शिमला: पंजाब से आने वाली गाड़ियों से प्रतिबंधि झंडे हटाने के मामले ने और तूल पकड़ लिया है. अब सिख्स फॉर जस्टिस (Sikhs For Justice) संस्था की तरफ से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम एक चिट्ठी लिखी गई है. जिसमें 29 अप्रैल को शिमला में खालिस्तान का झंडा फहराने (Khalistan flag in Shimla) की चेतावनी दी गई है. चिट्ठी के मुताबिक SFJ की तरफ से इस कार्यक्रम के लिए 50 हजार डॉलर जुटाने की बात भी कही गई है.
ये चिट्ठी एसएफजे के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन्नू की तरफ से शिमला के पत्रकारों को भेजी गई है. जिसमें 29 अप्रैल को शिमला में खालिस्तान का झंडा फहराने की बात लिखी गई है. चिट्ठी में बताया गया है कि 29 अप्रैल को उस शिमला में झंडा फहराया जाएगा जो 1966 तक पंजाब की राजधानी थी. गौरतलब है कि 1966 में पंजाब से अलग होकर हिमाचल राज्य का गठन किया गया था. इस चिट्ठी में भिंडरावाले के तस्वीर और खालिस्तानी झंडे पर प्रतिबंध लगाने को लेकर सीएम जयराम ठाकुर का भी जिक्र किया गया है. एसएफजे के मुताबिक इसके बारे में हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी शुक्रवार 25 मार्च को जानकारी दी जा चुकी है. ये चिट्ठी शिमला के पत्रकारों को ई-मेल पर भेजी गई है.
चिट्ठी से साफ है कि SFJ ने हिमाचल में भिंडरावाले की फोटो और खालिस्तानी झंडे लगी गाड़ियों को रोकने पर ऐतराज जताया है. एसएफजे गुरपतवंत सिंह के मुताबिक साल 1966 तक शिमला पंजाब की राजधानी रही है. हिमाचल और हरियाणा भी पंजाब का हिस्सा रहे हैं, जिसे एक दिन खालिस्तान बनाया जाएगा और सिखों के हक वापस लेने के लिए शिमला से शुरुआत की जाएगी. उन्होंने कहा कि 29 अप्रैल 1986 को खालिस्तान दिवस की घोषणा हुई थी. इसके चलते ही इस साल 29 अप्रैल को शिमला में आवाज बुलंद करने का फैसला लिया गया है. पिछले साल भी 15 अगस्त एसएफजे की ओर से प्रदेश में तिरंगा फहराने को लेकर विरोध किया गया था.
आखिर क्या है मामला- बता दें कु बीते दिनों हिमाचल के ऊना, मंडी और कुल्लू में पंजाब से कुछ युवा अपने वाहनों में प्रतिबंधित झंडे लगाकर आए थे, जिस पर पुलिस की ओर से मोटर वाहन एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी. बताया गया कि पंजाब से आए युवकों की गाड़ियों पर जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर और कुछ प्रतिबंधित झंडे भी लगे थे. पुलिस ने इन तस्वीरों और झंडो के हटाने के अलावा नियम अनुसार वाहनों का चालान भी काटा गया. उसके बाद हिमाचल में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ पंजाब के किरतपुर में हिमाचल से आने वाले वाहनों को रोकने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इस वीडियो में हिमाचल प्रदेश से आ रहे वाहनों को रोकते हुए देखा जा सकता है.
सीएम जयराम ने क्या कहा था- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कहा था कि हिमाचल पुलिस ने ट्रैफिक नियमों के तहत अपना काम किया है. इस प्रकार झंडे लगाकर वाहन चलाना नियमों के खिलाफ है. पंजाब के श्रद्धालुओं से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, निशान साहब के झंडे का पूरा सम्मान है लेकिन वाहनों में प्रतिबंधित तस्वीरें, पोस्टर या झंडे लगे थे, जिसपर पुलिस ने नियमों के तहत कार्रवाई की थी. सीएम जयराम ने कहा था कि इस मामले को पंजाब सरकार के समक्ष उठाया गया है. सीएम ने कहा था कि राज्य सरकार भी पूरी तरह से गंभीर है और पंजाब सरकार को भी गंभीरता से कार्य करना चाहिए. इस मामले पर कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पर पंजाब के मुख्य सचिव से बातचीत हुई है. आगे से ऐसा न हो उसको लेकर आश्वस्त किया है.
SGPC ने सीएम जयराम को भेजा था नोटिस- सीएम जयराम ठाकुर के बयान के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने नोटिस जारी किया था. एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि राज्य के मुखिया हर समुदाय की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं, उनका सांप्रदायिक बयान देश की शांति को नुकसान पहुंचा सकता है. भारत एक बहु-धार्मिक और बहुभाषी देश है, जिसमें सभी को धार्मिक स्वतंत्रता है. संत जरनैल सिंह खालसा भिंडरांवाला सिखों के राष्ट्रीय शहीद थे, जिन्हें सिख समुदाय के सर्वोच्च धर्मस्थल श्री अकाल तख्त साहिब से शहीद की उपाधि से नवाजा गया था.
हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कई सिख धर्मस्थल हैं, जहां जा रहे सिखों की गाड़ियों को रोक कर निशान साहिब और सिख शहीदों के चित्रों को उनके वाहनों से जबरन हटाया जा रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मुद्दे पर पुलिस प्रशासन को रोकने के बजाए राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सिख भावनाओं के खिलाफ बयान दिया है. जयराम ठाकुर के बयान को लेकर एसजीपीसी ने नोटिस भेजने की बात कही है लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस तरह के किसी भी नोटिस की बात से इनकार किया है.
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