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हिमाचल में सवर्ण आयोग का विरोध शुरू, सरकार से नोटिफिकेशन वापस लेने की हो रही मांग

हिमाचल प्रदेश में सवर्ण आयोग गठन (upper caste commission in Himachal) के ऐलान के बाद से इसका विरोध होना शुरू हो गया है. संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता प्रेम धरैक ने कहा कि अनुसूचित व अन्य पिछड़ा वर्ग (Himachal Backward Classes United Front) को आरक्षण न के बराबर है. इन आरक्षित पदों में भी लंबा बैकलॉग चला हुआ है. कई पदों पर योग्यता के अभाव में पदों को खत्म कर दिया जाता है. उच्च पदों पर 99 फीसदी आरक्षित पहली बार पहुंचते हैं. पदोन्नति में आरक्षण तक हिमाचल सरकार नहीं दे रही है.

sc st and obc sanyukt morcha
फोटो.
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Published : Dec 22, 2021, 3:15 PM IST

Updated : Dec 22, 2021, 4:56 PM IST

शिमला: हिमाचल में सवर्ण आयोग के गठन के ऐलान (upper caste commission in Himachal) के बाद सरकार घिरती नजर आ रही है. हिमाचल में बढ़ते जातीय तनाव व दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग सयुंक्त संघर्ष मोर्चा (Himachal Backward Classes United Struggle Front) बनाया गया है. सवर्ण आयोग की आड़ में प्रदेश में शांति भंग करने की कोशिश की जा रही है. उक्त बातें हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता प्रेम धरैक ने बुधवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही.

प्रेम धरैक का कहना है कि मोर्चा हिमाचल में सवर्ण आयोग के गठन का विरोध करता है. 80 फीसदी सरकारी नौकरी सामान्य वर्ग के पास है. इस पर कोई आवाज नहीं उठाता है. सवर्ण व दलित के बीच खाई कम करने के लिए दिए गए आरक्षण पर हाय तौबा मची हुई है. जातिवाद के बंधन खत्म नहीं हो पाए हैं. ऐसे में आरक्षण खत्म करने की मांग बेमानी है.

वीडियो.

अनुसूचित व अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण न के बराबर है. इन आरक्षित पदों में भी लंबा बैकलॉग चला हुआ है. कई पदों पर योग्यता के अभाव में पदों को खत्म कर दिया जाता है. उच्च पदों पर 99 फीसदी आरक्षित पहली बार पहुंचते हैं. पदोन्नति में आरक्षण तक हिमाचल सरकार नहीं दे रही है. आरक्षण को आर्थिक आधार पर तौलना गलत है. क्योंकि आरक्षण पिछड़े व समानता लाने के लिए है. आज तर्क दिया जा रहा है कि जातीय आधार पर आरक्षण न देकर आर्थिक आधार पर होना चाहिए, लेकिन आज भी जातीय भेदभाव की दीवारें टूट नहीं पाई हैं.


उन्होंने कहा कि झूठा प्रोपगेंडा किया जा रहा. शूद्रों को इंसान समझो, छुआ छूत खत्म करो आरक्षण खुद खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रतिनिधित्व, पिछड़ी जाति को मुख्य धारा में लाने के लिए सबको एक साथ लेकर चलें. हिमाचल में 25 फीसदी आबादी है. 15 फीसदी आरक्षण का प्रावधान जबकि 8-9 फीसदी ही आरक्षण मिल रहा है. डेढ़ लाख भर्ती पिछले दरवाजें से हो रही जिसमें कोई आरक्षण नहीं. आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है. सवर्ण आयोग दलितों के अधिकार को खत्म करने के लिए है. इस लिए सरकार को सवर्ण आयोग का नोटिफिकेशन वापस लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें: school Student Smoking in Himachal: हिमाचल में 34 फीसदी स्कूली बच्चे उड़ाते हैं बीड़ी-सिगरेट का धुंआ, लड़कियां भी पीछे नहीं

शिमला: हिमाचल में सवर्ण आयोग के गठन के ऐलान (upper caste commission in Himachal) के बाद सरकार घिरती नजर आ रही है. हिमाचल में बढ़ते जातीय तनाव व दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग सयुंक्त संघर्ष मोर्चा (Himachal Backward Classes United Struggle Front) बनाया गया है. सवर्ण आयोग की आड़ में प्रदेश में शांति भंग करने की कोशिश की जा रही है. उक्त बातें हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता प्रेम धरैक ने बुधवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही.

प्रेम धरैक का कहना है कि मोर्चा हिमाचल में सवर्ण आयोग के गठन का विरोध करता है. 80 फीसदी सरकारी नौकरी सामान्य वर्ग के पास है. इस पर कोई आवाज नहीं उठाता है. सवर्ण व दलित के बीच खाई कम करने के लिए दिए गए आरक्षण पर हाय तौबा मची हुई है. जातिवाद के बंधन खत्म नहीं हो पाए हैं. ऐसे में आरक्षण खत्म करने की मांग बेमानी है.

वीडियो.

अनुसूचित व अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण न के बराबर है. इन आरक्षित पदों में भी लंबा बैकलॉग चला हुआ है. कई पदों पर योग्यता के अभाव में पदों को खत्म कर दिया जाता है. उच्च पदों पर 99 फीसदी आरक्षित पहली बार पहुंचते हैं. पदोन्नति में आरक्षण तक हिमाचल सरकार नहीं दे रही है. आरक्षण को आर्थिक आधार पर तौलना गलत है. क्योंकि आरक्षण पिछड़े व समानता लाने के लिए है. आज तर्क दिया जा रहा है कि जातीय आधार पर आरक्षण न देकर आर्थिक आधार पर होना चाहिए, लेकिन आज भी जातीय भेदभाव की दीवारें टूट नहीं पाई हैं.


उन्होंने कहा कि झूठा प्रोपगेंडा किया जा रहा. शूद्रों को इंसान समझो, छुआ छूत खत्म करो आरक्षण खुद खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रतिनिधित्व, पिछड़ी जाति को मुख्य धारा में लाने के लिए सबको एक साथ लेकर चलें. हिमाचल में 25 फीसदी आबादी है. 15 फीसदी आरक्षण का प्रावधान जबकि 8-9 फीसदी ही आरक्षण मिल रहा है. डेढ़ लाख भर्ती पिछले दरवाजें से हो रही जिसमें कोई आरक्षण नहीं. आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है. सवर्ण आयोग दलितों के अधिकार को खत्म करने के लिए है. इस लिए सरकार को सवर्ण आयोग का नोटिफिकेशन वापस लेना चाहिए.

ये भी पढ़ें: school Student Smoking in Himachal: हिमाचल में 34 फीसदी स्कूली बच्चे उड़ाते हैं बीड़ी-सिगरेट का धुंआ, लड़कियां भी पीछे नहीं

Last Updated : Dec 22, 2021, 4:56 PM IST
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