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देवभूमि पर नहीं पड़ा पटाखों का असर: सिर्फ 5 शहरों की हवा में हल्का प्रदूषण, किन्नौर की हवा देश में सबसे साफ

दिवाली पर जलाए गए पटाखों की वजह से देश की राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों की हवा प्रदूषित हो गई है, लेकिन पहाड़ी राज्य हिमाचल की हवा अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा साफ-सुथरी है. वहीं, जनजातीय जिला किन्नौर की हवा पूरे देश में सबसे साफ है. हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दिवाली के बाद आई अध्ययन रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है.

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Published : Nov 6, 2021, 8:14 PM IST

शिमला: दिवाली पर हिमाचल में लोगों ने भले ही जमकर पटाखें जलाए, लेकिन इसका असर देवभूमि की आब-ओ-हवा पर ज्यादा देखने को नहीं मिला है. बद्दी, परवाणू, कालाअंब और पांवटा सहित मनाली की हवा जरूर कुछ प्रदूषित हुई है, लेकिन बाकी राज्य की हवा साफ-सुथरी रही. खास कर किन्नौर की हवा देश भर में सबसे साफ है.

किन्नौर जिले में आबादी और निर्माण भी अपेक्षाकृत कम हैं. हालांकि जलविद्युत परियोजनाओं का यहां निर्माण चल रहा है, लेकिन इसका असर प्रदूषण पर नही पड़ता है. पूरे किन्नौर की हवा सबसे साफ व प्रदूषण से मुक्त मानी जाती है. दो साल पहले के अध्ययन के अनुसार 2.5 माइक्रोन आकार के पार्टीकुलेट मैटर यानी पीएम का लेवल जांचा गया. इन छोटे कणों के दुष्प्रभाव से ब्रोंकाइट्स अस्थमा, कफ, एलर्जी व सांस संबंधी अन्य बीमारियों की आशंका रहती है, लेकिन जनजातीय जिला किन्नौर की हवा में प्रदूषण न के बराबर है और वहां की हवा देश में सबसे साफ है. दिवाली पर यहां की हवा पर कोई असर नहीं पड़ा है.

Light pollution in the air of 5 cities of Himachal and air of Kinnaur is the cleanest in whole country
जनजातीय जिला किन्नौर.

हालांकि, मनाली-शिमला सहित अन्य शहरों में दिवाली पर पटाखों से प्रदूषण की मात्रा में कुछ बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश के किसी भी शहर की हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसा जहरीला तत्व नहीं मिला है. इस लिहाज से हिमाचल की हवा देश के अन्य राज्यों व महानगरों से कहीं अधिक साफ-सुथरी रही है. जिन पांच इलाकों में हवा में प्रदूषण पाया भी गया है, वो घातक स्तर का नहीं है. हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दिवाली के बाद आई अध्ययन रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. ये सही है कि हिमाचल के पांच शहरों की हवा दिवाली के बाद प्रदूषित पाई गई, लेकिन ये प्रदूषण दिल्ली व अन्य महानगरों से कम है.

दिवाली के बाद बेशक देश की राजधानी दिल्ली में पटाखों के कारण हवा में प्रदूषण की मात्रा आसमान पर पहुंच गई हो, लेकिन देवभूमि हिमाचल की हवा अपेक्षाकृत साफ-सुथरी बनी रही. ये जरूर है कि बद्दी, परवाणू, पांवटा, कालाअंब व मनाली में दिवाली के बाद हवा में प्रदूषण पाया गया, लेकिन मनाली को छोड़कर सारे औद्योगिक क्षेत्र हैं और यहां की सीमाएं पंजाब व हरियाणा से लगती हैं. हिमाचल प्रदेश स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिवाली की रात को प्रदेश भर में हवा की क्वालिटी पर रिपोर्ट तैयार की है.

Light pollution in the air of 5 cities of Himachal and air of Kinnaur is the cleanest in whole country
शिमला का रिज मैदान.

रिपोर्ट के अनुसार इस बार पटाखों से हिमाचल प्रदेश के कुल पांच शहरों की हवा सबसे अधिक जहरीली हुई थी. इन शहरों में बद्दी, परवाणू, पांवटा, कालाअंब और मनाली शामिल हैं. रिपोर्ट 4 नवंबर यानी दिवाली की रात की हवा पर आधारित है. इस रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में सोलन के बद्दी में एक्यूआई 165, नालागढ़ में 110, पांवटा साहिब 96, कालाअंब 77, ऊना में 72, धर्मशाला में 57, डमटाल में 53, मनाली 50, सुंदरनगर 46, परवाणू 39 और शिमला में एक्यूआई 38 के स्तर तक रहा.

