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SHIMLA न SMART हो रहा न CLEAN, लंबी लड़ाई के बाद मिला था स्मार्ट CITY PROJECT - smart city project

नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट (dream project) स्मार्ट सिटी मिशन (smart city mission) को लेकर शिमला (Shimla) कछुआ चाल से रेंग रहा है. यही कारण है कि अधूरे कामों का असर पर्यटन सीजन (tourist season) पर भी पड़ रहा. वहीं, देश भर में स्वच्छता काे लेकर 65 से 102वें पायदान पर पहुंच गया.

CITY PROJECT
लंबी लड़ाई के बाद मिला था प्रोजेक्ट
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Published : Nov 22, 2021, 8:08 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 8:45 PM IST

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट(dream project) स्मार्ट सिटी मिशन (smart city mission) को लेकर शिमला (Shimla) कछुआ चाल से रेंग रहा है. ब्रिटिश कालीन समर कैपिटल (British carpet summer capital) शिमला को नए रंग रूप में ढालने के लिए करीब 2900 करोड़ रुपए का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट है. हालत यह है कि लंबे समय से चल रहे काम का अभी कुछ ही हिस्सा हो पाया. पांच साल में केंद्र की तरफ से जारी फंड का केवल 7 फीसदी ही प्रयोग हो पाया. अब हालत यह है कि न तो स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्य अंजाम पर पहुंच रहे हैं और न ही क्लीन शिमला अभियान (Clean Shimla Campaign) सफल हो रहा. स्वच्छता सर्वेक्षण की मौजूदा रैंकिंग ने शिमला को आइना दिखा दिया. शिमला शहर 65 नंबर से खिसक कर 102 पर पहुंच गया. यह हालत तब है जब शिमला शहर के विधायक जयराम सरकार (Jairam Government) में कैबिनेट मंत्री भी हैं.

स्मार्ट सिटी के अधूरे कामों का असर पर्यटन सीजन (tourist season) पर भी पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल में शिमला और धर्मशाला स्मार्ट सिटी (Dharamshala Smart City) की सूची में हैं. शिमला में इस मिशन के तहत कई काम किए जाने हैं. इनमें सड़कों को चौड़ा करना और शहर का सौंदर्यीकरण शामिल है. शिमला इस समय दो मोर्चों पर जूझ रहा है. स्मार्ट सिटी के काम के साथ क्लीन शिमला अभियान भी चल रहा, लेकिन इन दोनों मोर्चों पर शिमला पिछड़ रहा. सफाई के लिए नगर निगम के पास 11 सौ कर्मी और करोड़ों रुपए की मशीनें भी नगर निगम ने खरीदी, लेकिन वो केवल शो पीस बन कर रह गई. ये मशीनें केवल माल रोड और रिज मैदान (ridge ground)तक ही सफाई करने में सीमित है. यही नहीं शहर में भले ही नगर निगम घरों से रोज कूड़ा एकत्रित कर रहा .बावजूद इसके नालियों और पहाड़ियों पर कूड़ा बिखरा रहता .लोग भी नगर निगम की कार्यप्रणाली से नाखुश है. इसका कारण कोविड के दौरान घरों से कूड़ा न उठना और बिल जारी करने से लोग नगर निगम (Municipal council) से नाराज रहे. यही कारण है कि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण (cleanliness survey) में अपना फीडबैक कम दिया और कई लोगों ने अच्छा फीडबैक (Feedback) भी नहीं दिया.

नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल (Municipal Corporation Mayor Satya Kaundal) ने बताया कि इस बार काेविड के कारण टीमाें काे अलग अलग जगह ड्यूटियां लगाई गई थी. जिसके चलते सफाई व्यवस्था में थोड़ी चूक हुई और लोगों का सहयोग भी इस बार नहीं मिल पाया. आने वाले दिनाें में हम सफाई व्यवस्था काे और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करेंगे. अगली बार अच्छी रैंक मिले इसका प्रयास करेंगे.

