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भोपाल सिंह को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से मिला लाभ, आर्थिकी बढ़ी - स्प्रिंकलर प्रणाली से मिला लाभ

शिमला की तहसील सुन्नी के ठेला गांव का समृद्ध किसान भोपाल सिंह अपने खेती के कार्यों से क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहे हैं. भोपाल सिंह प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना और आधुनिक उपकरण की मदद से अपनी उत्पादन और आर्थिकों को बढ़ा रहे हैं.

shimla farmer Bhopal Singh
shimla farmer Bhopal Singh
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Published : Aug 19, 2020, 5:08 PM IST

शिमलाः किसान देश की रीढ़ है जो खेतों में खप कर अनाज उत्पादित करता है. समय के साथ किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसमें कुछ किसान चुनौतियों से बखूबी निपटते हैं और अपने उत्पाद के साथ ही अपनी कामाई को भी बढ़ा लेते हैं. राजधानी शिमला की तहसील सुन्नी के ठेला गांव का समृद्ध किसान भोपाल सिंह अपने खेती के कार्यों से क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहे हैं.

कोरोना संकट काल में भी इन्होंने कृषि विविधता प्रबंधन के तहत खेती कर अच्छी कमाई की. अपने काम के लिए भोपाल सिंह को विभिन्न विभागों की ओर से पुरस्कृत भी किया गया है. किसान भोपाल सिंह का कहना है कि पहले पुराने तरीके से 10 बीघा जमीन पर खेती किया करते थे. इससे किसी तरह घर का गुजारा ही होता था.

फिर साल 2016 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना के बारे में उन्हें जानकारी मिली. इस योजना से उन्हें नई दिशा मिली जिस पर चल कर उन्हें लाभ मिला. भोपाल सिंह ने बताया कि विभाग के अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार हिमराल ने इसमें उनका मार्गदर्शन किया.

खेतों में छोटी स्प्रिंकलर प्रणाली की स्थापित

किसान भोपाल सिंह ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत छोटी स्प्रिंकलर प्रणाली खेतों में स्थापित की जो 1 लाख 24 हजार 618 रुपये की लागत की थी. इसमें से 99 हजार 693 रुपये सरकार द्वारा उपदान के रूप में प्रदान किए गए.

बचत के समय को पशुपालन में लगाया

किसान ने बताया कि पहले 10 बीघा खेतों को सींचने में पांच से छह दिन का समय लगता था. अब छह बीघा खेत को सींचने मे चार घंटे का ही समया लगता है. इससे पानी और समय दोनों की बचत हुई. उन्होंने इस बचत के समय को पशुपालन में लगाया.

समय की बचत ने कार्य क्षमता को बढ़ाया और फसल में वृद्धि होने लगी. पहले जहां एक बीगे में प्रति वर्ष 30 हजार रुपये की आमदन होती थी. अब वहां प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये से अधिक की आमदन होने लगी. खेती के लिए वह समय के अनुरूप अलग-अलग फसलें बीज रहे है, इससे आमदनी भी बनी रहती है और खेती की मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है.

आधुनिक उपकरण की भी ली मदद

भोपाल सिंह ने आधुनिक उपकरण और औजार खरीदे, जिसमें पावर टिल्लर, सीड ड्रिल, कल्टीवेटर, चैप कट्टर, ब्रश कट्टर आदि सभी मशीनों का संग्रहण किया और आधुनिक खेती के तरीकों को अपनाया और अपनी आर्थिकी को बढ़ाया.

अब वह खेत में निरंतर शिमला मिर्च, फूल गोभी, पता गोभी, मटर, टमाटर और प्याज की फसलों को निरंतर उगा रहे हैं. इसके अतिरिक्त हल्दी, लहसुन, आलू आदि की भी खेती समय-समय पर करते है. कोरोना संक्रमण संकटकाल में भोपाल सिंह ने सब्जियों की विविधता के अंतर्गत लॉकडाउन की अनिश्चितता में अच्छी आय प्राप्त की.

किसान भोपाल सिंह को कृषि, पशु पालन और सब्जी उत्पादन में अनेकों पुरस्कार मिले, जिसमें कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2015 में खण्ड स्तर पर श्रेष्ठ किसान, पशु पालन विभाग द्वारा वर्ष 2017 में श्रेष्ठ पशु पालक और वर्ष 2019 में श्रेष्ठ सब्जी पालक और अन्य कई ट्रॉफियां भी मिली हैं.

