शिमला: भारतीय सेना में हिमाचल के युवाओं का योगदान किसी परिचय का मोहताज नहीं है. पहले परमवीर चक्र विजेता के साथ करगिल युद्ध में दो परमवीर हासिल करने वाले गबरुओं की धरती हिमाचल को अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) से कई लाभ होंगे. नशे के दलदल में फंस रही युवा पीढ़ी को अपना जीवन संवारने का एक मौका मिलेगा. साथ ही सेना में जाकर देश की सेवा करने की इच्छा रखने वाले युवाओं को भी अवसर हासिल होंगे.
हिमाचल रेजिमेंट के लिए होता रहा प्रयास: हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकारें प्रदेश के लिए अलग से हिमाचल रेजिमेंट की स्थापना के लिए प्रयास करती रही है. सेना में अधिक से अधिक भर्ती कोटा हासिल करने के लिए हर राज्य प्रयास करता है. देश की सेना में शानदार योगदान को देखते हुए हिमाचल सरकार ने कई बार विधानसभा में प्रस्ताव पास किया कि हिमाचल के लिए अलग से सेना की रेजिमेंट स्थापित की जाए. यदि ये संभव नहीं है तो हिमालयी राज्यों को मिलाकर हिमालयन रेजिमेंट की स्थापना की जाए. इसका लाभ ये होगा कि हिमाचल के युवाओं को अधिक से अधिक संख्या में सेना में भर्ती होने का मौका मिलेगा.
हिमाचल के युवाओं को होगा फायदा: फिलहाल, अब केंद्र सरकार ने सेना में अग्निपथ योजना का ऐलान किया है. इससे हिमाचल के युवाओं को भी लाभ मिलेगा. राज्य सरकार के सैनिक कल्याण विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार इस योजना से हिमाचल को कई लाभ होंगे. उन्होंने कहा कि हिमाचल के युवाओं को सेना में सेवा देने के लिए अधिक अवसर मिलेंगे. सेना में अफसर कैडर की नियमित भर्ती के अलावा अग्निवीर बनने का भी मौका युवाओं के सामने होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी इस योजना का स्वागत किया है.
युवाओं की दिशा को उर्जा मिलेगी: वहीं, मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का कहना है कि युवाओं की उर्जा को दिशा देने के नजरिए से ये फैसला बेहतर है. हिमाचल में नशे की प्रवृति बढ़ रही है. ऐसे में युवाओं को अपनी उर्जा के लिए मंच मिलेगा. देश की सेवा के लिए भावना जगेगी. हिमाचल में वैसे भी हर गांव से कई युवा सेना में हैं. सेना में भर्ती के लिए अवसर भी अधिक होंगे. करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर के अनुसार केंद्र सरकार व सेना के टॉप ब्रेन ने सोच-समझकर और गहन चिंतन के साथ अग्निपथ योजना का ऐलान किया है. ये युवाओं के लिए सुनहरी अवसर की तरह हैं.
रकम से मिलेगा फायदा: सैनिक कल्याण विभाग मंत्री महेंद्र ठाकुर के अनुसार चार साल के बाद अग्निवीर केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के अलावा राज्य सरकारों और पीएसयू में भी नौकरी के अवसर हासिल कर सकते हैं. भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष अमित ठाकुर का कहना है कि युवाओं के लिए ये योजना क्रांतिकारी साबित होगी. हिमाचल के लिए इसके कई लाभ हैं. चार साल की सेवा के दौरान युवा अपने वेतन से यदि पांच लाख रुपए की सेविंग करता है और सेवा से विराम पाने के बाद उसे करीब 12 लाख रुपए मिलेंगे. ये रकम आगे के भविष्य के लिए फलदायी होगी.
साढ़े आठ लाख से ज्यादा बेरोजगार: हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. प्रदेश में इस समय साढ़े आठ लाख से अधिक पंजीकृत बेरोजगार युवा हैं. प्रदेश के पास खुद के आर्थिक संसाधन न के बराबर हैं. युवाओं के लिए सेना व पुलिस भर्ती रोजगार के लिए बड़ा अवसर है. ऐसे में देखना है कि उक्त योजना में हिमाचल को किस तरह का प्रतिनिधित्व मिलता है. हिमाचल के हिस्से भर्ती में कितने पद आते हैं.
अपना-अपना नजरिया: हिमाचल की राजनीति में देखें तो सैनिक कल्याण विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर सहित भाजपा विधायक कर्नल इंद्र सिंह, विधायक विक्रम जरियाल सहित भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने भी सेना में सेवाएं दी हैं. इनका कहना है कि अग्निपथ योजना से हिमाचल के युवाओं को देश सेवा के साथ रोजगार का अवसर भी मिलेगा. वहीं, कांग्रेस नेता और सेना में कर्नल रहे डॉ. धनीराम शांडिल इस योजना के दूसरे पक्ष को देख रहे हैं. वे इसे सेना में ठेका प्रथा की तरह मानते है. वे कहते हैं कि इस योजना का हश्र भी नोटबंदी व जीएसटी जैसा होगा.
हिमाचल ने हासिल किए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान : हिमाचल के सैन्य अफसरों व जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, 2 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीरचक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं.आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचली के वीर के सीने पर सजा है.
एक लाख से ज्यादा भूतपूर्व फौजी: करीब 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में 1.06 लाख से अधिक भूतपूर्व फौजी हैं. यानी एक लाख से अधिक फौजी देश की सेवा करने के बाद सेवानिवृत जीवन जी रहे हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के थलसेना में ही हिमाचल प्रदेश के 55 हजार अफसर व जवान हैं. हिमाचल प्रदेश में 4 लाख परिवार किसी न किसी रूप से सेना व अन्य सुरक्षा बलों से जुड़े हुए हैं.
पक्ष- विपक्ष में बहस का दौर: अभी इस योजना के विस्तार से सभी पहलू सामने आएंगे. सोशल मीडिया पर भी इसके पक्ष और विपक्ष में बहस चल रही है. ये भी बताया जा रहा है कि देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत ने इस योजना का खाका तैयार करने में काफी योगदान दिया है. देखना है कि इस योजना पर आने वाले समय में युवा किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं.
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