किन्नौर: किन्नौर के जिला निर्वाचन अधिकारी आबिद हुसैन सादिक ने कल्पा स्थित देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी से मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ एसडीएम कल्पा डॉ. मेजर शशांक गुप्ता, जिला लोकसंपर्क अधिकारी नरेंद्र शर्मा व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे है. जिला निर्वाचन अधिकारी आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी देश के चुनाव आयोग के ब्रांड एम्बेसडर हैं, ऐसे में इनके कहने से लाखों युवा (shyam saran negi first voter of india) आगामी विधानसभा में मतदान के लिए प्रेरित हों इसलिए आज उनसे प्रदेश के युवाओं को संदेश देने का प्रशासन की तरफ से आग्रह भी किया गया है.
इनके वीडियो संदेश को मीडिया व प्रशासन सोशल प्लेटफार्म के माध्यम से प्रकाशित करने का काम करेगा, ताकि प्रदेश का युवा आगामी विधानसभा चुनावों में अपने मत का प्रयोग बढ़ चढ़कर करे. जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि (DC Kinnaur meets Shyam Saran Negi) आज देश के प्रथम मतदाता को चुनाव आयोग की तरफ से भी सम्मानित किया गया है और कल्पा गांव के 18 वर्ष पूरा कर चुके नए मतदाताओं ने भी देश के प्रथम मतदाता से मुलाकात कर उनसे प्रेरणा ली है.
आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि किन्नौर जिले के लोग (shyam saran negi kinnaur) खुशनसीब हैं कि देश के प्रथम मतदाता किन्नौर से संबंध रखते हैं और उन्होंने अब तक हर चुनावों मे अपने मत का प्रयोग किया है. जिससे देश के युवाओं को चुनावों मे अपने मत का प्रयोग करने की प्रेरणा मिलती है. उन्होंने कहा कि 105 वर्ष की आयु में भी देश के प्रथम मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी बिल्कुल स्वस्थ हैं और आने वाले विधानसभा चुनावों मे अपने मत का प्रयोग करने के लिए उत्सुक दिख रहे हैं.
आजाद भारत के पहले वोटर बने थे श्याम सरन नेगी: बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में फरवरी 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था और 25 अक्टूबर 1951 को जनजातीय क्षेत्र में चुनाव आयोजित किए गए.
देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में स्कूल टीचर श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मतपेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मतपेटी का रूप दिया. अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया.
श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.
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