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Ram lal Markanda in Shimla: हाटी के मसले पर मंत्री के सरकार से अलग सुर, जानें क्या कहा

Minister Ram lal Markanda in Shimla: हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाकर जिले की पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने का सपना पालने वाली भाजपा को उनके ही ट्राइबल मंत्री ने न्यू हाटी वाला मार्ग दिखा दिया है. ट्राइबल मिनिस्टर राम लाल मारकंडा का कहना है कि हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा तो मिले, लेकिन उन्हें न्यू एसटी में शामिल किया जाए. अब ये न्यू एसटी क्या है इसके बारे में उन्होंने सपष्ट नहीं किया.

Minister Ram lal Markanda in Shimla
शिमला में ट्राइबल मिनिस्टर रामलाल मारकंडा की प्रेस वार्ता
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Published : Sep 14, 2022, 3:38 PM IST

शिमला: चुनावी साल में हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाकर जिले की पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने का सपना पालने वाली भाजपा को उनके ही ट्राइबल मंत्री ने न्यू हाटी वाला मार्ग दिखा दिया है. हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाने के सीएम जयराम ठाकुर और भाजपा के वादे से अलग ट्राइबल मिनिस्टर ने अलग ही राह पकड़ ली है.

न्यू एसटी क्या है?: ट्राइबल मिनिस्टर राम लाल मारकंडा का कहना है कि हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा तो मिले, लेकिन उन्हें न्यू एसटी में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय को एसटी का दर्जा मिले इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इन सभी को न्यू एसटी का दर्जा मिले. अब ये न्यू एसटी क्या है इसके बारे में उन्होंने सपष्ट नहीं किया. चुनावी साल में हिमाचल भाजपा को सिरमौर जिले की पांच सीटों पर इस कदम का लाभ लेने की कोशिश कर रही है. गिरिपार इलाके की तीन लाख से अधिक की आबादी है. ये समुदाय दशकों से जनजातीय का दर्जा मांग रहा है.

वीडियो.

गिरिपार के लोगों के पास सबसे पुख्ता (Minister Ram lal Markanda in Shimla) तर्क ये है कि जब समान परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के जौंसार बावर इलाके को उक्त दर्जा दिया जा सकता है तो हाटी समुदाय के साथ भेद भाव क्यों? फिलहाल दशकों का इंतजार खत्म होने के आसार हैं. हिमाचल की विभिन्न सरकारों ने गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए. इस बारे में कई बार अपडेट रिपोर्ट आरजीआई को सौंपी गई. इस बार गिरिपार की जनता ने ठान लिया था कि जनजातीय का दर्जा लेकर रहेंगे. इसके लिए निरंतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए गए.

नौबत यहां तक आई थी कि लोगों ने (Hati community Fighting for Tribal status) विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. केंद्रीय हाटी समिति ने राजनेताओं को अपने मंच पर नहीं आने दिया था. गिरिपार की जनता पांच दशक से भी अधिक समय से अपनी मांग को लेकर आवाज उठा रही है? भाजपा के शिमला सीट से पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप और मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप ने अनेक बार इस मुद्दे को उठाया. आरजीआई के समक्ष पक्ष रखा.

हिमाचल भाजपा के कद्दावर नेता (hati community in himachal) व पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने तो पार्टी से यहां तक कह दिया था कि यदि हाटी समुदाय को हक नहीं मिलता है तो वे चुनाव में वोट मांगने नहीं जाएंगे. कारण ये था कि लोग सीधे इसी मुद्दे पर घेरने की योजना बना चुके थे. हाटी समुदाय की चेतावनी के बाद भाजपा सांसद सुरेश कश्यप, शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, रेणुका के विधायक विनय कुमार ने ऐलान किया कि कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन ने तो यहां तक कहा था कि अगर ये मांग पूरी नहीं हुई तो तो वह अपना पद छोड़ देंगे.

