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शिमला रेहड़ी फड़ी यूनियन पहुंची नगर निगम आयुक्त के पास, आजीविका भवन की दुकानें तहबाजारियों को देने की मांग

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Published : Feb 11, 2022, 6:31 PM IST

कार्ट रोड पर बने आजीविका भवन में दुकानों की खुली नीलामी को लेकर रेहड़ी फड़ी यूनियन ने अपना विरोध जताया है. शुक्रवार को शिमला नगर निगम आयुक्त से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाताई है. साथ ही यह मांग की है कि आजीविका भवन की दुकानों को तहबाजारियों को ही दें. ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

Municipal Corporation Commissioner
शिमला रेहड़ी फड़ी यूनियन

शिमला: राजधानी शिमला में कार्ट रोड पर बनाए गए आजीविका भवन में दुकानों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. नगर निगम आजीविका भवन में अपना कार्यालय खोलने के साथ ही दुकानों की खुली बोली लगा रहा है, जिसके विरोध में रेहड़ी फड़ी तहबाजारी यूनियन (Shimla Rehri Phari Union) उतर आई है. यूनियन ने नगर निगम से तहबाजारियों को ही यहां बसाने की मांग करते हुए कहा कि यदि तहबाजारियों को ये दुकानें नहीं दी जाती है तो उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

शुक्रवार को रेहड़ी फड़ी यूनियन ने नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) के आयुक्त से मुलाकात की है. उन्हें नगर निगम शिमला द्वारा शिमला में लिफ्ट के समीप तहबाजारी करने वालों के लिए बनाए गए आजीविका भवन में बनाई गई सभी दुकानें तहबाजारी करने वालों को देने की मांग की. यूनियन ने चेताया है कि यदि नगर निगम ने इन दुकानों की ऑक्शन अन्य लोगों को की तो इसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन होगा.

सीटू अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि आजीविका भवन की दुकानों की ऑक्शन तहबजारी के अलावा अन्यों को करने का यह निर्णय आजीविका भवन की परियोजना के लिए तय नियमों की अवहेलना है. इससे नगर निगम का गरीब विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ है. उन्होंने मांग की है कि नगर निगम अपने इस गरीब जनविरोधी निर्णय को तुरन्त निरस्त करें और सभी दुकानों को शहर में रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वाले पात्र व्यक्तियों को ही आवंटित की जाए.

पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2015 में शहरी गरीब के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए शहर में सड़कों पर रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी लगाने वालों के पुनर्वास के लिए एक महत्वकांक्षी परियोजना बनाई थी, जिसमे लिफ्ट के समीप पुराने जर्जर बेकरी भवन को तोड़कर यहां पर तहबाजारी करने वालों को बसाने के लिए 3.93 करोड़ रुपए की लागत से आजीविका भवन बनाकर इसमे 222 दुकानें व 12 बेकरी बनाई जानी थी. इस परियोजना को सदन में स्वीकृत कर केंद्र सरकार से शहरी गरीब को रोजगार व पुर्नवास योजना के अंतर्गत चेलेंज फंड से इसके लिये 2.5 करोड़ रुपए व राज्य सरकार से 50 लाख का प्रावधान करवा कर वर्ष 2016 में इसका निर्माण आरम्भ किया गया था.

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि अब जब आजीविका भवन बनकर तैयार हो गया है और इसमें दुकानों के आवंटन का कार्य करना है तो नगर निगम शिमला इस परियोजना को बनाते समय तय किए गए सभी नियमों को दरकिनार कर रही है. भवन में मौजूद 71 दुनाकों की खुली नीलामी से देने और अपना कार्यालय खोलने के निर्णय से गरीबों के हक पर डाका डालने का काम कर रही है.

ये भी पढ़ें: सीएमओ के ट्रांसफर पर सवाल, 18 दिन बाद रिटायर होने वाले डॉक्टर को भेजा गया किन्नौर

शिमला: राजधानी शिमला में कार्ट रोड पर बनाए गए आजीविका भवन में दुकानों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. नगर निगम आजीविका भवन में अपना कार्यालय खोलने के साथ ही दुकानों की खुली बोली लगा रहा है, जिसके विरोध में रेहड़ी फड़ी तहबाजारी यूनियन (Shimla Rehri Phari Union) उतर आई है. यूनियन ने नगर निगम से तहबाजारियों को ही यहां बसाने की मांग करते हुए कहा कि यदि तहबाजारियों को ये दुकानें नहीं दी जाती है तो उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

शुक्रवार को रेहड़ी फड़ी यूनियन ने नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) के आयुक्त से मुलाकात की है. उन्हें नगर निगम शिमला द्वारा शिमला में लिफ्ट के समीप तहबाजारी करने वालों के लिए बनाए गए आजीविका भवन में बनाई गई सभी दुकानें तहबाजारी करने वालों को देने की मांग की. यूनियन ने चेताया है कि यदि नगर निगम ने इन दुकानों की ऑक्शन अन्य लोगों को की तो इसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन होगा.

सीटू अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि आजीविका भवन की दुकानों की ऑक्शन तहबजारी के अलावा अन्यों को करने का यह निर्णय आजीविका भवन की परियोजना के लिए तय नियमों की अवहेलना है. इससे नगर निगम का गरीब विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ है. उन्होंने मांग की है कि नगर निगम अपने इस गरीब जनविरोधी निर्णय को तुरन्त निरस्त करें और सभी दुकानों को शहर में रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वाले पात्र व्यक्तियों को ही आवंटित की जाए.

पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2015 में शहरी गरीब के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए शहर में सड़कों पर रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी लगाने वालों के पुनर्वास के लिए एक महत्वकांक्षी परियोजना बनाई थी, जिसमे लिफ्ट के समीप पुराने जर्जर बेकरी भवन को तोड़कर यहां पर तहबाजारी करने वालों को बसाने के लिए 3.93 करोड़ रुपए की लागत से आजीविका भवन बनाकर इसमे 222 दुकानें व 12 बेकरी बनाई जानी थी. इस परियोजना को सदन में स्वीकृत कर केंद्र सरकार से शहरी गरीब को रोजगार व पुर्नवास योजना के अंतर्गत चेलेंज फंड से इसके लिये 2.5 करोड़ रुपए व राज्य सरकार से 50 लाख का प्रावधान करवा कर वर्ष 2016 में इसका निर्माण आरम्भ किया गया था.

विजेंद्र मेहरा ने कहा कि अब जब आजीविका भवन बनकर तैयार हो गया है और इसमें दुकानों के आवंटन का कार्य करना है तो नगर निगम शिमला इस परियोजना को बनाते समय तय किए गए सभी नियमों को दरकिनार कर रही है. भवन में मौजूद 71 दुनाकों की खुली नीलामी से देने और अपना कार्यालय खोलने के निर्णय से गरीबों के हक पर डाका डालने का काम कर रही है.

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