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हिमाचल में सड़क हादसों का होगा वैज्ञानिक अध्ययन, रोड सेफ्टी फंड गठन के बाद सरकार ने मांगे सुझाव  - हिमाचल प्रदेश रोड सेफ्टी फंड

हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे. इस साल अब तक विभिन्न दुर्घटनाओं में 96 लोगों की मौत हो चुकी है. हिमाचल प्रदेश में हर रोज औसतन तीन लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं. एक (road accident in himachal pradesh) अनुमान के अनुसार हिमाचल में मार्च 2020 से जनवरी 2021 के बीच कोविड से हुई मौतों और सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में आंकड़ों के लिहाज से कोई अधिक फर्क नहीं है. कुछ जिलों में कोविड से अधिक मौत सड़क हादसों में हुई है.

road accidents in Himachal
हिमाचल में सड़क हादसों का होगा वैज्ञानिक अध्ययन
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Published : Feb 15, 2022, 7:47 PM IST

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे. इस साल अब तक विभिन्न दुर्घटनाओं में 96 लोगों की मौत हो चुकी है. ब्लैक और ब्लाइंड स्पॉट्स की मरम्मत के बावजूद सड़क हादसे कम नहीं हो रहे. सभी उपाय करने के बाद भी हादसों पर अंकुश न लगने से अनमोल जीवन काल का ग्रास बन रहे हैं. अब हिमाचल में हादसों को रोकने के लिए अलग से रोड सेफ्टी फंड की अधिसूचना जारी की गई है.

सरकार हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगी. साथ ही अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन कर उनका दस्तावेज तैयार किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश में हर रोज औसतन तीन लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल में मार्च 2020 से (road accident in himachal pradesh) जनवरी 2021 के बीच कोविड से हुई मौतों और सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में आंकड़ों के लिहाज से कोई अधिक फर्क नहीं है. कुछ जिलों में कोविड से अधिक मौत सड़क हादसों में हुई है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने रोड सेफ्टी फंड और हादसों को रोकने के लिए अब सक्रिय प्रयास शुरू कर दिए हैं. रोड सेफ्टी फंड की अधिसूचना के साथ ही प्रदेशवासियों से 30 दिन में सुझाव मांगे गए हैं. राज्य में सड़क हादसे कैसे रोके जा सकते हैं, इसे लेकर सरकारी व गैर सरकारी संगठनों सहित सभी लोगों से सुझाव मांगे गए हैं.

ड्राफ्ट नियम तैयार करने के साथ ही सरकार ने कहा है कि फंड का नाम 'हिमाचल प्रदेश रोड सेफ्टी फंड रहेगा'. इस फंड का उपयोग हादसे रोकने के लिए जागरूकता अभियानों को गति देने, सुरक्षित वाहन चलाने का प्रशिक्षण देने सहित ट्रैफिक नियमों पर जागरूक करना होगा. हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा. यह पता लगाया जाएगा कि किस जिला में किन सड़कों पर किस तरह के हादसे पेश आ रहे हैं.

इसके अलावा रोड एक्सीडेंट का डाटा कलेक्ट कर उसकी समीक्षा की जाएगी साथ ही ब्लैक व ब्लाइंड स्पॉट्स पर दुर्घटनाओं का ट्रेंड पता किया जाएगा. अधिकांश हादसे ओवर स्पीड, नशे की हालत में वाहन चलाने और तीखे मोड़ के कारण होते हैं. फंड के जरिए पुलिस को सड़क सुरक्षा संबंधित उपकरण दिए जाएंगे और परिवहन विभाग को ट्रैफिक नियम सख्ती से लागू करवाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

हिमाचल प्रदेश में स्कूली बच्चों के वाहन भी हादसों (road accidents in Himachal) का शिकार हुए हैं. रोड सेफ्टी को दरकिनार करते हुए ओवर लोडिंग की जाती है. नूरपुर स्कूली बस हादसे के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को कई निर्देश दिए थे. उन सभी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा.

सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर सड़क हादसों में घायल होने वालों के लिए तुरंत इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित बनाने के लिए हर जिला में ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा. इसके अलावा खतरनाक सड़क मार्गों पर क्रैश बैरियर्स (crash barriers in hp) लगाए जाएंगे. जरूरत के अनुसार पैरापिट बनाए जाएंगे. इस व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर एक्सीडेंट में घायल लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत कैशलेस इलाज की व्यवस्था की जाएगी.

