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जयराम राज में माननीयों पर दूसरी बार मेहरबानी, यात्रा भत्ता बढ़ाने के बाद अब एक करोड़ का सस्ता लोन

हिमाचल प्रदेश में अब माननीय एक करोड़ तक का सस्ता लोन ले सकेंगे. पहले ये सीमा पचास लाख रुपए थी. हालांकि अभी अधिसूचना कैबिनेट मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए हुई है. माननीयों के लिए इसी सत्र (himachal assembly budget session) में बाकी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

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जयराम राज में माननीयों पर मेहरबानी
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Published : Feb 24, 2022, 9:56 AM IST

शिमला: सदन में बेशक विपक्ष वॉकआउट कर जाए, लेकिन जयराम सरकार की मेहरबानी माननीयों पर एक समान बरस रही है. अपने चार साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने तमाम माननीयों पर दूसरी बार मेहरबानी की है. पहले विधायकों का यात्रा भत्ता बढ़ाया गया था और अब माननीय एक करोड़ तक का सस्ता लोन ले सकेंगे. पहले ये सीमा पचास लाख रुपए थी. अब विधायक गाड़ी और घर के लिए पचास-पचास लाख रुपए करके दो बार लोन ले सकेंगे. इसमें ब्याज की दर चार फीसदी रहेगी.

हालांकि अभी अधिसूचना कैबिनेट मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए हुई है. माननीयों के लिए इसी सत्र में बाकी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के संसदीय कार्य विंग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार अब माननीय कार और हाउस लोन के लिए एक करोड़ का सस्ता लोन ले सकेंगे. माननीयों के लिए ये व्यवस्था 50-50 लाख की दो किस्तों में होगी. इसके लिए सिर्फ चार फीसदी ब्याज चुकाना होगा. कुल 50 लाख लोन कार और घर दोनों को मिलाकर भी लिया जा सकता है और अलग-अलग भी, लेकिन शर्त यह होगी कि 50 लाख एक बार लोन लेने के बाद उसे अदा करने के बाद ही दूसरा 50 लाख मिलेगा.

मंत्रियों के वेतन और भत्ते अधिनियम (ministers salaries and allowances in hp) 2000 में संशोधन और दूसरे विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के वेतन और भत्तों को लेकर संशोधन पर इन अधिसूचना में यह व्यवस्था की गई है. व्यवस्था यह है कि अब कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष मोटर कार्य भवन निर्माण के लिए 50 लाख का लोन ले सकेंगे, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 2 गुना से अधिक नहीं होगी. इसका अर्थ यह हुआ कि कुल लोन एक करोड़ तक का लिया जा सकेगा.

विधानसभा के पूर्व के नियमों के अनुसार यह लोन 4 प्रतिशत ब्याज पर मिलता है. अधिकारियों का कहना है कि यही व्यवस्था विधानसभा के सभी विधायकों के लिए भी होगी, लेकिन विधायकों के लिए इस बारे में आदेश बजट सत्र में विधेयक पारित होने के बाद जारी होंगे. यहां बता दें कि इससे पूर्व जयराम सरकार ने माननीयों का यात्रा भत्ता बढ़ाया था. हालांकि वेतन में बढ़ोतरी वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में हुई थी और जयराम सरकार ने माननीयों का वेतन नहीं बढ़ाया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र का दूसरा दिन, सदन में हंगामे के आसार

शिमला: सदन में बेशक विपक्ष वॉकआउट कर जाए, लेकिन जयराम सरकार की मेहरबानी माननीयों पर एक समान बरस रही है. अपने चार साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने तमाम माननीयों पर दूसरी बार मेहरबानी की है. पहले विधायकों का यात्रा भत्ता बढ़ाया गया था और अब माननीय एक करोड़ तक का सस्ता लोन ले सकेंगे. पहले ये सीमा पचास लाख रुपए थी. अब विधायक गाड़ी और घर के लिए पचास-पचास लाख रुपए करके दो बार लोन ले सकेंगे. इसमें ब्याज की दर चार फीसदी रहेगी.

हालांकि अभी अधिसूचना कैबिनेट मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए हुई है. माननीयों के लिए इसी सत्र में बाकी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के संसदीय कार्य विंग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार अब माननीय कार और हाउस लोन के लिए एक करोड़ का सस्ता लोन ले सकेंगे. माननीयों के लिए ये व्यवस्था 50-50 लाख की दो किस्तों में होगी. इसके लिए सिर्फ चार फीसदी ब्याज चुकाना होगा. कुल 50 लाख लोन कार और घर दोनों को मिलाकर भी लिया जा सकता है और अलग-अलग भी, लेकिन शर्त यह होगी कि 50 लाख एक बार लोन लेने के बाद उसे अदा करने के बाद ही दूसरा 50 लाख मिलेगा.

मंत्रियों के वेतन और भत्ते अधिनियम (ministers salaries and allowances in hp) 2000 में संशोधन और दूसरे विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के वेतन और भत्तों को लेकर संशोधन पर इन अधिसूचना में यह व्यवस्था की गई है. व्यवस्था यह है कि अब कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष मोटर कार्य भवन निर्माण के लिए 50 लाख का लोन ले सकेंगे, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 2 गुना से अधिक नहीं होगी. इसका अर्थ यह हुआ कि कुल लोन एक करोड़ तक का लिया जा सकेगा.

विधानसभा के पूर्व के नियमों के अनुसार यह लोन 4 प्रतिशत ब्याज पर मिलता है. अधिकारियों का कहना है कि यही व्यवस्था विधानसभा के सभी विधायकों के लिए भी होगी, लेकिन विधायकों के लिए इस बारे में आदेश बजट सत्र में विधेयक पारित होने के बाद जारी होंगे. यहां बता दें कि इससे पूर्व जयराम सरकार ने माननीयों का यात्रा भत्ता बढ़ाया था. हालांकि वेतन में बढ़ोतरी वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में हुई थी और जयराम सरकार ने माननीयों का वेतन नहीं बढ़ाया है.

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