शिमलाः हिमाचल में अनलॉक-वन में निजी बस ऑपरेटरर्स ने 60 फीसदी सवारियों के आदेश को मानते हुए बस चलाना तो शुरू कर दिया है, लेकिन सवारी कम मिलने से उनकी परेशानी बढ़ गई है. उनका कहना है कि इससे बसों का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
इस बारे में निजी बस ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव रमेश कमल ने बताया कि सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए 60 फीसदी क्षमता में बसें चलाने को तैयार हैं, लेकिन जिस प्रकार डीजल, स्पेयर पार्ट्स और अन्य चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. इसके लिए सामान्य किराए में 50 फीसदी बढ़ोत्तरी करना जरूरी है.
ऑपरेटरर्स यूनियन का कहना है कि लॉकडाउन के कारण निजी बस ऑपरेटर का व्यवसाय बिल्कुल खत्म हो गया है. इस व्यवस्था को फिर से शुरू करना पड़ेगा. इस लिए जरूरी है कि बस ऑपरेटरों को फिर व्यवसाय शुरू करने के लिए वर्किंग केपिटल दिया जाए.
इसके अतिरिक्त बैंकों में बिना ब्याज या कम ब्याज में ऋण उपलब्ध करवाया जाए. रमेश कमल ने बताया कि बसों में 60 फीसदी क्षमता से चलना है तो इंश्योरेंश का 100 फीसदी प्रीमियम देना तर्क संगत नहीं है. इसलिए प्रदेश सरकार से आग्रह है कि इस मामले को केंद्र से उठाना चाहिए और केंद्र इंश्योरेंश कम्पनियों को आदेश दें कि जब तक स्थिति सामान्य न हो जाये तब तक इंश्योरेंश में 60 फीसदी सीट का ही लिया जाए.
रमेश कमल ने बताया की बसों से सम्बंधित दस्तावेज को पूरा करने की अवधि को 30 सितंबर 2020 तक बढ़ाया जाए, ताकि जिन ऑपरेटरों के दस्तावेज समाप्त हो चुके हैं वह बिना पेनल्टी फिर से इनका नवीनीकरण करवा सकें.
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