बद्दी में शुक्रवार को दूसरे दिन भी हवा की गुणवत्ता 106 रही. ऐसे में हिमाचल में हवा इतनी खराब नहीं है. हिमाचल के लिहाज से ये खुशी की बात है कि नाइट्रोजन आक्साइड जैसा घातक तत्व प्रदेश में किसी भी शहर में अधिक मात्रा में नहीं मिला है. हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुल 11 स्थानों पर हवा का प्रदूषण मापने वाले यंत्र लगाए हैं. इन्हीं के आधार पर दिवाली की रात का प्रदूषण का स्तर भी मापा गया. जिसमे कुछ शहरों को छोड़ कर अन्य क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर कम है, जबकि किन्नौर की हवा सबसे साफ है.

हिमाचल में जिन-जिन शहरों में औद्योगिक गतिविधियां ज्यादा हैं. वहां पर प्रदूषण का स्तर ज्यादा है. सोलन के बद्दी, नालागढ़ और बरोटीवाला में ज्यादा उद्योग हैं. वहीं, सुंदरनगर के आसपास भी ज्यादा औद्योगिक गतिविधियां होती हैं. ऐसे में दिवाली पर प्रदूषण का स्तर अन्य दिनों के मुकाबले में ज्यादा रहता है. हिमाचल में सूबे का 25 फीसदी एरिया वन क्षेत्र में आता है. ऐसे में यहां प्रदूषण का स्तर कम रहता है.

वायु प्रदूषण को मापने के लिए निर्धारित किए गए मापदंडों के मुताबिक 0 से 50 तक उत्तम, 51 से 100 में मॉड्रेट, 101 से 150 तक संवेदनशील समूह के लिए अस्वस्थ, 151 से 200 तक अस्वस्थ, 201 से 300 तक बहुत अधिक अस्वस्थ, 301 से 500 तक खतरनाक बताया गया है. वहीं, अगर पीएम-10 की बात की जाए तो बद्दी में 197, नालागढ़ में 115, डमटाल में 55 और सुंदरनगर में 47 प्वाइंट रहा है. पीएम 2.5 बद्दी और नालागढ़ में 29.11 प्वाइंट रहा है.

शहर एयर क्वालिटी इंडेक्स
बद्दी165
नालागढ़110
पांवटा96
कालाअंब77
ऊना72
धर्मशाला57
डमटाल53
मनाली50
सुंदरनगर46
परवाणू39
शिमला38

शिमला: दिवाली पर हिमाचल में लोगों ने भले ही जमकर पटाखें जलाए, लेकिन इसका असर देवभूमि की आब-ओ-हवा पर ज्यादा देखने को नहीं मिला है. बद्दी, परवाणू, कालाअंब और पांवटा सहित मनाली की हवा जरूर कुछ प्रदूषित हुई है, लेकिन बाकी राज्य की हवा साफ-सुथरी रही. खास कर किन्नौर की हवा देश भर में सबसे साफ है.

किन्नौर जिले में आबादी और निर्माण भी अपेक्षाकृत कम हैं. हालांकि जलविद्युत परियोजनाओं का यहां निर्माण चल रहा है, लेकिन इसका असर प्रदूषण पर नही पड़ता है. पूरे किन्नौर की हवा सबसे साफ व प्रदूषण से मुक्त मानी जाती है. दो साल पहले के अध्ययन के अनुसार 2.5 माइक्रोन आकार के पार्टीकुलेट मैटर यानी पीएम का लेवल जांचा गया. इन छोटे कणों के दुष्प्रभाव से ब्रोंकाइट्स अस्थमा, कफ, एलर्जी व सांस संबंधी अन्य बीमारियों की आशंका रहती है, लेकिन जनजातीय जिला किन्नौर की हवा में प्रदूषण न के बराबर है और वहां की हवा देश में सबसे साफ है. दिवाली पर यहां की हवा पर कोई असर नहीं पड़ा है.

Light pollution in the air of 5 cities of Himachal and air of Kinnaur is the cleanest in whole country
जनजातीय जिला किन्नौर.

