शिमला: कोविड के इस संकट के बीच स्कूल बंद होने के चलते छात्रों की कक्षाएं ऑनलाइन लगाई जा रही हैं. हर घर पाठशाला कार्यक्रम बच्चों को घर बैठे पढ़ाने के लिए खास रूप से तैयार किया गया है. इस कार्यक्रम के माध्यम से व्हाट्सएप के माध्यम से ही प्रदेश के सरकारी स्कूलों के 94 फीसदी छात्र ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
इसके साथ ही 92.7 फीसदी छात्र ऑनलाइन ही वर्कशीट को भी हल कर रहे हैं जबकि 7.1 फीसदी बच्चे वर्कशीट को हल नहीं कर रहे हैं. यह आंकड़ा समग्र शिक्षा की ओर से प्रदेश में करवाए गए सर्वे से सामने आया है. समग्र शिक्षा ने हर घर पाठशाला कार्यक्रम के तहत भेजी जा रही पाठ्न सामग्री के उपयोग और प्रभाव को जानने के लिए करवाए गए सर्वे में सामने आया है कि 94 फीसदी छात्र हर घर पाठशाला कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.
वहीं, जो छात्र इस कार्यक्रम से नहीं जुड़ पा रहे हैं उसके पीछे की वजह यह है कि उन छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि 86.6 फीसदी छात्र हर घर पाठशाला वेबसाइट पर उपलब्ध वीडियो को देखते हैं जबकि 13.4 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो यह वीडियो नहीं देखते हैं. वहीं, जो प्रश्नोत्तर हर शनिवार को समग्र शिक्षा की ओर से आयोजित करवाई जाती है, उसमें 61 फीसदी छात्र भाग ले रहे हैं जबकि 39 फीसदी छात्र इस प्रश्नोत्तरी का हिस्सा नहीं बन रहे हैं.
हैरानी की बात यह है कि 75.5 फीसदी बच्चों को इस प्रश्नोत्तर के बारे में जानकारी ही नहीं है. वहीं, जिन बच्चों को इसके बारे में पता है उनका कहना है कि व्हाट्सएप के माध्यम से जो प्रश्नोत्तर उन्हें हल करने के लिए भेजी जाती है वह बहुत ही धीमी गति से चलती है. वहीं, उसे सुलझाना भी मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि इस प्रश्नोत्तर को हल करने में बच्चे ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
समग्र शिक्षा की ओर से करवाए गए इस सर्वे में अभिभावकों ने भी अपनी महत्वपूर्ण राय दी है. अभिभावकों का कहना है कि हर घर पाठशाला कार्यक्रम कोविड-19 के संकट के समय में अच्छी पहल है लेकिन इसके लिए सरकार को स्मार्टफोन उपलब्ध करवाने चाहिए. इसके साथ ही डाटा प्लान भी छात्रों के लिए सस्ता होना चाहिए. ज्यादातर समय छात्र मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई में बिता रहे हैं तो ऐसे में महंगे डाटा प्लान करवाने में अभिभावकों को दिक्कत आ रही है.
अभिभावकों ने यह भी कहा है कि अध्यापक कम से कम सप्ताह में एक बार छात्रों तक अपनी पहुंच बनाएं जिससे कि छात्रों की पढ़ाई और बेहतर तरीके से हो सके. वहीं, ऑनलाइन स्टडी के लिए जो वीडियो भेजे जा रहे हैं उनकी अवधि काफी लंबी रहती है. ऐसे में छोटी वीडियो व्हाट्सएप पर भेजी जानी चाहिए. अभिभावकों का यह भी कहना है कि समग्र शिक्षा की ओर से जो प्रश्नोत्तर करवाई जा रही है उसमें सभी विषयों को शामिल किया जाए.
अभिभावकों ने कहा कि ऑनलाइन टेस्ट संख्या को बढ़ाया जाए और जो वर्कशीट छात्रों को हल करने दी जाती है उसे छोटा रखा जाए, जिससे कि छात्र सही समय से उस वर्कशीट को सुलझा कर अपनी ऑनलाइन स्टडी का आंकलन बेहतर तरीके से कर पाएं. बता दें कि समग्र शिक्षा की ओर से करवाए गए सर्वे पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार सरकार ऑनलाइन पढ़ाई में अभिभावकों की राय के अनुसार सुधार करेगी. वहीं, जिन छात्रों को कभी ऑनलाइन माध्यम से पहुंच नहीं बनाई जा रही है उनके लिए भी विकल्प तलाशे जाएंगे.
12 जिलों में करवाया गया सर्वे
समग्र शिक्षा ने यह सर्वे प्रदेश के सभी 12 जिलों में करवाया है जिसमें 13.5 शहरी और 86.5 ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों ने भाग लिया. शिक्षकों ने घर-घर जाकर छात्रों और अभिभावकों से बात की जिसके आधार पर यह पूरी सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है. सर्वे रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट हो गई है कि सरकार की ओर से ऑनलाइन शिक्षा का जो प्रयास किया गया है वह सफल हो रहा है लेकिन उसमें जिस स्तर पर खामियां हैं उनमें अब सरकार को सुधार करने की तरफ ध्यान देना होगा.
ये भी पढ़ें: ट्रक मालिक ने खर्चा मांगने पर पीटा ट्रक ड्राइवर, पुलिस में दर्ज हुई शिकायत