हाटी समुदाय के आंदोलन में (Tribal status to Giripar of Sirmaur) मार्गदर्शन का काम कर रहे केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल और डॉ. रमेश सिंगटा का कहना है कि सभी के सामूहिक प्रयास से ये आंदोलन सफल होने जा रहा है. डॉ. सिंगटा का कहना है कि आम जनता खासकर महिलाओं ने संघर्ष का जो जज्बा दिखाया है, उससे हाटी समुदाय को हक मिलने के आसार बन गए थे.

ये भी पढे़ं- 'कर्ज में डूबा है हिमाचल प्रदेश, सीएम जयराम कर रहे लोक लुभानी घोषणाएं'

शिमला: चुनावी साल में हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाकर जिले की पांचों सीटों पर जीत दर्ज करने का सपना पालने वाली भाजपा को उनके ही ट्राइबल मंत्री ने न्यू हाटी वाला मार्ग दिखा दिया है. हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाने के सीएम जयराम ठाकुर और भाजपा के वादे से अलग ट्राइबल मिनिस्टर ने अलग ही राह पकड़ ली है.

न्यू एसटी क्या है?: ट्राइबल मिनिस्टर राम लाल मारकंडा का कहना है कि हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा तो मिले, लेकिन उन्हें न्यू एसटी में शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय को एसटी का दर्जा मिले इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इन सभी को न्यू एसटी का दर्जा मिले. अब ये न्यू एसटी क्या है इसके बारे में उन्होंने सपष्ट नहीं किया. चुनावी साल में हिमाचल भाजपा को सिरमौर जिले की पांच सीटों पर इस कदम का लाभ लेने की कोशिश कर रही है. गिरिपार इलाके की तीन लाख से अधिक की आबादी है. ये समुदाय दशकों से जनजातीय का दर्जा मांग रहा है.

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गिरिपार के लोगों के पास सबसे पुख्ता (Minister Ram lal Markanda in Shimla) तर्क ये है कि जब समान परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के जौंसार बावर इलाके को उक्त दर्जा दिया जा सकता है तो हाटी समुदाय के साथ भेद भाव क्यों? फिलहाल दशकों का इंतजार खत्म होने के आसार हैं. हिमाचल की विभिन्न सरकारों ने गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिलाने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए. इस बारे में कई बार अपडेट रिपोर्ट आरजीआई को सौंपी गई. इस बार गिरिपार की जनता ने ठान लिया था कि जनजातीय का दर्जा लेकर रहेंगे. इसके लिए निरंतर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए गए.

नौबत यहां तक आई थी कि लोगों ने (Hati community Fighting for Tribal status) विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था. केंद्रीय हाटी समिति ने राजनेताओं को अपने मंच पर नहीं आने दिया था. गिरिपार की जनता पांच दशक से भी अधिक समय से अपनी मांग को लेकर आवाज उठा रही है? भाजपा के शिमला सीट से पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप और मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप ने अनेक बार इस मुद्दे को उठाया. आरजीआई के समक्ष पक्ष रखा.

हिमाचल भाजपा के कद्दावर नेता (hati community in himachal) व पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने तो पार्टी से यहां तक कह दिया था कि यदि हाटी समुदाय को हक नहीं मिलता है तो वे चुनाव में वोट मांगने नहीं जाएंगे. कारण ये था कि लोग सीधे इसी मुद्दे पर घेरने की योजना बना चुके थे. हाटी समुदाय की चेतावनी के बाद भाजपा सांसद सुरेश कश्यप, शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान, रेणुका के विधायक विनय कुमार ने ऐलान किया कि कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन ने तो यहां तक कहा था कि अगर ये मांग पूरी नहीं हुई तो तो वह अपना पद छोड़ देंगे.

हाटी समुदाय के आंदोलन में (Tribal status to Giripar of Sirmaur) मार्गदर्शन का काम कर रहे केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ. अमीचंद कमल और डॉ. रमेश सिंगटा का कहना है कि सभी के सामूहिक प्रयास से ये आंदोलन सफल होने जा रहा है. डॉ. सिंगटा का कहना है कि आम जनता खासकर महिलाओं ने संघर्ष का जो जज्बा दिखाया है, उससे हाटी समुदाय को हक मिलने के आसार बन गए थे.

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