के सरकारी आवास में इस मुहिम को शुरू किया जा रहा है. पहले चरण में 300 के करीब सरकारी आवास सोलर पैनल से पैदा होने वाली बिजली से जगमगाएंगे. इसके लिए प्रारंभिक तौर पर राज्य सरकार ने 4.50 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. इसमें सामान्य प्रशासन विभाग ने 1.39 कराेड़ रुपए के बजट काे मंजूरी दे दी है. हिमाचल प्रदेश में हिम ऊर्जा के माध्यम से 331 मेगावाट की 89 माइक्रो एवं स्मॉल परियोजनाएं चलाई जा रही हैं. लाहौल स्पीति के पांगी में बर्फ से ढके इलाकों में सोलर पावर प्लांट (solar power plant) से पैदा हो रही बिजली लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है.

राज्य सरकार ने पहले उन इलाकों पर ध्यान दिया जहां किसी भी माध्यम से निरंतर बिजली की आपूर्ति कठिन थी. दुर्गम इलाकों के कोने-कोने में बिजली पहुंचाने के बाद राज्य सरकार अब शहरी इलाकों में सौर ऊर्जा के दोहन पर ध्यान दे रही है. इस अभियान में सरकारी कर्मचारियों के आवास चुने गए हैं. राजधानी शिमला में राज्य सचिवालय के अलावा विभिन्न निदेशालयों व विभागों के मुख्यालय कार्यरत हैं. इनमें हजारों कर्मचारी काम करते हैं. उन्हें रिहाईश के लिए शिमला में ही सरकारी आवास दिए गए हैं. अब इन आवासों में हिम ऊर्जा की तरफ से सोलर पैनल लगाए जाएंगे.

सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग हिम ऊर्जा के साथ मिलकर सोलर पैनल लगाएगा. सौर ऊर्जा सस्ती होने के कारण बिजली के बिल में भी कमी आएगा. पहले चरण में शिमला के उपनगरों छोटा शिमला, रिचमाउंट, कुसुम्पटी, मैहली, परिमहल, ब्रोकहोस्ट, राजभवन, नाभा में सरकारी मकानाें की छताें पर सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. यह पावर प्लांट 3 किलोवाट का होगा. 1 साेलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. यह पैसा शीघ्र हिमऊर्जा काे जारी किया जाएगा.

शिमला में सरकारी आवासाें की छताें पर साेलर पैनल लगने से हर साल 300 दिनाें में 3600 यूनिट बिजली बचेगी. 1 किलाेवाॅट से 4 यूनिट बिजली पैदा हाेगा, तीन किलाेवाॅट साेलर पावर प्लांट से 12 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले हिमाचल प्रदेश में छोटा शिमला स्थित राज्य सरकार के सचिवालय की दोनों इमारतों में सोलर पैनल लगाए गए हैं. अब सरकारी कर्मियों के आवास भी सौर एनर्जी से जगमगाएंगे. इससे पहले भी राजधानी शिमला शहर में भी ग्रिड कनेक्टिड सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं. शहर के लगभग 66 सरकारी कार्यालयों की छतों पर यह सौर ऊर्जा पावर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं और अब सरकारी आवासों की बारी है.

हिमाचल सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई नवीन प्रयोग भी किए हैं. हिमाचल में गौशालाओं में सौर ऊर्जा को शुरू किया गया है. 10 गौशालाओं की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जमीन और छत्त पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए गए हैं. इसके अलावा हिमाचल में शिमला में पर्यावरण भवन की छत पर लगाए गए सोलर पावर प्लांट से रोजाना 35 केवी ऊर्जा पैदा होती है. इससे प्रतिवर्ष चार लाख रुपए की बिजली बिल की बचत होती है. सौर ऊर्जा का लाभ यह है कि हिमाचल के शीत मरुस्थल लाहौल घाटी के लोगों का जीवन इससे पूरी तरह से बदल गया है.

