शिमला: आपदा के समय में हिमाचल के लोग दिल खोलकर अंशदान करने में पीछे नहीं रहते हैं. वैश्विक महामारी कोविड के दौरान देवभूमि (corona infection in himachal) के लोगों ने अपनी दानशीलता का परिचय दिया है. कोविड महामारी से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए स्थापित किए गए कोरोना रिलीफ फंड (Corona Relief Fund in himachal) में अब तक 142 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा हो चुकी है. सुखद बात यह है कि दो बैंकों में जमा की गई इस रकम पर दो करोड़ रुपए से अधिक का ब्याज मिल चुका है. सरकार ने इस फंड में से 96 करोड़ रुपए से अधिक की रकम राहत के तौर पर दी है. अभी भी इस फंड में 45 करोड़ से अधिक की रकम जमा है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड (CM jairam on covid ) से प्रभावित लोगों को समय पर मदद सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा फंड से कोरोना के इलाज और क्वारंटाइन सुविधाओं सहित अन्य जरूरतों पर भी सरकार ने पैसे खर्च किए हैं. कोविड महामारी आने के बाद एक साल के भीतर 84 करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा हुई थी. मुख्यमंत्री कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों की सैलरी से भी अंशदान किया गया था. आम जनता ने भी इस फंड में दान दिया था. पूर्व में जरूरतमंदों को राशन देने के लिए 13 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. इसी तरह संस्थागत क्वारंटाइन पर 16.72 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव सुदेश कुमार मोकटा ने बताया कि कोविड से जुड़े फंड की रकम 2 बैंकों में जमा की जा रही है. यह रकम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक में जमा हो रही है. अब तक एसबीआई में 1 अरब 7 करोड़ 85 लाख रुपए से अधिक की रकम अंशदान के तौर पर जमा हुई. इस रकम पर फंड में 1.34 करोड़ से अधिक का ब्याज मिला. इसी तरह एचडीएफसी बैंक में 34.33 करोड़ का अंशदान आया.
इस रकम पर लगभग 84 लाख रुपए ब्याज मिला. ऐसे में ब्याज की कुल रकम 2 करोड़ 18 लाख 50 हजार 517 रुपए बनी. सरकार के पास इस फंड में अंशदान और ब्याज के तौर पर कुल मिलाकर 144 करोड़ रुपए से अधिक की रकम इकट्ठा हुई है. कोविड आपदा के तहत विभिन्न मदों पर सरकार इस फंड के जरिए अब तक 96 करोड़ 23 लाख रुपए से अधिक रकम खर्च कर चुकी है. सुखद बात है कि अभी भी इस फंड में 45 करोड़ रुपए से अधिक पैसा मौजूद है.
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सुदेश कुमार मोकटा ने कहा कि इस फंड का संचालन पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है. इस फंड से खर्च राशि का ब्यौरा भी सार्वजनिक है और फंड का प्रयोग कोरोना संक्रमण से बचाव और इलाज के लिए जरूरी उपकरणों पर खर्च किया जा रहा है. यदि आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2021 के मार्च महीने तक 84 करोड़ की रकम जुटी थी. पूर्व के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 12 जिलों के उपमंडलों से 8.21 करोड़ रुपए जुटाए गए. जिलों के उपमंडलों के तहत सबसे अधिक रकम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी से इकट्ठी हुई. मंडी ने इस यज्ञ में 1.86 करोड़ रुपए से अधिक की आहुति डाली.
प्रदेश के 12 जिलों में से तीन जिलों ने एक करोड़ से अधिक जुटाए. इनमें मंडी के अलावा हमीरपुर व कांगड़ा जिला शामिल हैं. हमीरपुर ने 1.23 करोड़ से अधिक तो कांगड़ा ने 1.30 करोड़ रुपए का योगदान दिया. बिलासपुर जिला ने कुल 2.61 लाख रुपए दिए. कुल्लू का योगदान 9.55 लाख रुपए रहा. सिरमौर से 79 लाख से अधिक, ऊना से 62 लाख, चंबा से 39 लाख व शिमला से 42 लाख रुपए से अधिक रकम दान में मिली. हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल में 20 मार्च 2021 तक कुल 84 करोड़, 21 लाख, 22 हजार 727 रुपए इकट्ठे हुए. एक साल तक मंत्रियों, विधायकों के वेतन का तीस फीसदी हिस्सा स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट फंड में गया. इसके अलावा आम जनता ने भी खूब दिल खोलकर दान दिया.
