शिमला: कल्याणकारी राज्य में इसी तरह की योजनाओं की जरूरत है. हिमाचल सरकार की सहारा योजना उखड़ती सांसों को सहारा दे रही है. कैंसर व अन्य गंभीर रोगों से जूझ रहे रोगियों को हिमाचल सरकार की सहारा योजना से सचमुच सहारा मिला है. योजना के तहत गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के खाते में सरकार हर माह तीन हजार रुपए डालती है. जयराम सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2019 में इस योजना का ऐलान किया था.
उस समय योजना के तहत कैंसर, रक्त संबंधी रोगों व किडनी से जुड़ी बीमारियों के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों के लिए दो हजार रुपए प्रति माह की सहायता राशि देना आरंभ किया गया. कुल सात गंभीर बीमारियों का चयन किया गया था. ये ऐसी बीमारियां हैं, जिनसे पीड़ित मरीजों को लगातार नियमित अंतराल पर अस्पताल आकर इलाज करवाना होता है. बेशक इलाज निशुल्क है, लेकिन इन मरीजों को आर्थिक संबल देने के लिए सहारा योजना का प्रारूप तैयार किया गया था.
इसी साल यानी 2021 के आरंभ में योजना की सहायता राशि में एक हजार रुपए की बढ़ोतरी की गई. अब लाभार्थियों को तीन हजार रुपए प्रति माह मिल रहे हैं. ये राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है. कैंसर, पार्किंसन, पैरालिसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, थैलेसीमिया, हीमोफीलिया, गुर्दे की विफलता आदि गंभीर बीमारियों से जूझने वाले रोगियों को इस योजना से सचमुच सहारा मिला है. देश के अन्य राज्य भी इस योजना का अध्ययन कर रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल का कहना है कि ऐसे रोगियों के मन में ये भरोसा जगाने की कोशिश है कि सरकार उनके दुख में साथ खड़ी है. राजीव सैजल का कहना है कि ये योजना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार की संवेदनशीलता का परिचय देती है.वैसे तो हिमाचल में उक्त गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों का इलाज निशुल्क है, लेकिन उन्हें आर्थिक संबल भी मिल सके, इसके लिए सहारा योजना की शुरु आत की गई. चार लाख से कम सालाना आय वालों को इस योजना का लाभ मिल रहा है. योजना की शुरु आत के समय इसके लिए 14.40 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान किया गया था. तब पीड़ित मरीजों को 2 हजार रुपए मासिक की सहायता राशि शुरू की गई थी. इस साल सहायता राशि एक हजार रुपए और बढ़ाई गई.
पहले चरण में इस योजना से छह हजार मरीजों को लाभ मिला. अब तक सरकार की इस योजना से 13 हजार से अधिक मरीजों को लाभ मिल चुका है. खाते में तीन हजार रुपए प्रति माह आने से मरीजों को हौसला मिलता है. मंडी जिले के करसोग के एक परिवार का बच्चा रोहित ब्लड डिसऑर्डर से जूझ रहा है. सोलह साल से गंभीर बीमारी से पीड़ित रोहित को नियमित अंतराल पर खून चढ़ाना पड़ता है. सहारा योजना आरंभ होने से उसे पहले दो हजार और अब तीन हजार रुपए मासिक मिलते है.
एक अच्छी रकम रोहित के खाते में जुड़ गई है. इस बच्चे को संतोष है कि उसका भी एक बैंक खाता है और उसमें सरकार पैसे डालती है. रोहित जैसी ही कहानी हीमोफीलिया, थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 63 अन्य बच्चों की है. ये बच्चे आईजीएमसी अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं. सरकार ने इस योजना का लाभ देने के लिए ऐसे बच्चों व अन्य मरीजों को चिन्हित करने के लिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों को निर्देश दिए थे. आईजीएमसी अस्पताल शिमला सहित प्रदेश भर के स्वास्थ्य संस्थानों से सारा ब्यौरा इकट्ठा करने के बाद सरकार ने लाभार्थियों के खाते में रकम डालना शुरू किया था.
अस्पताल से ही सरकार के पास मरीज का सारा रिकॉर्ड, आधार कार्ड, बैंक खाते की डिटेल गई थी. चूंकि ऐसे मरीजों को नियमित अंतराल पर अस्पताल आना पड़ता है, लिहाजा उनका सारा रिकॉर्ड अस्पताल में होता है. इसके अलावा पात्र मरीज सहारा योजना का लाभ लेने के लिए सीधे अपने जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को भी आवेदन कर सकते हैं. वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार इस योजना पर अब तक सत्तर करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर चुकी है. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल का कहना है कि इस योजना को देश के अन्य राज्यों के हेल्थ सिस्टम ने भी सराहा है. हिमाचल सरकार की अन्य स्वास्थ्य योजनाओं में मुख्यमंत्री हिमकेयर योजना प्रमुख है. स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि राज्य में कोई भी परिवार ऐसा नहीं है, जिसे किसी न किसी योजना के तहत इलाज व अन्य सुविधाओं न मिल रही हों.
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