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शिमला में NSUI का मौन प्रदर्शन, कोरोना काल में यूजी एग्जाम न करवाने की मांग

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Published : Aug 8, 2020, 5:07 PM IST

एनएसयूआई ने शनिवार को राष्ट्रीय आह्वान पर छात्र सत्याग्रह की शुरुआत करते हुए पार्टी कार्यालय के बाहर मौन धरना प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी की फोटो के समक्ष यह मौन प्रदर्शन किया.

NSUI protest in Shimla
एनएसयूआई धरना प्रदर्शन

शिमला: प्रदेश में 17 अगस्त से यूजी की परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. छात्रों के लगातार विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार की ओर से यूजी के अतिंम सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. छात्र संगठन अभी भी इस बात पर अड़े हैं कि कोविड के इस संकट के बीच परीक्षाएं नहीं करवाई जानी चाहिए.

इस मांग को लेकर शनिवार को एनएसयूआई ने राष्ट्रीय आह्वान पर छात्र सत्याग्रह की शुरुआत करते हुए पार्टी कार्यालय के बाहर मौन धरना प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी की फोटो के समक्ष यह मौन प्रदर्शन किया. इसके पीछे की वजह यह रही कि आज के ही दिन महात्मा गांधी ने आजादी के लिए सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं, एनएसयूआई ने केंद्र और प्रदेश की सरकारों को जगाने के लिए छात्र सत्याग्रह आंदोलन को आगे बढ़ाया है. एनएसयूआई के कार्यकर्ता वीनू मेहता ने कहा कि एनएसयूआई पिछले दो महीने से लगातार यह मांग अपने प्रदर्शन और आंदोलन के माध्यम से कर रही है कि कोविड के संकट के बीच परीक्षाएं ना करवाई जाएं. इसके बावजूद केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार अपनी मनमानी करते हुए कोविड के बीच में भी इन परीक्षाओं को करवा रहे हैं.

वीनू मेहता ने कहा कि एनएसयूआई ने छात्रों कि राय भी ली थी जिसमें छात्रों ने कहा कि परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए लेकिन सरकार इसके बाद भी अपना फैसला नहीं बदल रही है. हजारों सरकार छात्रों की मांग को अनदेखा कर रही है तो एनएसयूआई ने अपने इस प्रदर्शन के माध्यम से अपनी संवेदनाएं व्यक्त की जिससे सरकार इस पर अमल करे ओर अपना फैसला बदले.

एनएसयूआई ने प्रदर्शन के माध्यम से मांग की है कि सरकार कोरोनाकाल के समय में यूजी की अंतिम समेस्टर की जो परीक्षाएं करवा रही है उन्हें करवाने का फैसला वापस ले. इसके साथ ही न्यू एजुकेशन पॉलिसी में शिक्षा का निजीकरण और व्यापारी करण किया जा रहा है उसे रोका जाए. इसी के साथ ही कोविड संकट के बीच में भी भारी भरकम फीसों का जो बोझ छात्रों पर डाला जा रहा है उसे भी वापिस लिया जाए.

एनएसयूआई ने मांग की है कि छात्रों की छह महीने की फीस माफ की जाए जिससे छात्रों को राहत मिल सके. इसके साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय कुलपति पर भी कई आरोप लगाए और कहा कि कोविड-19 में जब सभी विश्वविद्यालय बंद है तो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्वविद्यालय को खोल दिया है. वहां कंस्ट्रक्शन का काम बाहरी कंपनियों को दिया जा रहा है. वहीं, इस समय में एचपीयू में शिक्षकों की भर्तियां भी करवाई जा रही है जिसमें धांधलियां की जाएंगी.

ये भी पढ़ें: युवती ने ऑनलाइन शॉपिंग कर मंगवाया फोन, मिले बर्तन धोने के दो साबुन

शिमला: प्रदेश में 17 अगस्त से यूजी की परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. छात्रों के लगातार विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार की ओर से यूजी के अतिंम सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. छात्र संगठन अभी भी इस बात पर अड़े हैं कि कोविड के इस संकट के बीच परीक्षाएं नहीं करवाई जानी चाहिए.

इस मांग को लेकर शनिवार को एनएसयूआई ने राष्ट्रीय आह्वान पर छात्र सत्याग्रह की शुरुआत करते हुए पार्टी कार्यालय के बाहर मौन धरना प्रदर्शन किया. एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी की फोटो के समक्ष यह मौन प्रदर्शन किया. इसके पीछे की वजह यह रही कि आज के ही दिन महात्मा गांधी ने आजादी के लिए सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं, एनएसयूआई ने केंद्र और प्रदेश की सरकारों को जगाने के लिए छात्र सत्याग्रह आंदोलन को आगे बढ़ाया है. एनएसयूआई के कार्यकर्ता वीनू मेहता ने कहा कि एनएसयूआई पिछले दो महीने से लगातार यह मांग अपने प्रदर्शन और आंदोलन के माध्यम से कर रही है कि कोविड के संकट के बीच परीक्षाएं ना करवाई जाएं. इसके बावजूद केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार अपनी मनमानी करते हुए कोविड के बीच में भी इन परीक्षाओं को करवा रहे हैं.

वीनू मेहता ने कहा कि एनएसयूआई ने छात्रों कि राय भी ली थी जिसमें छात्रों ने कहा कि परीक्षाएं नहीं होनी चाहिए लेकिन सरकार इसके बाद भी अपना फैसला नहीं बदल रही है. हजारों सरकार छात्रों की मांग को अनदेखा कर रही है तो एनएसयूआई ने अपने इस प्रदर्शन के माध्यम से अपनी संवेदनाएं व्यक्त की जिससे सरकार इस पर अमल करे ओर अपना फैसला बदले.

एनएसयूआई ने प्रदर्शन के माध्यम से मांग की है कि सरकार कोरोनाकाल के समय में यूजी की अंतिम समेस्टर की जो परीक्षाएं करवा रही है उन्हें करवाने का फैसला वापस ले. इसके साथ ही न्यू एजुकेशन पॉलिसी में शिक्षा का निजीकरण और व्यापारी करण किया जा रहा है उसे रोका जाए. इसी के साथ ही कोविड संकट के बीच में भी भारी भरकम फीसों का जो बोझ छात्रों पर डाला जा रहा है उसे भी वापिस लिया जाए.

एनएसयूआई ने मांग की है कि छात्रों की छह महीने की फीस माफ की जाए जिससे छात्रों को राहत मिल सके. इसके साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय कुलपति पर भी कई आरोप लगाए और कहा कि कोविड-19 में जब सभी विश्वविद्यालय बंद है तो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्वविद्यालय को खोल दिया है. वहां कंस्ट्रक्शन का काम बाहरी कंपनियों को दिया जा रहा है. वहीं, इस समय में एचपीयू में शिक्षकों की भर्तियां भी करवाई जा रही है जिसमें धांधलियां की जाएंगी.

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