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हिमाचली संस्कृति में रंगा सूरजकुंड मेला, चंबयाली मुसादा गायन ने मोहा लोगों का मन - surajkund mela himachal culture

सूरजकुंड मेले का स्टेट थीम इस बार हिमाचल को बनाया गया है तो मेले में कहीं ना कहीं हिमाचल अपनी संस्कृति की महक बिखेर रहा है. सूरजकुंड के मेले में आए पर्यटक पहाड़ी संस्कृति और पहाड़ी संगीत का खूब मजा उठा रहे हैं.

himachali folk songs and dance in surajkund mela faridabad
सूरजकुंड मेले में प्रस्तुति देते कलाकार
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Published : Feb 8, 2020, 5:21 PM IST

Updated : Feb 8, 2020, 7:15 PM IST

शिमला/फरीदाबाद: सूरजकुंड में चल रहे 34वें अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आप हिमाचल पहाड़ी संगीत का भी लुत्फ उठा सकते हैं. हिमाचल के इस पहाड़ी संगीत को हिमाचल के कलाकार बेहद साज-सज्जा के साथ पेश कर रहे हैं.

सूरजकुंड मेले का स्टेट थीम इस बार हिमाचल को बनाया गया है तो मेले में कहीं ना कहीं हिमाचल अपनी संस्कृति की महक बिखेर रहा है. ऐसा ही कुछ नजारा है मेले के मुख्य सड़क पर, जहां हिमाचली कलाकारों द्वारा अपना घर तैयार किया गया है और ठीक अपने घर के बाहर पहाड़ी संगीत को लोगों को सुनाते हिमाचल के कलाकार बैठे हुए हैं.

वीडियो

शुक्रवार को सुरजकुंड मेले में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला की संस्कृति की झलक देखने को मिली. मेले में आए चंबयाली कलाकारों ने मुसादा गायन सुनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया.

इस संगीत को खंजरी रुबाना के नाम से भी जाना जाता है. ये संगीत पहाड़ों पर बाबा भोले की साधना के लिए हिमाचल में गाया जाता है. इसके अलावा धार्मिक संस्थानों और शादी समारोह में संगीत के बिना कोई काम शुरू नहीं किया जाता.

35 सालों से पहाड़ी गाने गा रहे हैं धनीराम
पहाड़ी कलाकार धनीराम ने बताया कि ये उनका पारंपरिक संगीत है और पिछले लगभग 35 सालों से वो ये संगीत गा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो हिमाचल के चम्बा के रहने वाले हैं और उनसे पहले उनके पिताजी इस संगीत की दुनिया से जुड़े हुए थे.

उन्होंने कहा कि सूरजकुंड के मेले में वो पहाड़ी संस्कृति और पहाड़ी संगीत से आने वाले पर्यटकों का परिचय करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो पिछले कई सालों से मेले में आ रहे हैं और हिमाचल की संस्कृति और संगीत को मेले में आने वाले लोग बहुत ही पसंद कर रहे हैं. तो अगर आप मेला देखने आते हैं तो आप पहाड़ी संगीत का मजा ले सकते हैं.

शिमला/फरीदाबाद: सूरजकुंड में चल रहे 34वें अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आप हिमाचल पहाड़ी संगीत का भी लुत्फ उठा सकते हैं. हिमाचल के इस पहाड़ी संगीत को हिमाचल के कलाकार बेहद साज-सज्जा के साथ पेश कर रहे हैं.

सूरजकुंड मेले का स्टेट थीम इस बार हिमाचल को बनाया गया है तो मेले में कहीं ना कहीं हिमाचल अपनी संस्कृति की महक बिखेर रहा है. ऐसा ही कुछ नजारा है मेले के मुख्य सड़क पर, जहां हिमाचली कलाकारों द्वारा अपना घर तैयार किया गया है और ठीक अपने घर के बाहर पहाड़ी संगीत को लोगों को सुनाते हिमाचल के कलाकार बैठे हुए हैं.

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शुक्रवार को सुरजकुंड मेले में हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला की संस्कृति की झलक देखने को मिली. मेले में आए चंबयाली कलाकारों ने मुसादा गायन सुनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया.

इस संगीत को खंजरी रुबाना के नाम से भी जाना जाता है. ये संगीत पहाड़ों पर बाबा भोले की साधना के लिए हिमाचल में गाया जाता है. इसके अलावा धार्मिक संस्थानों और शादी समारोह में संगीत के बिना कोई काम शुरू नहीं किया जाता.

35 सालों से पहाड़ी गाने गा रहे हैं धनीराम
पहाड़ी कलाकार धनीराम ने बताया कि ये उनका पारंपरिक संगीत है और पिछले लगभग 35 सालों से वो ये संगीत गा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो हिमाचल के चम्बा के रहने वाले हैं और उनसे पहले उनके पिताजी इस संगीत की दुनिया से जुड़े हुए थे.

उन्होंने कहा कि सूरजकुंड के मेले में वो पहाड़ी संस्कृति और पहाड़ी संगीत से आने वाले पर्यटकों का परिचय करवा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो पिछले कई सालों से मेले में आ रहे हैं और हिमाचल की संस्कृति और संगीत को मेले में आने वाले लोग बहुत ही पसंद कर रहे हैं. तो अगर आप मेला देखने आते हैं तो आप पहाड़ी संगीत का मजा ले सकते हैं.

Intro:एंकर-- फरीदाबाद के सूरजकुंड में चल रहे 34 वे अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आप हिमाचल पहाड़ी संगीत का भी लुफ्त उठा सकते हैं। हिमाचल के इस। पहाड़ी संगीत को। हिमाचल के कलाकार बेहद साज-सज्जा के साथ पेश कर रहे हैं।
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वीओ-- सूरजकुंड मेले का स्टेट थीम इस बार हिमाचल को बनाया गया है। तो मेले में कहीं ना कहीं हिमाचल अपनी संस्कृति की महक बिखेर रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा है मेले के मुख्य सड़क पर जहां हिमाचल के द्वारा अपना घर तैयार किया गया है और ठीक अपना घर के बाहर पहाड़ी संगीत को लोगों को सुनाते हिमाचल के कलाकार बैठे हुए हैं इस संगीत को खंजरी रुबाना के नाम से जाना जाता है। यह संगीत पहाड़ों पर बाबा भोले की साधना के लिए हिमाचल में गाया जाता है। इसके अलावा धार्मिक संस्थानों और शादी समारोह में संगीत के बिना कोई काम शुरू नहीं किया जाता पहाड़ी कलाकार धनीराम ने बताया कि यह उनका पारंपरिक संगीत है और पिछले लगभग 35 सालों से वह यह संगीत गा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह हिमाचल के चंबा के रहने वाले हैं और उनसे पहले उनके पिताजी इस संगीत की दुनिया से जुड़े हुए थे। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड के मेले में वह पहाड़ी संस्कृति और पहाड़ी संगीत से आने वाले पर्यटकों का परिचय करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले कई सालों से मेले में आ रहे हैं और हिमाचल की संस्कृति और संगीत को मेले में आने वाले लोग बहुत ही पसंद कर रहे हैं। तो अगर आप मेला देखने आते हैं तो आप पहाड़ी संगीत का मजा ले सकते हैं।

वीओ-- धनीराम, हिमाचली संगीतकारConclusion:सूरजकुंड मेले में हिमाचल के पहाड़ी संस्कृति। और पहाड़ी संगीत का उठा सकते हैं लोग तो हिमाचल के संगीत कलाकार कर रहे हैं लोगों का मनोरंजन।
Last Updated : Feb 8, 2020, 7:15 PM IST
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