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जेल सुधार की मिसाल बना हिमाचल, कैदी करते हैं 1 करोड़ से ज्यादा की कमाई, अब जल्द सिल सकते स्कूल के यूनिफॉर्म

हिमाचल के कैदी स्कूली बच्चों की वर्दी सिलने को तैयार हैं. जेल विभाग ने शिक्षा विभाग को प्रस्ताव दिया है कि स्कूली वर्दियां सिलने का काम उन्हें दिया जाए. वहीं, जानकारी के मुताबिक बंदियों को डेढ़ करोड़ वार्षिक वेतन मिला है.

कैदियों को दिया गया डेढ़ करोड़ रुपये वार्षिक वेतन,
कैदियों को दिया गया डेढ़ करोड़ रुपये वार्षिक वेतन,
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Published : Oct 9, 2021, 7:38 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 7:43 PM IST

शिमला : हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद कैदी विभिन्न कार्यों से हर साल करोड़ों रुपए कमा रहे हैं. जेल सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयास रंग ला रहे हैं. बेकरी उत्पादों से लेकर बुनकर के काम में लीन कैदी अब स्कूली बच्चों की वर्दी सिलने के लिए भी तैयार हैं. कैदियों की इस सक्रियता का सदुपयोग करते हुए जेल विभाग ने हिमाचल के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष ये प्रस्ताव रखा कि उन्हें स्कूली वर्दियां सिलने का काम दिया जाए. इससे पहले कैदी पुलिस के अफसरों की वर्दियां भी सफलता से सिल चुके हैं. जानकारी के मुताबिक बंदियों को डेढ़ करोड़ वार्षिक वेतन दिया गया हैं.

अब जेल विभाग के अधिकारियों ने शिक्षा विभाग के समक्ष वर्दी का काम कैदियों के हवाले करने का प्रस्ताव रखा है. जेल सुधार के तहत हर हाथ को काम के मंत्र पर चल रहा है.यदि स्कूली वर्दी सिलने का काम मिलेगा तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. जेल विभाग के राजस्व में भी इससे बढ़ोतरी होगी. प्रदेश सरकार द्वारा स्मार्ट वर्दी आवंटन में हो रही देरी के बीच शिक्षा विभाग से जेल विभाग के अधिकारियों ने उन्हें वर्दी का काम सौंपने का आग्रह किया.

इस प्रस्ताव को माने जाने की स्थिति में प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थी जेल बंदियों के हाथों से बनी वर्दी पहन सकेंगे. सरकार द्वारा जेल विभाग को वर्दी का काम सौंपे जाने की स्थिति में बंदियों को नियमित काम मिलने से होने वाली आमदनी से वे परिवार के भरण पोषण में और अधिक योगदान दे सकेंगे. यहां बता दें कि जेलों में बंद कई कैदी ऐसे हैं, जो परिवार की रोजी -रोटी का इंतजाम करने वाले अकेले व्यक्ति है. प्रदेश के कारागारों में बंदियों को व्यस्त रखने व कारागार से बाहर निकलने के बाद उन्हें रोजी -रोटी कमाने में सक्षम बनाने के मकसद से जेल विभाग ने हर हाथ को काम के सूत्र वाक्य को अपनाया. जेल विभाग के प्रयासों का ही नतीजा है कि कैदी बेकरी के सामान के अलावा फर्नीचर बना रहे. कपड़े की सिलाई का काम भी करते हैं. कैदी अब सिलाई व कढ़ाई के काम में काफी निपुण हो गए.


हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों को सोने के लिए अब आरामदायक गद्दे भी दिए गए. ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. जेल प्रशासन ने कैदियों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए सूबे के सभी कारागारों को अब डबल स्टोरी करने का निर्णय लिया है. प्रदेश में शुरू किए गए हर हाथ को काम योजना के तहत गत वर्ष प्रदेश में कैदियों को डेढ़ करोड़ रुपये वेतन के रूप में दिया ,जबकि जेल प्रशासन की कमाई सालाना टर्नओवर पांच करोड़ करीब है.

प्रदेश की जेलों में छह से सात प्रतिशत कैदी बाहर काम कर रहे. कुल्लू, मंडी, रामपुर, किन्नौर और नालागढ़ में नई जेलों का निर्माण किया जा रहा है, क्योंकि इन जिलों की जेलों की दशा ठीक नहीं थी. इसके अलावा प्रदेश की जेलों में हरियाणा की तर्ज पर हर्बल खेती की जाएगी. इससे जहां कैदियों को काम करने का मौका मिलेगा. वहीं, प्रकृति के साथ भी उनका लगाव बढ़ेगा. प्रदेश की जेलों में रेडियो शुरू किया गया है, जिससे संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा की जेलों में भी रेडियो को शुरू किया गया है. पूर्व डीजीपी सोमेश गोयल का कहना है कि जेलों में बंद कैदियों के लिए काफी कुछ किया जा रहा है,ताकि इससे उनके परिवार को सहायता मिल सके.