इसके लिए सरकार राज्य स्तरीय प्रबंध कमेटी का भी गठन करेगी. फंड की व्यवस्था के लिए अलग-अलग स्रोत चिन्हित किए जाएंगे. पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों से प्राप्त जुर्माने में से 50 फीसदी रोड सेफ्टी फंड में दिया जा सकता है. केंद्र सरकार से भी आर्थिक सहायता ली जा सकती है. सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं से अंशदान लिया जा सकता है. इसके अलावा उद्योग जगत से सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी की मदद भी ली जा सकती है. फंड का प्रबंधन परिवहन विभाग करेगा.

हिमाचल प्रदेश में पहली जनवरी से 15 फरवरी तक के आंकड़े देखें तो सड़क हादसों में 96 लोगों की मौत हुई है. सबसे अधिक जख्म शिमला जिला को मिले हैं. यहां दुर्घटनाओं में 19 लोगों की जान गई है. बड़ी बात यह है कि लाहौल स्पीति और कांगड़ा में भाग्यवश कोई भी सड़क हादसा नहीं हुआ है. अधिकतर सड़क हादसे शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा व सिरमौर जिला में हुए हैं.

इन सभी जिलों में सड़क मार्ग संकरे और तीखे मोड़ वाले हैं. इस अवधि में बिलासपुर में 7, चंबा में 7, हमीरपुर में 1, किन्नौर में 5, कुल्लू में 10, मंडी में 18, शिमला में 19, सिरमौर में 11, सोलन में 12 और ऊना में 7 लोगों की मौत हुई. मैदानी जिलों में ऊना में साल लोगों ने जान गवाई इसी तरह हमीरपुर में एक व्यक्ति की जान सड़क हादसे में हुई है.

सोलन जिले का बहुत सा हिस्सा बीबीएन यानी बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ के तहत आता है यह इलाका औद्योगिक क्षेत्र है और यहां रैश ड्राइविंग के कारण भी हादसे होते हैं. इसी तरह ऊना में तेज रफ्तार के कारण भी हादसे होते हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार रोड सेफ्टी फंड के गठन के बाद सभी से तीस दिन के भीतर सुझाव मांगे गए हैं.

परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि राज्य में सड़क हादसे रोकने के लिए रोड सेफ्टी फंड कारगर साबित होगा. हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन होने से उन्हें रोकने की कार्ययोजना आसानी से तैयार हो सकेगी. साथ ही हादसों की प्रवृत्ति का भी पता लगेगा. ऐसे में उन्हें रोकने के लिए दिशा मिलेगी.

सड़क हादसों के कारण हर साल होती है सैंकड़ों की मौत

वर्ष हादसेमौतें घायल
2008 2756 848 4836
2009 305111405579
2010 3069 1102 5335
2011309910725325
201228991109 5248
2013298110545081
20143058 1199 5680
20153015 1096 5109
2016315311635587
2017311911765338
20183115 11684836
201928441130 3105
202021908533740
202121709802865

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शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे. इस साल अब तक विभिन्न दुर्घटनाओं में 96 लोगों की मौत हो चुकी है. ब्लैक और ब्लाइंड स्पॉट्स की मरम्मत के बावजूद सड़क हादसे कम नहीं हो रहे. सभी उपाय करने के बाद भी हादसों पर अंकुश न लगने से अनमोल जीवन काल का ग्रास बन रहे हैं. अब हिमाचल में हादसों को रोकने के लिए अलग से रोड सेफ्टी फंड की अधिसूचना जारी की गई है.

सरकार हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन भी करेगी. साथ ही अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन कर उनका दस्तावेज तैयार किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश में हर रोज औसतन तीन लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल में मार्च 2020 से (road accident in himachal pradesh) जनवरी 2021 के बीच कोविड से हुई मौतों और सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में आंकड़ों के लिहाज से कोई अधिक फर्क नहीं है. कुछ जिलों में कोविड से अधिक मौत सड़क हादसों में हुई है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने रोड सेफ्टी फंड और हादसों को रोकने के लिए अब सक्रिय प्रयास शुरू कर दिए हैं. रोड सेफ्टी फंड की अधिसूचना के साथ ही प्रदेशवासियों से 30 दिन में सुझाव मांगे गए हैं. राज्य में सड़क हादसे कैसे रोके जा सकते हैं, इसे लेकर सरकारी व गैर सरकारी संगठनों सहित सभी लोगों से सुझाव मांगे गए हैं.

ड्राफ्ट नियम तैयार करने के साथ ही सरकार ने कहा है कि फंड का नाम 'हिमाचल प्रदेश रोड सेफ्टी फंड रहेगा'. इस फंड का उपयोग हादसे रोकने के लिए जागरूकता अभियानों को गति देने, सुरक्षित वाहन चलाने का प्रशिक्षण देने सहित ट्रैफिक नियमों पर जागरूक करना होगा. हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाएगा. यह पता लगाया जाएगा कि किस जिला में किन सड़कों पर किस तरह के हादसे पेश आ रहे हैं.

