शिमला:भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर ईआरपी सिस्टम में टेंडरिंग में धांधली के आरोप लगाया. एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत विश्वविद्यालय प्रशासन ने चहेती निजी कंपनी को आउटसोर्स पर ईआरपी सिस्टम का टेंडर दिया. इसके बाद जब ईआरपी सिस्टम में खामियां पाई गई, तो खामियां दूर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने 8 करोड रुपए के बजट का प्रावधान कर दिया. 8 करोड रुपए के बजट के प्रावधान के बावजूद ईआरपी सिस्टम की खामियां दूर नहीं हो सकी. एनएसयूआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कंपनी के साथ मिलीभगत के भी आरोप लगाया.
एनएसयूआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई के उपाध्यक्ष रजत भारद्वाज ने कहा कि ईआरपी सिस्टम में खामियों की वजह से प्रदेश भर के हजारों विद्यार्थी परेशान हैं. ईआरपी सिस्टम में कभी विद्यार्थियों को पास दिखाया जाता है तो कभी फेल. ईआरपी सिस्टम में खामी के कारण बार-बार पोर्टल पर बार-बार रिजल्ट बदल जाता है. इससे विद्यार्थियों की मानसिक प्रताड़ना हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों से विद्यार्थियों को खामियां दूर कराने के लिए शिमला आना पड़ता है. इससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है.
रजत भारद्वाज ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर गरीब तबके से आने वाले विद्यार्थियों पर पड़ता है, जो विद्यार्थी मुश्किल से फीस के पैसे जुटा पाते हैं. उन्हें शिमला आने का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. एनएसयूआई ने ईआरपी सिस्टम में घोटाले के आरोप लगाते हुए इसकी न्यायिक जांच करने की भी मांग उठाई है. इसके अलावा एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने परीक्षा नियंत्रक को ज्ञापन सौंपकर विश्वविद्यालय पुस्तकालय को 24 घंटे खोलने की भी मांग की.
इस मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि कंपनी को जल्द ईआरपी सिस्टम में आ रही खामियों को दूर करने के निर्देश जारी किए गए. बीते दिनों हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सिकंदर कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में कंपनी को 15 दिन के भीतर खामियां दूर करने के सख्त निर्देश जारी किए गए थे. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा था कि यदि 15 दिनों में खामियां दूर नहीं की गई, तो कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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