यदि हिमाचल सरकार के उपक्रम हिम ऊर्जा की बात की जाए तो इसने अब तक प्रदेश में 331.25 मेगावाट के 89 स्मॉल हाइड्रो यूनिट स्थापित किए हैं. ये यूनिट अधिकतम 5 मेगावाट तक के हैं. हिमऊर्जा ने जिला चंबा में लगभग 82.7 मेगावाट, कांगड़ा जिला में 98.65 मेगावाट, किन्नौर जिला में 25.9 मेगावाट, कुल्लू जिला में 60 मेगावाट, मंडी जिला में 10.50 मेगावाट, शिमला जिला में 39 मेगावाट और सिरमौर जिला में 12 मेगावाट के स्मॉल हाइड्रो यूनिट (small hydro unit) स्थापित किए गए हैं. ग्रामीण इलाकों की बात करें तो हिम ऊर्जा ने 41 घराट, 878 उन्नत चूल्हें और 17 विंड सोलर हाइब्रिड सिस्टम भी प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए हैं. शहरी और कस्बाई इलाकों में रात के समय रोशनी की व्यवस्था के लिए 1 लाख 64 हजार 803 स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं.

इतना ही नहीं हिम ऊर्जा ने 69935 लालटेन, 27713 घरेलू लाइट, 3152.45 कि.वा. के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट (off grid solar power plant), 14425.54 कि.वा. के ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफटॉप पावर प्लांट और 20,24,000 सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम लोगों को उपलब्ध कराए हैं. जनजातीय जिला किन्नौर (Tribal District Kinnaur) के गांव कुन्नू और चारंग में क्रमश: 34 घरों व 40 घरों में एक किलोवाट के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट निःशुल्क स्थापित किए. इसके अतिरिक्त चम्बा जिला के पांगी उपमंडल में एक हजार बीपीएल परिवारों के घरों में 250 वाट के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट स्थापित किए गए हैं.

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पांगी क्षे़त्र राजधानी शिमला से लगभग 461 किलोमीटर दूर स्थित है पांगी घाटी की ऊंचाई 7,000 से 11,000 फीट है. यहां की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 18,868 है. सर्दियों के दिनों में जब यह घाटी भारी बर्फबारी के कारण लगभग छः महीने बंद रहती है और विद्युत लाइनें भी बाधित हो जाती है, ऐसे में इस क्षेत्र के लिए प्रदेश सरकार ने बजट में 3.83 करोड़ रुपये का प्रावधान करके गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के घरों को ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांटों से रोशन किया है. पांगी घाटी के किलाड़ निवासी नेक राम और सुभाष सिंह का कहना है कि सोलर प्लांट योजना स्कूली बच्चों के लिए वरदान सिद्ध हुई है. अब घर में टेलीविजन और पांच एलईडी ट्यूब तक चल रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश में अब से 32 साल पहले हिम ऊर्जा की स्थापना की गई थी. शुरुआती चरण में हिमऊर्जा केवल ईंधन दक्ष उपकरणों एवं संयंत्रों जैसेः सोलर कुकर, सोलर लालटेन, धुआं रहित चुल्हा, नूतन स्टोव, प्रेशर कुकर, साधारण लालटेन, साधारण पनचक्कियों में सुधार, सोलर गीजर, सार्वजनिक स्थानों पर सोलर स्ट्रीट लाइट लगाता था, अब पांच मेगावाट तक के सोलर पावर प्लांट भी लगाए जाते हैं हिमाचल सरकार ने सोलर एनर्जी की महत्ता को समझते हुए खुद की सोलर पावर पॉलिसी भी बनाई है.

हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अनुसार जयराम सरकार सौर ऊर्जा को निरंतर बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार का लक्ष्य अधिक से अधिक इमारतों में सोलर पावर प्लांट लगाना है यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के सोलर एनर्जी के सपने को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने बड़ी सोलर परियोजनाओं को लेकर भी एमओयू किए हैं. लाहौल स्पीति में एक हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार प्रयास कर रही है. इसमें केंद्र की मदद के लिए नए सिरे से आग्रह किया जाएगा.

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Last Updated : Jan 4, 2022, 2:57 PM IST
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