ETV Bharat / city

बच्चों के लिए नहीं है हिमाचल में सुपर स्पेशियलिटी सुविधा, अस्पतालों में नहीं चाइल्ड कैंसर व हार्ट स्‍पेशलिस्‍ट - आईजीएमसी में कैंसर पीड़ित बच्चे

वैसे तो हिमाचल सरकार राज्य में बेहतर हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के (Health services himachal ) दावे करती है, लेकिन प्रदेश में बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी सुविधा नहीं है. मौजूदा स्थिति यह है कि आईजीएमसी अस्पताल में कैंसर पीड़ित बच्चों को गंभीर अवस्था में (Lack of health facilities in Himachal) पीजीआई चंडीगढ़ रेफर करना पड़ता है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर राजीव सैजल का कहना है कि सरकार पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी सहित अन्य विशेषज्ञों के पद भरने की दिशा में काम कर रही है. पोस्ट क्रिएट (Pediatric Oncology posts in Himachal) करने के साथ ही उन्हें एडवर्टाइज भी किया जाएगा.

Lack Of Health Facilities In Himachal
हिमाचल में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
author img

By

Published : Dec 24, 2021, 6:53 PM IST

शिमला: नई दिल्ली के एम्स सहित देश के कई बड़े स्वास्थ्य संस्थानों की कमान बेशक हिमाचल के डॉक्टरों के हाथ में हो, लेकिन राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ केयर नहीं है. आईजीमएसी अस्पताल में (Poor health services in IGMC) न तो कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही दिल के रोगों से पीड़ित बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ फैसिलिटी है.

मेडिकल टर्म में देखें तो आईजीएमसी अस्पताल में पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी स्पेशलिस्ट, पीडिएट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट और पीडिएट्रिक कार्डियक सर्जन भी नहीं हैं. केवल एक पीडिएट्रिक सर्जन ही हैं जो जनरल सर्जरी करते हैं. वैसे तो हिमाचल सरकार राज्य में (Health Infrastructure in Himachal) बेहतर हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के दावे करती है, लेकिन प्रदेश में बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी सुविधा नहीं है. हिमाचल प्रदेश में इसी साल एम्स बिलासपुर का शुभारंभ (Bilaspur AIIMS OPD inauguration) हुआ है. लेकिन अभी एम्स को पूरी तरह से फंक्शनल होने में समय लगेगा.


वैसे तो शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित कांगड़ा के टांडा में, सिरमौर के नाहन में, हमीरपुर, चंबा, नेरचौक में मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. लेकिन सबसे अधिक सुविधाएं अभी भी शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में (facility for children in Himachal) ही है. लेकिन एक दशक में आईजीएमसी अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ केयर का (Lack of health facilities in Himachal) विस्तार नहीं हुआ है. सुपर स्पेशियलिटी के नाम पर यहां सिर्फ सीटीवीएस यानी कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट ही बेहतर काम कर रहा है.

सुपर स्पेशियलिटी के हिसाब से सबसे अधिक बाल रोगी प्रभावित हो रहे हैं. ये ठीक है कि आईजीएमसी अस्पताल में कैंसर से पीड़ित बच्चों को एडमिट कर इलाज किया जाता है, लेकिन न तो यहां पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट है और न ही इस फील्ड में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर. मौजूदा स्थिति यह है कि आईजीएमसी अस्पताल में कैंसर पीड़ित बच्चों को गंभीर अवस्था में पीजीआई चंडीगढ़ रेफर करना पड़ता है. यहां बाल रोग विभाग में मुंबई और चंडीगढ़ से प्रशिक्षित नर्स मौजूद हैं और वही कैंसर पीड़ित बच्चों की देखभाल भी करती हैं. वैसे अस्पताल में इन बच्चों के लिए एक प्रोजेक्ट के जरिए भी काम किया जा रहा है. कैंसर से प्रभावित बच्चों के परिजन यहां विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ-साथ अलग से डिपार्टमेंट की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लिया बड़ा फैसला, हिमाचल में निजी बस ऑपरेटरों को टैक्स में छूट

