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महंगी ब्याज दर पर मिल रहा था 1400 करोड़ का कर्ज, जयराम सरकार ने खींच लिया हाथ

महंगी ब्याज दर पर लोन मिलने के कारण जयराम सरकार ने हाथ खींच लिए हैं. यही वजह है कि हिमाचल सरकार अब 1400 करोड़ रुपए का लोन (Himachal government will not take loan) नहीं लेगी. भले ही हिमाचल सरकार ने अभी 22 मार्च को प्रस्तावित 1400 करोड़ रुपए का लोन नहीं लिया है, लेकिन जिस हिसाब के कर्मचारियों की देनदारी व आर्थिक जरूरतें हैं, 31 मार्च से पहले राज्य सरकार कुछ लोन ले सकती है.

Himachal government will not take loan
हिमाचल सरकार नहीं लेगी लोन
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Published : Mar 23, 2022, 10:59 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार अब 1400 करोड़ रुपए का लोन (Himachal government will not take loan) नहीं लेगी. महंगी ब्याज दर पर लोन मिलने के कारण जयराम सरकार ने हाथ खींच लिए हैं. ये लोन सात फीसदी से अधिक ब्याज दर पर मिल रहा था. हालांकि 31 मार्च से पहले राज्य सरकार 5400 करोड़ रुपए लोन लेने की पात्र है, लेकिन महंगी ब्याज दर होने के कारण सरकार साहस नहीं जुटा पा रही है. राज्य सरकार के खाते में 1400 करोड़ रुपए का ये लोन 22 मार्च को आना था.

अब वित्त विभाग ने ये स्पष्ट किया है कि फिलहाल 1400 करोड़ रुपए का लोन नहीं लिया जा रहा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी फरवरी महीने में राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपए के लोन को लेने से मना कर चुकी है. कारण, वही महंगी ब्याज दर थी. हिमाचल प्रदेश की आर्थिक गाड़ी कर्ज के सहारे चल रही है. आरबीआई से लोन लेकर सरकार अपनी जरूरतों को पूरा कर रही है. हिमाचल पर 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. हिमाचल सरकार की लोन लिमिट के अनुसार अभी भी प्रदेश 5400 करोड़ रुपए का लोन ले सकता है.

फिलहाल, ये लोन महंगी ब्याज दर पर मिल रहा है तो राज्य सरकार हिम्मत (Debt on himachal Government) नहीं जुटा पा रही. यहां बता दें कि राज्य को लिए गए कर्ज के ब्याज पर ही भारी रकम चुकानी पड़ती है. अभी कर्मचारियों के नए वेतन आयोग के संदर्भ में देनदारियों व एरियर के भुगतान के लिए सरकार को लोन लेना पड़ेगा. इस वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन 31 मार्च है. यदि सरकार 31 मार्च तक तय लिमिट यानी 5400 करोड़ का लोन नहीं लेती, तो संभवत: ये अगले वित्तीय वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा.

हालांकि केंद्र सरकार चाहे तो इस रकम का कुछ हिस्सा कैरी फॉरवर्ड यानी अगले वित्तीय वर्ष के लिए भी लिया जा सकेगा. बेशक हिमाचल सरकार ने अभी 22 मार्च को प्रस्तावित 1400 करोड़ रुपए का लोन नहीं लिया है, लेकिन जिस हिसाब के कर्मचारियों की देनदारी व आर्थिक जरूरतें हैं, 31 मार्च से पहले राज्य सरकार कुछ लोन ले सकती है. देखा जाए तो जयराम सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक आते आते 2400 करोड़ रुपए का कर्ज लेने से बचने की कोशिश की है. पहले फरवरी महीने में 1000 करोड़ का लोन लेने से हाथ खींच लिए और अब 1400 करोड़ का लोन भी नहीं लिया है. कारण, दोनों बार ही महंगी ब्याज दर रही है.

बता दें कि जयराम सरकार ने अपने आखिरी बजट में जो आंकड़ा रखा है, उसके अनुसार यदि बजट सौ रुपए का मानें तो कर्मचारियों के वेतन पर 26 रुपए, पेंशन पर 15 रुपए, ब्याज अदायगी पर 10 रुपए व कर्ज अदायगी पर सौ रुपए में से 11 रुपए खर्च होते हैं. विकास कार्यों के लिए सिर्फ 29 रुपए बचते हैं. यहां गौर करने वाली बात है कि कर्ज तथा कर्ज के ब्याज की अदायगी पर राज्य सरकार सौ रुपए में से 21 रुपए खर्च करती है. फिलहाल, राज्य सरकार के खजाने पर कर्ज के 1400 करोड़ रुपए का बोझ नहीं पड़ा है.

