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सीएम से मुलाकात के बाद क्या सचमुच शांत हो गए धवाला! खेद वाली चिट्ठी के बावजूद सवाल बरकरार

विधायक रमेश धवाला ने सीएम जयराम ठाकुर से मुलाकात के बाद शांत पड़ गए. उन्होंने खेद पत्र भी जारी कर दिया है, लेकिन ये सवाल बरकरार है कि रमेश धवाला की शिकायतें सचमुच सुलझ गई हैं.

MLA Ramesh Dhawala calmed down
MLA Ramesh Dhawala calmed down
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Published : Jun 14, 2020, 5:54 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के लिए सियासी भूकंप का केंद्र कांगड़ा जिला बनता आया है. इस बार भी कांगड़ा जिला से ही पार्टी में हलचल पैदा हुई है. पहले पत्र बम, फिर रेस्ट हाउस मीटिंग और हाल ही में खिन्नू डांस के लिए विख्यात सीनियर बीजेपी नेता रमेश धवाला के तेवर बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बने.

ये बात अलग है कि विधायक रमेश धवाला की नाराजगी वाली ज्वाला पर सीएम जयराम ठाकुर के वचनों ने पानी डाल दिया. सीएम से मुलाकात के बाद रमेश धवाला शांत पड़ गए और यही नहीं, खेद पत्र भी जारी कर दिया.

फिलहाल तो मामला सुलझता प्रतीत हो रहा है, लेकिन ये सवाल बरकरार है कि संगठन के मजबूत नाम पवन राणा के खिलाफ छोड़े गए शब्दों के बाणों का घाव तुरंत भर जाएगा. क्या रमेश धवाला की शिकायतें सचमुच सुलझ गई हैं.

वीडियो.

क्या सीएम जयराम धीरे-धीरे संकटमोचक की भूमिका में आ रहे हैं. क्या कांगड़ा की नाराजगी का मसला दब गया है? ये सारे सवाल बरकरार हैं और आने वाले समय के घटनाक्रम ही बताएंगे कि पार्टी विद ए डिफरेंस में नेताओं के बीच डिफरेंसिज खत्म हो गए हैं या फिलहाल ठंडे बस्ते में चले गए हैं. ये भी देखना दिलचस्प होगा कि जिस तरह पार्टी के सबसे युवा विधायक और अन्य नेता संगठन के कद्दावर शख्स पवन राणा के साथ खड़े हुए, उससे रमेश धवाला असहज तो नहीं होंगे.

अभी तक का घटनाक्रम तो बताता है कि ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला झुक गए हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की और फिर रमेश धवाला के तेवर नरम पड़ गए. उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी इसका प्रमाण है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात के चंद घंटों बाद ही रमेश धवाला ने पत्र लिख कर अपने बयान के लिए खेद जताया है. उन्होंने कहा कि भावनाओं के वशीभूत होकर दिए गए बयान पर खेद है. ये भी याद रखने वाली बात है कि बीजेपी के लिए रमेश धवाला का नाम अहम है. निजी तौर पर धवाला अपनी बेबाक टिप्पणियों व ईमानदारी के लिए पहचान रखते हैं.

हिमाचल में साल 1998 में उन्हीं की बदौलत बीजेपी-हिविका गठबंधन की सरकार बनी थी. 1998 में कांग्रेस ने धवाला को अपने खेमे में शामिल करने के लिए हर हथकंडा अपनाया, फिर भी वे टस से मस नहीं हुए. शांता व बीजेपी समर्थक धवाला ने बीजेपी का साथ देकर धूमल सरकार के गठन में अहम किरदार निभाया था.

वे चौथी बार चुनाव जीते हैं और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. यह धवाला की ही हिम्मत है कि उन्होंने संगठन महामंत्री पवन राणा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. खासतौर पर ज्वालामुखी विधान सभा क्षेत्र में संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर वे खासा नाराज थे. मीडिया के समक्ष उन्होंने सरकार व संगठन में परोक्ष तौर पर तालमेल न होने की बात तक कह डाली. बस इसके बाद बीजेपी में राजनीतिक का खेल प्रारंभ हुआ.

कांगड़ा के तीन बीजेपी विधायकों के साथ साथ बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल भी पवन राणा के बचाव में आए. डॉ. बिंदल व पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने धवाला के बयान को गंभीर बताया. उन्होंने धवाला के बयान का संज्ञान लेने की बात भी कही.

बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच धवाला को बीती रात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आमंत्रित किया. सीएम जयराम ठाकुर ने ही धवाला को पत्र लिखकर मामले का पटाक्षेप करने के लिए मनाया. उधर, इस राजनीतिक हलचल के दूरगामी असर से इनकार नहीं किया जा सकता. ठीक जिस समय देश और प्रदेश कोरोना संकट से जूझ रहा है, हिमाचल में बीजेपी की सरकार के लिए ये उठापटक ठीक नहीं कही जा सकती.

अभी पार्टी कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष के पद से राजीव बिंदल के त्यागपत्र के धक्के से नहीं उबरे थे कि धवाला प्रकरण ने पार्टी में चिंता का माहौल पैदा कर दिया. देखना है कि ये तूफान थम जाता है या फिर से राजनीतिक भूकंप का केंद्र कांगड़ा ही बनेगा. सरकार व संगठन के आगामी तालमेल पर भी सभी की नजरें रहेंगी.