यदि हिमाचल में ओवर ऑल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure in Himachal ) की बात की जाए तो यह अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. यहां नवजात शिशु की डेथ रेट भी अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. साथ ही संस्थागत प्रसव की दर भी देश में सबसे अच्छी है. हिमाचल ने देश को कई बड़े डॉक्टर्स दिए हैं. इस समय एम्स की कमान हिमाचल के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) के हाथ है. नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल (Dr VK Paul) भी हिमाचल से ही संबंध रखते हैं और दुनिया में जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ हैं. इन्हें देश में हेल्थ सेक्टर का सबसे बड़ा डॉक्टर बीसी रॉय सम्मान (Dr BC Roy Award) मिल चुका है.

हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य में प्रति व्यक्ति 30 हजार रुपए खर्च कर रहा है. यहां 2800 लोगों के लिए एक हेल्थ सब सेंटर है. प्रदेश में 6 मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. वहीं, हिमाचल में नवजात शिशु मृत्यु दर व पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट लाने के मामले में राज्य देश भर में अव्वल है, लेकिन बच्चों की सुपर स्पेशियलिटी सुविधा के मामले ( Lack Of Health Facilities In Himachal) में यह प्रदेश पिछड़ा हुआ है.

आईजीएमसी अस्पताल में नए व सर्वाइव किए हुए कैंसर से पीड़ित बच्चों (Cancer patients in IGMC) की संख्या 60 से अधिक है. इसी तरह दिल के रोग से पीड़ित बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं. सामान्य परिस्थितियों में तो कार्डियोलॉजिस्ट व कार्डियक सर्जन अपने स्तर पर ऑपरेशन व इलाज करते हैं, लेकिन जहां विशेषज्ञ की जरूरत हो वहां केस को पीजीआई रेफर कर दिया जाता है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर राजीव सैजल का कहना है कि सरकार पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी सहित अन्य विशेषज्ञों के पद भरने की (Pediatric Oncology posts in Himachal) दिशा में काम कर रही है. पोस्ट क्रिएट करने के साथ ही उन्हें एडवर्टाइज भी किया जाएगा.

ये भी पढ़ें : मैक्लोडगंज में क्रिसमस-न्यू ईयर के लिए पहुंचने लगे सैलानी, होटल कारोबारियों में जगी अच्छे कारोबार की आस

शिमला: नई दिल्ली के एम्स सहित देश के कई बड़े स्वास्थ्य संस्थानों की कमान बेशक हिमाचल के डॉक्टरों के हाथ में हो, लेकिन राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ केयर नहीं है. आईजीमएसी अस्पताल में (Poor health services in IGMC) न तो कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही दिल के रोगों से पीड़ित बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ फैसिलिटी है.

मेडिकल टर्म में देखें तो आईजीएमसी अस्पताल में पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी स्पेशलिस्ट, पीडिएट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट और पीडिएट्रिक कार्डियक सर्जन भी नहीं हैं. केवल एक पीडिएट्रिक सर्जन ही हैं जो जनरल सर्जरी करते हैं. वैसे तो हिमाचल सरकार राज्य में (Health Infrastructure in Himachal) बेहतर हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के दावे करती है, लेकिन प्रदेश में बच्चों के लिए सुपर स्पेशियलिटी सुविधा नहीं है. हिमाचल प्रदेश में इसी साल एम्स बिलासपुर का शुभारंभ (Bilaspur AIIMS OPD inauguration) हुआ है. लेकिन अभी एम्स को पूरी तरह से फंक्शनल होने में समय लगेगा.


