शिमला: देशभर में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव कार्यक्रम मनाया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में भी अमृत महोत्सव कार्यक्रम की धूम है. जगह-जगह पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. खास बात यह है कि इस कवि सम्मेलन में न केवल हिंदी भाषा बल्कि पहाड़ी बोली में भी कविताएं पढ़ी गई.
प्रदेश भर से आए 30 कवियों ने हिंदी भाषा और पहाड़ी बोली में कविताओं का पाठ कर खूब समा बांधा. पहाड़ी और हिंदी में कविताएं सुनकर श्रोता भी खासे उत्साहित नजर आए. हिंदी और पहाड़ी में कवि कविता पढ़ते रहे और श्रोता तालियों की गड़गड़ाहट से कवियों का मनोबल बढ़ाते रहे.
भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने कहा कि आजादी के आंदोलन में कवियों और साहित्यकारों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इससे लोगों को प्रेरणा मिलती आयी है. स्वतंत्रता संग्राम में जुड़ने के लिए बहुत से लोगों ने अपनी जान तक गंवा दी. उन्होंने कहा कि आज भी हमारे साहित्यकार और कवियों का योगदान समाज में उतना ही जरूरी है, जितना उस समय था. जो कमियां समाज में हो, उनकी तरफ ध्यान आकर्षित कराना और लोगों को प्रेरित करना ही सच्चे कवि का उद्देश्य होता है. इस सम्मेलन के माध्यम से उन कवियों को प्रोत्साहित करना व साहित्य को बढ़ावा देना है.
बता दें कि देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाया जा रहा है. आजादी का अमृत महोत्सव भारत की स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए भारत सरकार की ओर से आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की एक शृंखला है. यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना में एक जन-उत्सव के रूप में देशभर में मनाया जाएगा. स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों के बारे में नीतियों और योजनाओं को तैयार करने के लिए गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति बनाई गई है.
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