ये भी पढ़ें : लंबे इंतजार के बाद खुली 'रामोजी फिल्म सिटी', पहले ही दिन हजारों पर्यटक पहुंचे

शिमला : हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद कैदी विभिन्न कार्यों से हर साल करोड़ों रुपए कमा रहे हैं. जेल सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयास रंग ला रहे हैं. बेकरी उत्पादों से लेकर बुनकर के काम में लीन कैदी अब स्कूली बच्चों की वर्दी सिलने के लिए भी तैयार हैं. कैदियों की इस सक्रियता का सदुपयोग करते हुए जेल विभाग ने हिमाचल के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष ये प्रस्ताव रखा कि उन्हें स्कूली वर्दियां सिलने का काम दिया जाए. इससे पहले कैदी पुलिस के अफसरों की वर्दियां भी सफलता से सिल चुके हैं. जानकारी के मुताबिक बंदियों को डेढ़ करोड़ वार्षिक वेतन दिया गया हैं.

अब जेल विभाग के अधिकारियों ने शिक्षा विभाग के समक्ष वर्दी का काम कैदियों के हवाले करने का प्रस्ताव रखा है. जेल सुधार के तहत हर हाथ को काम के मंत्र पर चल रहा है.यदि स्कूली वर्दी सिलने का काम मिलेगा तो उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. जेल विभाग के राजस्व में भी इससे बढ़ोतरी होगी. प्रदेश सरकार द्वारा स्मार्ट वर्दी आवंटन में हो रही देरी के बीच शिक्षा विभाग से जेल विभाग के अधिकारियों ने उन्हें वर्दी का काम सौंपने का आग्रह किया.

इस प्रस्ताव को माने जाने की स्थिति में प्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थी जेल बंदियों के हाथों से बनी वर्दी पहन सकेंगे. सरकार द्वारा जेल विभाग को वर्दी का काम सौंपे जाने की स्थिति में बंदियों को नियमित काम मिलने से होने वाली आमदनी से वे परिवार के भरण पोषण में और अधिक योगदान दे सकेंगे. यहां बता दें कि जेलों में बंद कई कैदी ऐसे हैं, जो परिवार की रोजी -रोटी का इंतजाम करने वाले अकेले व्यक्ति है. प्रदेश के कारागारों में बंदियों को व्यस्त रखने व कारागार से बाहर निकलने के बाद उन्हें रोजी -रोटी कमाने में सक्षम बनाने के मकसद से जेल विभाग ने हर हाथ को काम के सूत्र वाक्य को अपनाया. जेल विभाग के प्रयासों का ही नतीजा है कि कैदी बेकरी के सामान के अलावा फर्नीचर बना रहे. कपड़े की सिलाई का काम भी करते हैं. कैदी अब सिलाई व कढ़ाई के काम में काफी निपुण हो गए.


हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों को सोने के लिए अब आरामदायक गद्दे भी दिए गए. ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. जेल प्रशासन ने कैदियों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए सूबे के सभी कारागारों को अब डबल स्टोरी करने का निर्णय लिया है. प्रदेश में शुरू किए गए हर हाथ को काम योजना के तहत गत वर्ष प्रदेश में कैदियों को डेढ़ करोड़ रुपये वेतन के रूप में दिया ,जबकि जेल प्रशासन की कमाई सालाना टर्नओवर पांच करोड़ करीब है.

प्रदेश की जेलों में छह से सात प्रतिशत कैदी बाहर काम कर रहे. कुल्लू, मंडी, रामपुर, किन्नौर और नालागढ़ में नई जेलों का निर्माण किया जा रहा है, क्योंकि इन जिलों की जेलों की दशा ठीक नहीं थी. इसके अलावा प्रदेश की जेलों में हरियाणा की तर्ज पर हर्बल खेती की जाएगी. इससे जहां कैदियों को काम करने का मौका मिलेगा. वहीं, प्रकृति के साथ भी उनका लगाव बढ़ेगा. प्रदेश की जेलों में रेडियो शुरू किया गया है, जिससे संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा की जेलों में भी रेडियो को शुरू किया गया है. पूर्व डीजीपी सोमेश गोयल का कहना है कि जेलों में बंद कैदियों के लिए काफी कुछ किया जा रहा है,ताकि इससे उनके परिवार को सहायता मिल सके.

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Last Updated : Oct 9, 2021, 7:43 PM IST
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