ये भी पढ़ें: APPLE IN HP: मौसम की मार और ऑफ ईयर का दौर, हिमाचल में इस बार औंधे मुंह गिरेगा सेब उत्पादन

शिमला: हिमाचल सरकार अब 1400 करोड़ रुपए का लोन (Himachal government will not take loan) नहीं लेगी. महंगी ब्याज दर पर लोन मिलने के कारण जयराम सरकार ने हाथ खींच लिए हैं. ये लोन सात फीसदी से अधिक ब्याज दर पर मिल रहा था. हालांकि 31 मार्च से पहले राज्य सरकार 5400 करोड़ रुपए लोन लेने की पात्र है, लेकिन महंगी ब्याज दर होने के कारण सरकार साहस नहीं जुटा पा रही है. राज्य सरकार के खाते में 1400 करोड़ रुपए का ये लोन 22 मार्च को आना था.

अब वित्त विभाग ने ये स्पष्ट किया है कि फिलहाल 1400 करोड़ रुपए का लोन नहीं लिया जा रहा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी फरवरी महीने में राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपए के लोन को लेने से मना कर चुकी है. कारण, वही महंगी ब्याज दर थी. हिमाचल प्रदेश की आर्थिक गाड़ी कर्ज के सहारे चल रही है. आरबीआई से लोन लेकर सरकार अपनी जरूरतों को पूरा कर रही है. हिमाचल पर 62 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. हिमाचल सरकार की लोन लिमिट के अनुसार अभी भी प्रदेश 5400 करोड़ रुपए का लोन ले सकता है.

फिलहाल, ये लोन महंगी ब्याज दर पर मिल रहा है तो राज्य सरकार हिम्मत (Debt on himachal Government) नहीं जुटा पा रही. यहां बता दें कि राज्य को लिए गए कर्ज के ब्याज पर ही भारी रकम चुकानी पड़ती है. अभी कर्मचारियों के नए वेतन आयोग के संदर्भ में देनदारियों व एरियर के भुगतान के लिए सरकार को लोन लेना पड़ेगा. इस वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन 31 मार्च है. यदि सरकार 31 मार्च तक तय लिमिट यानी 5400 करोड़ का लोन नहीं लेती, तो संभवत: ये अगले वित्तीय वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा.

हालांकि केंद्र सरकार चाहे तो इस रकम का कुछ हिस्सा कैरी फॉरवर्ड यानी अगले वित्तीय वर्ष के लिए भी लिया जा सकेगा. बेशक हिमाचल सरकार ने अभी 22 मार्च को प्रस्तावित 1400 करोड़ रुपए का लोन नहीं लिया है, लेकिन जिस हिसाब के कर्मचारियों की देनदारी व आर्थिक जरूरतें हैं, 31 मार्च से पहले राज्य सरकार कुछ लोन ले सकती है. देखा जाए तो जयराम सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक आते आते 2400 करोड़ रुपए का कर्ज लेने से बचने की कोशिश की है. पहले फरवरी महीने में 1000 करोड़ का लोन लेने से हाथ खींच लिए और अब 1400 करोड़ का लोन भी नहीं लिया है. कारण, दोनों बार ही महंगी ब्याज दर रही है.

बता दें कि जयराम सरकार ने अपने आखिरी बजट में जो आंकड़ा रखा है, उसके अनुसार यदि बजट सौ रुपए का मानें तो कर्मचारियों के वेतन पर 26 रुपए, पेंशन पर 15 रुपए, ब्याज अदायगी पर 10 रुपए व कर्ज अदायगी पर सौ रुपए में से 11 रुपए खर्च होते हैं. विकास कार्यों के लिए सिर्फ 29 रुपए बचते हैं. यहां गौर करने वाली बात है कि कर्ज तथा कर्ज के ब्याज की अदायगी पर राज्य सरकार सौ रुपए में से 21 रुपए खर्च करती है. फिलहाल, राज्य सरकार के खजाने पर कर्ज के 1400 करोड़ रुपए का बोझ नहीं पड़ा है.

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