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कर्मचारियों को दरकिनार न करे सरकार नहीं तो करेंगे आंदोलन: हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ

हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) ने शिमला में प्रेस वार्ता का आयोजन किया. इस दौरान महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि छठे वेतन आयोग के लागू होने से हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ है और इसी सिलसिले को लेकर उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव से भी मुलाकात की और ज्ञापन भी सौंपा. वहीं, संघ का कहना है कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे अब न्यायालय के माध्यम से इस लड़ाई को लड़ेंगे.

Himachal Joint Employees Federation PC
हिमाचल संयुक्त कर्मचारी महासंघ प्रेसवार्ता
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Published : Mar 12, 2022, 4:23 PM IST

शिमला: छठे वेतन आयोग के लागू होने से हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) है. यह पहला मौका है कि जब मूल वेतन के मामले में हिमाचल सरकार ने पंजाब को लागू नहीं किया है. इसके खिलाफ हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ लगातार प्रयासरत है. यह बात शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान ने (Himachal Joint Employees Federation PC) कही.

उन्होंने कहा कि पिछले कल शुक्रवार को इसी सिलसिले में कर्मचारी महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रमोद सक्सेना से उनके कार्यालय में भी मिला. प्रतिनिधिमंडल ने सभी बातों पर चर्चा कर अभी तक की स्थिति को जानने का प्रयास किया और अभी तक इस संदर्भ में कोई कार्रवाई न होने पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो कमेटी गठित की है, उस कमेटी की ना तो कोई बैठक हुई है और ना ही उसमें कोई आगामी कार्रवाई हो पाई है.

वीरेन्द्र चौहान ने कहा कि बैठक न होने की वजह से जो हमारी मांगे है , जिसमें 2 साल के राइडर को खत्म करना और इनिशियल स्टार्ट की बहाली करना, जो कि 27 सितंबर 2012 की अधिसूचना के कारण वेतन संशोधन के दौरान लगाई गई थी, जो कि पंजाब से हटकर (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) थी. उसे हटाने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है. साथ ही साथ 4-9-14 टाइम स्केल जिसको लेकर महासंघ मांग कर रहा था, इस संदर्भ में दिनांक 26-2- 2013, 7-7-2014 और 9-9-2014 की अधिसूचना को समाप्त कर 2009 की अधिसूचना के अनुसार 4-9-14 की बहाली कर सभी कर्मचारियों को उसका लाभ देकर वर्तमान फिक्सेशन में उसकी गणना कर उसका लाभ देने की मांग की गई है. जिस पर वित्त विभाग की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.

उन्होंने कहा कि महासंघ ने पिछले कल शुक्रवार को एसीएस फाइनेंस प्रमोद सक्सेना को अपनी मांगों के संदर्भ में एक अतिरिक्त ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें कहा गया है कि कर्मचारियों को 31 दिसंबर 2015 के मूल वेतन पर ही फैक्टर लगाया जाए और जिस तरह से 2 पॉइंट 5-9 फैक्टर को लेने वाले कर्मचारियों के लिए दोबारा से 1-1-2012 से नोशनल फिक्सेशन कर उनके मूल वेतन को 31- 12 -2015 की स्थिति में वास्तविक मूल वेतन से कम करके उस पर फैक्टर लगाया गया (Himachal Joint Employees Federation PC) है. क्योंकि कर्मचारियों ने 1-10- 2012 की तिथि से जो बढ़ा हुआ ग्रेड पे लिया था उसको नहीं माना गया है और उसकी वजह से कर्मचारियों के 4-9-14 टाइम स्केल का एक लाभ भी खत्म हुआ है.