65 से 102 पहुंची रैकिंग: देशभर में 1 से 10 लाख की आबादी वाले शहराें की रैंकिंग में शिमला पिछले साल के मुकाबले 37 अंकाें की रैंकिंग खाेकर पहले 100 में भी शामिल नहीं हाे पाया. अब शिमला देश भर में स्वच्छता काे लेकर 102वें पायदान पर पहुंच गया. शिमला शहर के लाेग ही नगर निगम के कामकाज से खुश नहीं. स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए जरूरी मानकाें में सिटीजन फीडबैक भी एक अहम फैक्टर था, लेकिन जब सर्वेक्षण के दाैरान लाेगाें की राय जानी गई, ताे सिटीजन फैक्टर ने लाेगाें ने शहर काे संभालने वालाें के कामकाज काे पूरी तरह से नकार दिया. सिटीजन फीडबैक (Citizen Feedback) से शिमला शहर की बहुत ही खराब राय सामने आई. सिटीजन फीडबैक में शिमला काे 1800 में से 927 ही नंबर ही मिले.

चार सालों में नही बन पाया स्मार्ट शहर : राजधानी में वर्ष 2017 में स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट काे शुरू किया गया, जबकि चार साल बीत जाने के बाद भी महज सड़कें चौड़ी करने के साथ डंगे ही लगाए जा रहे. शिमला काे स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कुल 2905 कराेड़ रुपए मिलने , लेकिन ये इतना समय वक्त बीतने के बाद भी शिमला काे इस प्राेजेक्ट में मिलने वाली ग्रांट का 7 फीसदी हिस्सा जाे मिला ,वाे ऐसे प्राेजेक्ट पर खर्च किया जा रह जाे स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट का हिस्सा ही नहीं थे. स्मार्ट सिटी के कार्यो को पूरा करने का लक्ष्य 2022 तक रखा गया ,लेकिन अभी आधे काम भी पूरे नही हो पाए. शिमला शहर में नगर निगम हर रोज घरों से कूड़ा उठाने का काम करता और शहर में सेग्रीगेशन व्यवस्था सही ढंग से लागू हाे, इसके लिए निगम ने सभी सैहब कर्मचारियाें काे अलग-अलग नीले और हरे रंग के बैग दिए थे, लेकिन शहर के कई लाेग भी सेग्रीगेशनन व्यवस्था काे फॉलाे नहीं कर रहे. यहां तक कि जंगलों में लोग कूड़ा फेंक रहे है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा. नगर निगम ने इसके लिए खासताैर पर सेनेटरी इंस्पेक्टर(sanitary inspector) और अधिकारियाें की ड्यूटियां लगाई थी, लेकिन तमाम प्रयासाें के बाद भी यह व्यवस्था सही ढंग से नहीं चली और शहर में गंदगी का आलम बन गया. हालांकि ,खुले में कूड़ा फेकने वालों पर जुर्माना करने की चेतावनी दी गई ,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

ये भी पढ़ें : टाइगर ऑफ वाटर के उत्पादन में देश का सिरमौर बनेगा हिमाचल, विलुप्त हो रही गोल्डन महाशीर को फिर मिलेगी पहचान

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट(dream project) स्मार्ट सिटी मिशन (smart city mission) को लेकर शिमला (Shimla) कछुआ चाल से रेंग रहा है. ब्रिटिश कालीन समर कैपिटल (British carpet summer capital) शिमला को नए रंग रूप में ढालने के लिए करीब 2900 करोड़ रुपए का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट है. हालत यह है कि लंबे समय से चल रहे काम का अभी कुछ ही हिस्सा हो पाया. पांच साल में केंद्र की तरफ से जारी फंड का केवल 7 फीसदी ही प्रयोग हो पाया. अब हालत यह है कि न तो स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कार्य अंजाम पर पहुंच रहे हैं और न ही क्लीन शिमला अभियान (Clean Shimla Campaign) सफल हो रहा. स्वच्छता सर्वेक्षण की मौजूदा रैंकिंग ने शिमला को आइना दिखा दिया. शिमला शहर 65 नंबर से खिसक कर 102 पर पहुंच गया. यह हालत तब है जब शिमला शहर के विधायक जयराम सरकार (Jairam Government) में कैबिनेट मंत्री भी हैं.

