शिमला: सरकारी सिस्टम में भर्ती प्रक्रिया समय पर पूरे होने के आसार अक्सर कम ही होते हैं. हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार डेढ़ साल से पंचायत सचिव की भर्ती नहीं कर पाई है. दिसंबर 2020 में पंचायत सचिव के 239 पदों के लिए भर्ती का ऐलान हुआ था. पहले ऐसी परीक्षाएं हमीरपुर स्थित अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड से होती थीं.
प्रोसेस को जल्द पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने भर्ती परीक्षा का जिम्मा हिमाचल विश्वविद्यालय को सौंपा लेकिन यह काम अभी भी अधूरा है. यही नहीं परीक्षा शुल्क भी विवादों में रहा. इस परीक्षा के लिए शुल्क 1200 रुपए तय हुआ था. जब अभ्यर्थियों ने दबाव बनाया तो सरकार ने हिमाचल विश्वविद्यालय प्रशासन से शुल्क कम करने को कहा परंतु एचपीयू ने सरकार की यह मांग ठुकरा दी.
हालत यह है कि अब हिमाचल प्रदेश में नई पंचायतों का गठन हुआ है. ना तो पहले के खाली पंचायत सचिव के पद भरे गए और ना ही नई पंचायतों में सचिवों की नियुक्ति की राह खुल रही है. पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि इस बारे में नए सिरे से हिमाचल विश्वविद्यालय से बात की जाएगी.
हैरानी की बात है कि जयराम सरकार डेढ़ साल से पंचायत सचिव की भर्ती नहीं कर पाई है. दिसंबर 2020 में पंचायत सचिवों के 239 पदों के लिए भर्ती का ऐलान हुआ था. स्टाफ सेलेक्शन कमीशन हमीरपुर की बजाय भर्ती प्रक्रिया परीक्षा आदि के लिए हिमाचल विश्वविद्यालय को जिम्मा दिया गया. पहले फीस विवाद हुआ और अब 22 अक्टूबर 2021 को परीक्षा होने के बाद भी रिजल्ट नहीं निकला.
हिमाचल प्रदेश में नई पंचायतें बनने के बाद 400 पंचायत सचिव के पद भरे जाने हैं, लेकिन जब पहले ही भर्ती का कुछ नहीं हुआ तो आगे की प्रक्रिया कैसे शुरू हो. पंचायत सचिव के पद के लिए परीक्षा दे चुके दीपक शर्मा का कहना है कि अक्टूबर 2021 से लेकर अब तक वे परिणाम का इंतजार कर रहे हैं.
एक साल पूर्व जनवरी महीने में 17 तारीख आवेदन करने की अंतिम तिथि थी. उसके बाद मांग पर यह तिथि बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 की गई. उसके बाद अक्तूबर 2021 में परीक्षा हुई. इस दौरान कई बार परीक्षा शुल्क कम करने की मांग होती रही. सरकार ने भी एचपीयू से परीक्षा शुल्क कम करने को कहा लेकिन एचपीयू नहीं माना.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा यानी एचपीएएस का परीक्षा शुल्क केवल 400 रुपए है. सरकारी सिस्टम का हाल यह है कि पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर के आश्वासन के बावजूद 1200 रुपए का भारी भरकम परीक्षा शुल्क नहीं घटाया गया.
सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा का कहना है कि परीक्षा शुल्क तो छोड़िए पांच महीने से रिजल्ट भी नहीं निकला है. कहा कि पहले ही भर्ती प्रक्रिया डेढ़ साल लेट हो चुकी है. जीया नंद का कहना है कि पंचायत सचिव के सैंकड़ों पद रिक्त होने से पंचायतों में कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
दूसरी तरफ सरकार प्रदेश में बेरोजगारी कम होने की बात कर रही है. सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में कोरोना काल से पहले के दो वर्षों के बारे में बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े दिए हैं. इन आंकड़ों के तहत बताया गया है कि वर्तमान भाजपा सरकार के पहले दो वर्ष के सत्ता काल में बेरोजगारी दर पांच फीसद से अधिक थी, जो साढे़ तीन फीसद रह गई है.
प्रदेश सरकार ने रोजगार के परिदृश्य को लेकर के सर्वेक्षण में श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-2020 का संदर्भ लिया है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी दर 2018-19 में 52.8 फीसद थी, जो 2019-20 में बढ़कर 57.7 फीसद हो गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में महिला कार्य बल भागीदारी तुलनात्मक दृष्टि से बढ़ी है, पहले महिला कार्य बल भागीदारी करीब 45 फीसद थी जोकि एक साल के दौरान बढ़कर 50 फीसद हो गई.
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के बजट सत्र में सरकार ने जानकारी देते हुए कहा था कि हिमाचल में इस समय 8,82,269 युवा बेरोजगार हैं. वहीं, पिछले दो सालों में सरकार ने 41229 युवाओं को नौकरी प्रदान की है. उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने बताया कि कुल बेरोजगार 8,82,269 हैं और सरकार ने 41229 युवाओं को नौकरी प्रदान की है.
वहीं, राज्य सरकार ने तीन साल में सरकारी सेक्टर में 27710, निगम व बोर्डों में 6295, बैंकों में 68, शिक्षा बोर्ड व यूनिवर्सिटी में 302 व जिलाधीश कार्यालयों में 2270 युवाओं को नौकरी प्रदान की है.
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