हिमाचल में कई शक्तिपीठ (Famous shaktipeeth of himachal) हैं और बहुत से विख्यात मंदिर भी. सरकारी अधिग्रहण वाले मंदिरों ने भी कोविड फंड में अंशदान किया. आपदा के समय देश के विख्यात शक्तिपीठ मां चिंतपूर्णी मंदिर व बाबा बालकनाथ मंदिर ट्रस्ट ने सरकारी खजाने में पांच-पांच करोड़ रुपए का अंशदान दिया है. बिलासपुर से मां नैना देवी ट्रस्ट ने 2.50 करोड़ रुपए व कांगड़ा जिला के विख्यात शक्तिपीठ मां ज्वालामुखी मंदिर ने एक करोड़ रुपए का अंशदान किया है. बज्रेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा ने पचास लाख रुपए दिए हैं. शिमला के मशहूर कालीबाड़ी मंदिर ने 25 लाख रुपए की आहुति डाली. मंडी के विख्यात देव कमरूनाग मंदिर प्रबंधन ने 11 लाख रुपए दान किए. हमीरपुर के गसोता महादेव मंदिर ने 10 लाख रुपए भेंट किए हैं. मंडी से अन्य देवी-देवताओं ने 7.51 लाख रुपए भेंट किए हैं. मंडी जिला के सभी मंदिरों से कुल 22.51 लाख रुपए गए थे.
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किन्नौर के मूरंग मंदिर प्रबंधन ने 1.20 लाख रुपए की रकम भेंट की. कुल्लू के रघुनाथ मंदिर ने एक लाख रुपए दिए हैं. कुल्लू के आनी के मंदिर भझारी कोट व बूढ़ी नागिन मंदिर ने 1.52 लाख रुपए का अंशदान कोरोना से लड़ाई में किया है. मंडी के मगरू महादेव छतरी ने एक लाख रुपए, ममलेश्वर महादेव मंदिर करसोग, तेबणी महादेव मंदिर ने एक लाख रुपए, मूल माहूंनाग मंदिर एक लाख रुपए भेंट किए. ऊपरी शिमला के नावर क्षेत्र के देवता महाराज नारायण ने 1.51 लाख रुपए अंशदान किया है. नावर क्षेत्र के ही रुद्र देवता महाराज ने 2 लाख रुपए, देवता साहिब गोलीनाग पुजारली ने 1.51 लाख रुपए, देवता बौंद्रा महाराज ने अपने खजाने से दो लाख रुपए कोविड सॉलिडेरिटी फंड में दान दिए.
शिमला जिला के ठियोग में के चिखड़ेश्वर महादेव मंदिर ने 11 लाख रुपए की आहुति इस सेवा यज्ञ में डाली है. कुफरी की जयेश्वरी देवी धरेच मंदिर समिति ने 1.11 लाख रुपए व कुफरी के नवदुर्गा मंदिर ने 51 हजार रुपए दिए. सोलन जिला के अर्की में बनिया देवी मंदिर की दुर्गा मंदिर समिति ने 1.25 लाख रुपए भेंट किए थे. हिमाचल के मंदिरों में अरबों रुपए की रकम और अरबों रुपए का सोना है. जरूरत के वक्त यह मंदिर अंशदान करते हैं.
इस समय राज्य के कोविड फंड में पर्याप्त रकम (Amount in Himachal covid Fund) मौजूद है. यही नहीं इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष (Chief Minister Relief Fund in Himachal) और अन्य राहत फंड भी प्रदेश में स्थापित हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam on Corona Relief Fund) का कहना है कि जिस समय कोविड की आपदा आई थी उस समय समाज के हर वर्ग ने खुलकर अंशदान किया था. सरकार के प्रतिनिधियों ने अपने वेतन का निश्चित हिस्सा एक साल तक निरंतर दिया. इसी तरह सरकारी कर्मचारियों ने अंशदान दिया. समाज के सभी वर्गों के सहयोग से सरकार इस महामारी से लड़ पाई है.
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