वैसे तो शिमला में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित कांगड़ा के टांडा में, सिरमौर के नाहन में, हमीरपुर, चंबा, नेरचौक में मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. लेकिन सबसे अधिक सुविधाएं अभी भी शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में (facility for children in Himachal) ही है. लेकिन एक दशक में आईजीएमसी अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी हेल्थ केयर का (Lack of health facilities in Himachal) विस्तार नहीं हुआ है. सुपर स्पेशियलिटी के नाम पर यहां सिर्फ सीटीवीएस यानी कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी डिपार्टमेंट ही बेहतर काम कर रहा है.

सुपर स्पेशियलिटी के हिसाब से सबसे अधिक बाल रोगी प्रभावित हो रहे हैं. ये ठीक है कि आईजीएमसी अस्पताल में कैंसर से पीड़ित बच्चों को एडमिट कर इलाज किया जाता है, लेकिन न तो यहां पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट है और न ही इस फील्ड में कोई विशेषज्ञ डॉक्टर. मौजूदा स्थिति यह है कि आईजीएमसी अस्पताल में कैंसर पीड़ित बच्चों को गंभीर अवस्था में पीजीआई चंडीगढ़ रेफर करना पड़ता है. यहां बाल रोग विभाग में मुंबई और चंडीगढ़ से प्रशिक्षित नर्स मौजूद हैं और वही कैंसर पीड़ित बच्चों की देखभाल भी करती हैं. वैसे अस्पताल में इन बच्चों के लिए एक प्रोजेक्ट के जरिए भी काम किया जा रहा है. कैंसर से प्रभावित बच्चों के परिजन यहां विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ-साथ अलग से डिपार्टमेंट की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लिया बड़ा फैसला, हिमाचल में निजी बस ऑपरेटरों को टैक्स में छूट

यदि हिमाचल में ओवर ऑल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर (Health Infrastructure in Himachal ) की बात की जाए तो यह अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. यहां नवजात शिशु की डेथ रेट भी अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. साथ ही संस्थागत प्रसव की दर भी देश में सबसे अच्छी है. हिमाचल ने देश को कई बड़े डॉक्टर्स दिए हैं. इस समय एम्स की कमान हिमाचल के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) के हाथ है. नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल (Dr VK Paul) भी हिमाचल से ही संबंध रखते हैं और दुनिया में जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ हैं. इन्हें देश में हेल्थ सेक्टर का सबसे बड़ा डॉक्टर बीसी रॉय सम्मान (Dr BC Roy Award) मिल चुका है.

हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य में प्रति व्यक्ति 30 हजार रुपए खर्च कर रहा है. यहां 2800 लोगों के लिए एक हेल्थ सब सेंटर है. प्रदेश में 6 मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. वहीं, हिमाचल में नवजात शिशु मृत्यु दर व पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट लाने के मामले में राज्य देश भर में अव्वल है, लेकिन बच्चों की सुपर स्पेशियलिटी सुविधा के मामले ( Lack Of Health Facilities In Himachal) में यह प्रदेश पिछड़ा हुआ है.

आईजीएमसी अस्पताल में नए व सर्वाइव किए हुए कैंसर से पीड़ित बच्चों (Cancer patients in IGMC) की संख्या 60 से अधिक है. इसी तरह दिल के रोग से पीड़ित बच्चे भी इलाज के लिए आते हैं. सामान्य परिस्थितियों में तो कार्डियोलॉजिस्ट व कार्डियक सर्जन अपने स्तर पर ऑपरेशन व इलाज करते हैं, लेकिन जहां विशेषज्ञ की जरूरत हो वहां केस को पीजीआई रेफर कर दिया जाता है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर राजीव सैजल का कहना है कि सरकार पीडिएट्रिक ऑन्कोलॉजी सहित अन्य विशेषज्ञों के पद भरने की (Pediatric Oncology posts in Himachal) दिशा में काम कर रही है. पोस्ट क्रिएट करने के साथ ही उन्हें एडवर्टाइज भी किया जाएगा.

ये भी पढ़ें : मैक्लोडगंज में क्रिसमस-न्यू ईयर के लिए पहुंचने लगे सैलानी, होटल कारोबारियों में जगी अच्छे कारोबार की आस

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.