ये भी पढ़ें- व्यापार मंडल का फैसला, 15 जून से रात 8 बजे तक खुले रहेंगे मंडी शहर के बाजार

ये भी पढ़ें- वेंटिलेटर घोटाले को दबा रही हिमाचल सरकार, घोटालों ने प्रदेश को किया शर्मसार: रामलाल ठाकुर

शिमलाः हिमाचल प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के लिए सियासी भूकंप का केंद्र कांगड़ा जिला बनता आया है. इस बार भी कांगड़ा जिला से ही पार्टी में हलचल पैदा हुई है. पहले पत्र बम, फिर रेस्ट हाउस मीटिंग और हाल ही में खिन्नू डांस के लिए विख्यात सीनियर बीजेपी नेता रमेश धवाला के तेवर बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बने.

ये बात अलग है कि विधायक रमेश धवाला की नाराजगी वाली ज्वाला पर सीएम जयराम ठाकुर के वचनों ने पानी डाल दिया. सीएम से मुलाकात के बाद रमेश धवाला शांत पड़ गए और यही नहीं, खेद पत्र भी जारी कर दिया.

फिलहाल तो मामला सुलझता प्रतीत हो रहा है, लेकिन ये सवाल बरकरार है कि संगठन के मजबूत नाम पवन राणा के खिलाफ छोड़े गए शब्दों के बाणों का घाव तुरंत भर जाएगा. क्या रमेश धवाला की शिकायतें सचमुच सुलझ गई हैं.

वीडियो.

क्या सीएम जयराम धीरे-धीरे संकटमोचक की भूमिका में आ रहे हैं. क्या कांगड़ा की नाराजगी का मसला दब गया है? ये सारे सवाल बरकरार हैं और आने वाले समय के घटनाक्रम ही बताएंगे कि पार्टी विद ए डिफरेंस में नेताओं के बीच डिफरेंसिज खत्म हो गए हैं या फिलहाल ठंडे बस्ते में चले गए हैं. ये भी देखना दिलचस्प होगा कि जिस तरह पार्टी के सबसे युवा विधायक और अन्य नेता संगठन के कद्दावर शख्स पवन राणा के साथ खड़े हुए, उससे रमेश धवाला असहज तो नहीं होंगे.

अभी तक का घटनाक्रम तो बताता है कि ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला झुक गए हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की और फिर रमेश धवाला के तेवर नरम पड़ गए. उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी इसका प्रमाण है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात के चंद घंटों बाद ही रमेश धवाला ने पत्र लिख कर अपने बयान के लिए खेद जताया है. उन्होंने कहा कि भावनाओं के वशीभूत होकर दिए गए बयान पर खेद है. ये भी याद रखने वाली बात है कि बीजेपी के लिए रमेश धवाला का नाम अहम है. निजी तौर पर धवाला अपनी बेबाक टिप्पणियों व ईमानदारी के लिए पहचान रखते हैं.

हिमाचल में साल 1998 में उन्हीं की बदौलत बीजेपी-हिविका गठबंधन की सरकार बनी थी. 1998 में कांग्रेस ने धवाला को अपने खेमे में शामिल करने के लिए हर हथकंडा अपनाया, फिर भी वे टस से मस नहीं हुए. शांता व बीजेपी समर्थक धवाला ने बीजेपी का साथ देकर धूमल सरकार के गठन में अहम किरदार निभाया था.

वे चौथी बार चुनाव जीते हैं और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. यह धवाला की ही हिम्मत है कि उन्होंने संगठन महामंत्री पवन राणा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए. खासतौर पर ज्वालामुखी विधान सभा क्षेत्र में संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर वे खासा नाराज थे. मीडिया के समक्ष उन्होंने सरकार व संगठन में परोक्ष तौर पर तालमेल न होने की बात तक कह डाली. बस इसके बाद बीजेपी में राजनीतिक का खेल प्रारंभ हुआ.

कांगड़ा के तीन बीजेपी विधायकों के साथ साथ बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल भी पवन राणा के बचाव में आए. डॉ. बिंदल व पार्टी प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने धवाला के बयान को गंभीर बताया. उन्होंने धवाला के बयान का संज्ञान लेने की बात भी कही.

बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच धवाला को बीती रात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आमंत्रित किया. सीएम जयराम ठाकुर ने ही धवाला को पत्र लिखकर मामले का पटाक्षेप करने के लिए मनाया. उधर, इस राजनीतिक हलचल के दूरगामी असर से इनकार नहीं किया जा सकता. ठीक जिस समय देश और प्रदेश कोरोना संकट से जूझ रहा है, हिमाचल में बीजेपी की सरकार के लिए ये उठापटक ठीक नहीं कही जा सकती.

अभी पार्टी कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष के पद से राजीव बिंदल के त्यागपत्र के धक्के से नहीं उबरे थे कि धवाला प्रकरण ने पार्टी में चिंता का माहौल पैदा कर दिया. देखना है कि ये तूफान थम जाता है या फिर से राजनीतिक भूकंप का केंद्र कांगड़ा ही बनेगा. सरकार व संगठन के आगामी तालमेल पर भी सभी की नजरें रहेंगी.

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