ये भी पढ़ें- पांवटा साहिब में बारिश से खराब हुई मक्के की फसल, किसान हुए मायूस

ये भी पढ़ें- हिमाचल में बनी 11 दवाओं के सैंपल फेल, ड्रग अलर्ट जारी

शिमलाः किसान देश की रीढ़ है जो खेतों में खप कर अनाज उत्पादित करता है. समय के साथ किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसमें कुछ किसान चुनौतियों से बखूबी निपटते हैं और अपने उत्पाद के साथ ही अपनी कामाई को भी बढ़ा लेते हैं. राजधानी शिमला की तहसील सुन्नी के ठेला गांव का समृद्ध किसान भोपाल सिंह अपने खेती के कार्यों से क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहे हैं.

कोरोना संकट काल में भी इन्होंने कृषि विविधता प्रबंधन के तहत खेती कर अच्छी कमाई की. अपने काम के लिए भोपाल सिंह को विभिन्न विभागों की ओर से पुरस्कृत भी किया गया है. किसान भोपाल सिंह का कहना है कि पहले पुराने तरीके से 10 बीघा जमीन पर खेती किया करते थे. इससे किसी तरह घर का गुजारा ही होता था.

फिर साल 2016 में प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना के बारे में उन्हें जानकारी मिली. इस योजना से उन्हें नई दिशा मिली जिस पर चल कर उन्हें लाभ मिला. भोपाल सिंह ने बताया कि विभाग के अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार हिमराल ने इसमें उनका मार्गदर्शन किया.

खेतों में छोटी स्प्रिंकलर प्रणाली की स्थापित

किसान भोपाल सिंह ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत छोटी स्प्रिंकलर प्रणाली खेतों में स्थापित की जो 1 लाख 24 हजार 618 रुपये की लागत की थी. इसमें से 99 हजार 693 रुपये सरकार द्वारा उपदान के रूप में प्रदान किए गए.

बचत के समय को पशुपालन में लगाया

किसान ने बताया कि पहले 10 बीघा खेतों को सींचने में पांच से छह दिन का समय लगता था. अब छह बीघा खेत को सींचने मे चार घंटे का ही समया लगता है. इससे पानी और समय दोनों की बचत हुई. उन्होंने इस बचत के समय को पशुपालन में लगाया.

समय की बचत ने कार्य क्षमता को बढ़ाया और फसल में वृद्धि होने लगी. पहले जहां एक बीगे में प्रति वर्ष 30 हजार रुपये की आमदन होती थी. अब वहां प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये से अधिक की आमदन होने लगी. खेती के लिए वह समय के अनुरूप अलग-अलग फसलें बीज रहे है, इससे आमदनी भी बनी रहती है और खेती की मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है.

आधुनिक उपकरण की भी ली मदद

भोपाल सिंह ने आधुनिक उपकरण और औजार खरीदे, जिसमें पावर टिल्लर, सीड ड्रिल, कल्टीवेटर, चैप कट्टर, ब्रश कट्टर आदि सभी मशीनों का संग्रहण किया और आधुनिक खेती के तरीकों को अपनाया और अपनी आर्थिकी को बढ़ाया.

अब वह खेत में निरंतर शिमला मिर्च, फूल गोभी, पता गोभी, मटर, टमाटर और प्याज की फसलों को निरंतर उगा रहे हैं. इसके अतिरिक्त हल्दी, लहसुन, आलू आदि की भी खेती समय-समय पर करते है. कोरोना संक्रमण संकटकाल में भोपाल सिंह ने सब्जियों की विविधता के अंतर्गत लॉकडाउन की अनिश्चितता में अच्छी आय प्राप्त की.

किसान भोपाल सिंह को कृषि, पशु पालन और सब्जी उत्पादन में अनेकों पुरस्कार मिले, जिसमें कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2015 में खण्ड स्तर पर श्रेष्ठ किसान, पशु पालन विभाग द्वारा वर्ष 2017 में श्रेष्ठ पशु पालक और वर्ष 2019 में श्रेष्ठ सब्जी पालक और अन्य कई ट्रॉफियां भी मिली हैं.

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