शिमला: अगर आपकी वजह से किसी दूसरे का संसार उजाले से भर जाए ताे इससे बड़ा दान कुछ हाे नहीं सकता है. आज यानी 10 जून को विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जा रहा है. इस अवसर (World Eye Donation Day 2022) पर आइजीएमसी का आई बैंक भी लाेगाें काे नेत्रदान के प्रति जागरूक कर रहा है. आईजीएमसी के एमएस डाॅ. जनक राज ने कहा कि नेत्रदान दिवस को मनाने का उद्देश्य ये है कि लोगों के अंदर जागरूकता पैदा की जा सके कि अपने जीवन में संकल्प लें कि मरणोपरांत नेत्र दान करेंगे.
देश में 1 करोड़ से अधिक लोग दृष्टिबाधित: आईजीएमसी के एमएस डाॅ. जनक राज ने बताया कि पूरे देश में 1 करोड़ 25 लाख लोग ऐसे हैं जो दृष्टिबाधित हैं. ऐसे में अगर देश के लोग ये संकल्प लें कि वह मरणोपरांत नेत्रदान करेंगे तो केवल एक वर्ष में ही देश के सभी दृष्टिबाधितों की आंखों को रोशनी मिल सकती है.
IGMC में 2010 से काम कर रहा नेत्र बैंक: डाॅ. जनक राज ने नेत्रदान के लिए लाेगाें काे जागरूक करते हुए कहा कि वर्ष 2010 से लेकर अब तक आईजीएमसी के आई बैंक में लगभग 1185 लाेगाें ने (Dr Janak Raj on World Eye Donation Day) मरणोपरांत नेत्रदान करने की इच्छा (IGMC EYE BANK) जताई है. वहीं, 370 लाेगाें ने अपनी आंखें दान की हैं, इनके परिवाराें ने मरणाेपरांत आईजीएमसी काे ये आंखें डाेनेट की हैं. डाॅ. जनकराज का कहना है कि अभी तक आईजीएमसी में 298 लाेगाें की आंखाें की कैराटाे प्लास्टी की जा चुकी है, जबकि 220 लाेगाें ने नेत्र प्रत्याराेपण करने के लिए अप्लाई किया हुआ है.
नेत्रदान के लिए प्रतिज्ञा पत्र भरना जरूरी: अगर आप भी नेत्रदान करना चाहते हैं ताे इसके लिए प्रतिज्ञा पत्र भरना बेहद जरूरी है. इसके अलावा इस बारे में परिवार के सदस्याें काे बताना भी जरूरी हाेता है. कोई भी व्यक्ति आई डोनर, तभी हो सकता है जब उसकी मृत्यु हो गई हो, यानि नेत्रदान केवल मृत्यु के बाद ही किया जाता है. नेत्रदान के लिए उम्र की कोई सीमा तय नहीं है, कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है. नेत्रदान करने वाले डोनर और जिस मरीज को आंखें दी जा रही हैं, उन दोनों की जानकारी गुप्त रखी जाती है. मृत्यु के 4 से 6 घंटों के अंदर ही आंखाें काे दान किया जा सकता है. नेत्रदान के लिए पूरी आंख ट्रांसप्लांट नहीं की जाती, बल्कि आंखों का काले हिस्सा यानी कॉर्निया और आंखों के सफेद हिस्से यानी स्क्लेरा को ही ट्रांसप्लांट किया जाता है.
कौन कर सकता है नेत्रदान: किसी भी उम्र का व्यक्ति जिसका कॉर्निया पूरी तरह से स्वस्थ हो वह नेत्रदान कर सकता है. वैसे 10-50 वर्ष के व्यक्ति की आंखें ज्यादा उपयोगी होती हैं. जिन लोगों की मृत्यु वायरल, बैक्टीरियल इंफेक्शन या एड्स की वजह से होती है उनकी आंखों के कॉर्निया का प्रयोग नेत्रदान के लिए नहीं किया जा सकता है.
हाईकाेर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी ली है शपथ: आईजीएमसी में हिमाचल हाईकाेर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस कुरियन जाेसेफ ने भी आंखें दान करने की शपथ ली है. इसके अलावा आईजीएमसी शिमला के एमएस डाॅ. जनक राज ने भी ये शपथ ली है. आईजीएमसी में राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा अगस्त में शुरू हाेगा. 8 सितंबर तक ये पखवाड़ा चलेगा, इस दाैरान विभिन्न प्रतियोगिताएं भी होगी.