इस संदर्भ में महासंघ ने अपने मांग पत्र के माध्यम से मांग की है कि सभी कर्मचारियों को 31 -12- 2015 की स्थिति में 2.59 का फैक्टर लगाना एक संवैधानिक प्रक्रिया है. जिस तरह से कर्मचारियों को पीछे किया जा रहा है और उनको नुकसान हो रहा है. उसके खिलाफ महासंघ पहले से ही सरकार के खिलाफ आंदोलनरत है और संघर्ष के माध्यम से इसे ठीक करने का प्रयास करेगा. उसके बाद भी यदि सरकार नहीं मानती है तो न्यायालय के माध्यम से भी इस लड़ाई को लड़ेंगे, जिससे लाखों कर्मचारियों को नुकसान की भरपाई की जा सके.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में AAP ने किया चुनाव लड़ने का ऐलान, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन बोले- कांग्रेस नहीं बीजेपी से होगा मुकाबला

शिमला: छठे वेतन आयोग के लागू होने से हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) है. यह पहला मौका है कि जब मूल वेतन के मामले में हिमाचल सरकार ने पंजाब को लागू नहीं किया है. इसके खिलाफ हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ लगातार प्रयासरत है. यह बात शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान ने (Himachal Joint Employees Federation PC) कही.

उन्होंने कहा कि पिछले कल शुक्रवार को इसी सिलसिले में कर्मचारी महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रमोद सक्सेना से उनके कार्यालय में भी मिला. प्रतिनिधिमंडल ने सभी बातों पर चर्चा कर अभी तक की स्थिति को जानने का प्रयास किया और अभी तक इस संदर्भ में कोई कार्रवाई न होने पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो कमेटी गठित की है, उस कमेटी की ना तो कोई बैठक हुई है और ना ही उसमें कोई आगामी कार्रवाई हो पाई है.

वीरेन्द्र चौहान ने कहा कि बैठक न होने की वजह से जो हमारी मांगे है , जिसमें 2 साल के राइडर को खत्म करना और इनिशियल स्टार्ट की बहाली करना, जो कि 27 सितंबर 2012 की अधिसूचना के कारण वेतन संशोधन के दौरान लगाई गई थी, जो कि पंजाब से हटकर (Himachal Pradesh Joint Employees Federation) थी. उसे हटाने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है. साथ ही साथ 4-9-14 टाइम स्केल जिसको लेकर महासंघ मांग कर रहा था, इस संदर्भ में दिनांक 26-2- 2013, 7-7-2014 और 9-9-2014 की अधिसूचना को समाप्त कर 2009 की अधिसूचना के अनुसार 4-9-14 की बहाली कर सभी कर्मचारियों को उसका लाभ देकर वर्तमान फिक्सेशन में उसकी गणना कर उसका लाभ देने की मांग की गई है. जिस पर वित्त विभाग की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है.

उन्होंने कहा कि महासंघ ने पिछले कल शुक्रवार को एसीएस फाइनेंस प्रमोद सक्सेना को अपनी मांगों के संदर्भ में एक अतिरिक्त ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें कहा गया है कि कर्मचारियों को 31 दिसंबर 2015 के मूल वेतन पर ही फैक्टर लगाया जाए और जिस तरह से 2 पॉइंट 5-9 फैक्टर को लेने वाले कर्मचारियों के लिए दोबारा से 1-1-2012 से नोशनल फिक्सेशन कर उनके मूल वेतन को 31- 12 -2015 की स्थिति में वास्तविक मूल वेतन से कम करके उस पर फैक्टर लगाया गया (Himachal Joint Employees Federation PC) है. क्योंकि कर्मचारियों ने 1-10- 2012 की तिथि से जो बढ़ा हुआ ग्रेड पे लिया था उसको नहीं माना गया है और उसकी वजह से कर्मचारियों के 4-9-14 टाइम स्केल का एक लाभ भी खत्म हुआ है.

इस संदर्भ में महासंघ ने अपने मांग पत्र के माध्यम से मांग की है कि सभी कर्मचारियों को 31 -12- 2015 की स्थिति में 2.59 का फैक्टर लगाना एक संवैधानिक प्रक्रिया है. जिस तरह से कर्मचारियों को पीछे किया जा रहा है और उनको नुकसान हो रहा है. उसके खिलाफ महासंघ पहले से ही सरकार के खिलाफ आंदोलनरत है और संघर्ष के माध्यम से इसे ठीक करने का प्रयास करेगा. उसके बाद भी यदि सरकार नहीं मानती है तो न्यायालय के माध्यम से भी इस लड़ाई को लड़ेंगे, जिससे लाखों कर्मचारियों को नुकसान की भरपाई की जा सके.

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