इसके अलावा रोड एक्सीडेंट का डाटा कलेक्ट कर उसकी समीक्षा की जाएगी साथ ही ब्लैक व ब्लाइंड स्पॉट्स पर दुर्घटनाओं का ट्रेंड पता किया जाएगा. अधिकांश हादसे ओवर स्पीड, नशे की हालत में वाहन चलाने और तीखे मोड़ के कारण होते हैं. फंड के जरिए पुलिस को सड़क सुरक्षा संबंधित उपकरण दिए जाएंगे और परिवहन विभाग को ट्रैफिक नियम सख्ती से लागू करवाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

हिमाचल प्रदेश में स्कूली बच्चों के वाहन भी हादसों (road accidents in Himachal) का शिकार हुए हैं. रोड सेफ्टी को दरकिनार करते हुए ओवर लोडिंग की जाती है. नूरपुर स्कूली बस हादसे के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को कई निर्देश दिए थे. उन सभी निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा.

सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर सड़क हादसों में घायल होने वालों के लिए तुरंत इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित बनाने के लिए हर जिला में ट्रॉमा सेंटर स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा. इसके अलावा खतरनाक सड़क मार्गों पर क्रैश बैरियर्स (crash barriers in hp) लगाए जाएंगे. जरूरत के अनुसार पैरापिट बनाए जाएंगे. इस व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर एक्सीडेंट में घायल लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत कैशलेस इलाज की व्यवस्था की जाएगी.

इसके लिए सरकार राज्य स्तरीय प्रबंध कमेटी का भी गठन करेगी. फंड की व्यवस्था के लिए अलग-अलग स्रोत चिन्हित किए जाएंगे. पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहनों से प्राप्त जुर्माने में से 50 फीसदी रोड सेफ्टी फंड में दिया जा सकता है. केंद्र सरकार से भी आर्थिक सहायता ली जा सकती है. सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं से अंशदान लिया जा सकता है. इसके अलावा उद्योग जगत से सीएसआर यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी की मदद भी ली जा सकती है. फंड का प्रबंधन परिवहन विभाग करेगा.

हिमाचल प्रदेश में पहली जनवरी से 15 फरवरी तक के आंकड़े देखें तो सड़क हादसों में 96 लोगों की मौत हुई है. सबसे अधिक जख्म शिमला जिला को मिले हैं. यहां दुर्घटनाओं में 19 लोगों की जान गई है. बड़ी बात यह है कि लाहौल स्पीति और कांगड़ा में भाग्यवश कोई भी सड़क हादसा नहीं हुआ है. अधिकतर सड़क हादसे शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा व सिरमौर जिला में हुए हैं.

इन सभी जिलों में सड़क मार्ग संकरे और तीखे मोड़ वाले हैं. इस अवधि में बिलासपुर में 7, चंबा में 7, हमीरपुर में 1, किन्नौर में 5, कुल्लू में 10, मंडी में 18, शिमला में 19, सिरमौर में 11, सोलन में 12 और ऊना में 7 लोगों की मौत हुई. मैदानी जिलों में ऊना में साल लोगों ने जान गवाई इसी तरह हमीरपुर में एक व्यक्ति की जान सड़क हादसे में हुई है.

सोलन जिले का बहुत सा हिस्सा बीबीएन यानी बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ के तहत आता है यह इलाका औद्योगिक क्षेत्र है और यहां रैश ड्राइविंग के कारण भी हादसे होते हैं. इसी तरह ऊना में तेज रफ्तार के कारण भी हादसे होते हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार रोड सेफ्टी फंड के गठन के बाद सभी से तीस दिन के भीतर सुझाव मांगे गए हैं.

परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि राज्य में सड़क हादसे रोकने के लिए रोड सेफ्टी फंड कारगर साबित होगा. हादसों का वैज्ञानिक अध्ययन होने से उन्हें रोकने की कार्ययोजना आसानी से तैयार हो सकेगी. साथ ही हादसों की प्रवृत्ति का भी पता लगेगा. ऐसे में उन्हें रोकने के लिए दिशा मिलेगी.

सड़क हादसों के कारण हर साल होती है सैंकड़ों की मौत

वर्ष हादसेमौतें घायल
2008 2756 848 4836
2009 305111405579
2010 3069 1102 5335
2011309910725325
201228991109 5248
2013298110545081
20143058 1199 5680
20153015 1096 5109
2016315311635587
2017311911765338
20183115 11684836
201928441130 3105
202021908533740
202121709802865

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