हालांकि, मनाली-शिमला सहित अन्य शहरों में दिवाली पर पटाखों से प्रदूषण की मात्रा में कुछ बढ़ोतरी हुई है. प्रदेश के किसी भी शहर की हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसा जहरीला तत्व नहीं मिला है. इस लिहाज से हिमाचल की हवा देश के अन्य राज्यों व महानगरों से कहीं अधिक साफ-सुथरी रही है. जिन पांच इलाकों में हवा में प्रदूषण पाया भी गया है, वो घातक स्तर का नहीं है. हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दिवाली के बाद आई अध्ययन रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. ये सही है कि हिमाचल के पांच शहरों की हवा दिवाली के बाद प्रदूषित पाई गई, लेकिन ये प्रदूषण दिल्ली व अन्य महानगरों से कम है.

दिवाली के बाद बेशक देश की राजधानी दिल्ली में पटाखों के कारण हवा में प्रदूषण की मात्रा आसमान पर पहुंच गई हो, लेकिन देवभूमि हिमाचल की हवा अपेक्षाकृत साफ-सुथरी बनी रही. ये जरूर है कि बद्दी, परवाणू, पांवटा, कालाअंब व मनाली में दिवाली के बाद हवा में प्रदूषण पाया गया, लेकिन मनाली को छोड़कर सारे औद्योगिक क्षेत्र हैं और यहां की सीमाएं पंजाब व हरियाणा से लगती हैं. हिमाचल प्रदेश स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिवाली की रात को प्रदेश भर में हवा की क्वालिटी पर रिपोर्ट तैयार की है.

Light pollution in the air of 5 cities of Himachal and air of Kinnaur is the cleanest in whole country
शिमला का रिज मैदान.

रिपोर्ट के अनुसार इस बार पटाखों से हिमाचल प्रदेश के कुल पांच शहरों की हवा सबसे अधिक जहरीली हुई थी. इन शहरों में बद्दी, परवाणू, पांवटा, कालाअंब और मनाली शामिल हैं. रिपोर्ट 4 नवंबर यानी दिवाली की रात की हवा पर आधारित है. इस रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में सोलन के बद्दी में एक्यूआई 165, नालागढ़ में 110, पांवटा साहिब 96, कालाअंब 77, ऊना में 72, धर्मशाला में 57, डमटाल में 53, मनाली 50, सुंदरनगर 46, परवाणू 39 और शिमला में एक्यूआई 38 के स्तर तक रहा.

बद्दी में शुक्रवार को दूसरे दिन भी हवा की गुणवत्ता 106 रही. ऐसे में हिमाचल में हवा इतनी खराब नहीं है. हिमाचल के लिहाज से ये खुशी की बात है कि नाइट्रोजन आक्साइड जैसा घातक तत्व प्रदेश में किसी भी शहर में अधिक मात्रा में नहीं मिला है. हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुल 11 स्थानों पर हवा का प्रदूषण मापने वाले यंत्र लगाए हैं. इन्हीं के आधार पर दिवाली की रात का प्रदूषण का स्तर भी मापा गया. जिसमे कुछ शहरों को छोड़ कर अन्य क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर कम है, जबकि किन्नौर की हवा सबसे साफ है.

हिमाचल में जिन-जिन शहरों में औद्योगिक गतिविधियां ज्यादा हैं. वहां पर प्रदूषण का स्तर ज्यादा है. सोलन के बद्दी, नालागढ़ और बरोटीवाला में ज्यादा उद्योग हैं. वहीं, सुंदरनगर के आसपास भी ज्यादा औद्योगिक गतिविधियां होती हैं. ऐसे में दिवाली पर प्रदूषण का स्तर अन्य दिनों के मुकाबले में ज्यादा रहता है. हिमाचल में सूबे का 25 फीसदी एरिया वन क्षेत्र में आता है. ऐसे में यहां प्रदूषण का स्तर कम रहता है.

वायु प्रदूषण को मापने के लिए निर्धारित किए गए मापदंडों के मुताबिक 0 से 50 तक उत्तम, 51 से 100 में मॉड्रेट, 101 से 150 तक संवेदनशील समूह के लिए अस्वस्थ, 151 से 200 तक अस्वस्थ, 201 से 300 तक बहुत अधिक अस्वस्थ, 301 से 500 तक खतरनाक बताया गया है. वहीं, अगर पीएम-10 की बात की जाए तो बद्दी में 197, नालागढ़ में 115, डमटाल में 55 और सुंदरनगर में 47 प्वाइंट रहा है. पीएम 2.5 बद्दी और नालागढ़ में 29.11 प्वाइंट रहा है.

शहर एयर क्वालिटी इंडेक्स
बद्दी165
नालागढ़110
पांवटा96
कालाअंब77
ऊना72
धर्मशाला57
डमटाल53
मनाली50
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