स्मार्ट सिटी के अधूरे कामों का असर पर्यटन सीजन (tourist season) पर भी पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हिमाचल में शिमला और धर्मशाला स्मार्ट सिटी (Dharamshala Smart City) की सूची में हैं. शिमला में इस मिशन के तहत कई काम किए जाने हैं. इनमें सड़कों को चौड़ा करना और शहर का सौंदर्यीकरण शामिल है. शिमला इस समय दो मोर्चों पर जूझ रहा है. स्मार्ट सिटी के काम के साथ क्लीन शिमला अभियान भी चल रहा, लेकिन इन दोनों मोर्चों पर शिमला पिछड़ रहा. सफाई के लिए नगर निगम के पास 11 सौ कर्मी और करोड़ों रुपए की मशीनें भी नगर निगम ने खरीदी, लेकिन वो केवल शो पीस बन कर रह गई. ये मशीनें केवल माल रोड और रिज मैदान (ridge ground)तक ही सफाई करने में सीमित है. यही नहीं शहर में भले ही नगर निगम घरों से रोज कूड़ा एकत्रित कर रहा .बावजूद इसके नालियों और पहाड़ियों पर कूड़ा बिखरा रहता .लोग भी नगर निगम की कार्यप्रणाली से नाखुश है. इसका कारण कोविड के दौरान घरों से कूड़ा न उठना और बिल जारी करने से लोग नगर निगम (Municipal council) से नाराज रहे. यही कारण है कि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण (cleanliness survey) में अपना फीडबैक कम दिया और कई लोगों ने अच्छा फीडबैक (Feedback) भी नहीं दिया.

नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल (Municipal Corporation Mayor Satya Kaundal) ने बताया कि इस बार काेविड के कारण टीमाें काे अलग अलग जगह ड्यूटियां लगाई गई थी. जिसके चलते सफाई व्यवस्था में थोड़ी चूक हुई और लोगों का सहयोग भी इस बार नहीं मिल पाया. आने वाले दिनाें में हम सफाई व्यवस्था काे और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करेंगे. अगली बार अच्छी रैंक मिले इसका प्रयास करेंगे.

65 से 102 पहुंची रैकिंग: देशभर में 1 से 10 लाख की आबादी वाले शहराें की रैंकिंग में शिमला पिछले साल के मुकाबले 37 अंकाें की रैंकिंग खाेकर पहले 100 में भी शामिल नहीं हाे पाया. अब शिमला देश भर में स्वच्छता काे लेकर 102वें पायदान पर पहुंच गया. शिमला शहर के लाेग ही नगर निगम के कामकाज से खुश नहीं. स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए जरूरी मानकाें में सिटीजन फीडबैक भी एक अहम फैक्टर था, लेकिन जब सर्वेक्षण के दाैरान लाेगाें की राय जानी गई, ताे सिटीजन फैक्टर ने लाेगाें ने शहर काे संभालने वालाें के कामकाज काे पूरी तरह से नकार दिया. सिटीजन फीडबैक (Citizen Feedback) से शिमला शहर की बहुत ही खराब राय सामने आई. सिटीजन फीडबैक में शिमला काे 1800 में से 927 ही नंबर ही मिले.

चार सालों में नही बन पाया स्मार्ट शहर : राजधानी में वर्ष 2017 में स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट काे शुरू किया गया, जबकि चार साल बीत जाने के बाद भी महज सड़कें चौड़ी करने के साथ डंगे ही लगाए जा रहे. शिमला काे स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कुल 2905 कराेड़ रुपए मिलने , लेकिन ये इतना समय वक्त बीतने के बाद भी शिमला काे इस प्राेजेक्ट में मिलने वाली ग्रांट का 7 फीसदी हिस्सा जाे मिला ,वाे ऐसे प्राेजेक्ट पर खर्च किया जा रह जाे स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट का हिस्सा ही नहीं थे. स्मार्ट सिटी के कार्यो को पूरा करने का लक्ष्य 2022 तक रखा गया ,लेकिन अभी आधे काम भी पूरे नही हो पाए. शिमला शहर में नगर निगम हर रोज घरों से कूड़ा उठाने का काम करता और शहर में सेग्रीगेशन व्यवस्था सही ढंग से लागू हाे, इसके लिए निगम ने सभी सैहब कर्मचारियाें काे अलग-अलग नीले और हरे रंग के बैग दिए थे, लेकिन शहर के कई लाेग भी सेग्रीगेशनन व्यवस्था काे फॉलाे नहीं कर रहे. यहां तक कि जंगलों में लोग कूड़ा फेंक रहे है, जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा. नगर निगम ने इसके लिए खासताैर पर सेनेटरी इंस्पेक्टर(sanitary inspector) और अधिकारियाें की ड्यूटियां लगाई थी, लेकिन तमाम प्रयासाें के बाद भी यह व्यवस्था सही ढंग से नहीं चली और शहर में गंदगी का आलम बन गया. हालांकि ,खुले में कूड़ा फेकने वालों पर जुर्माना करने की चेतावनी दी गई ,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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Last Updated : Nov 22, 2021, 8:45 PM IST
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