शिमला: चंबा जिला के तस्कर को लोअर कोर्ट की तरफ से सुनाई गई दस साल की कैद की सजा को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने बरकरार रखा है. तस्कर ने लोअर कोर्ट से सुनाई गई सजा (punishment of charas smuggler) को अपील के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने लोअर कोर्ट की तरफ से सुनाई गई सजा को बरकरार रखा. हिमाचल के चंबा निवासी बिशन दत्त को निचली अदालत ने 10 साल के कठोर कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने निचली अदालत के निर्णय पर अपनी मोहर लगाते हुए कहा कि वहां से आया फैसला तर्कसंगत है और उसमें किसी भी फेरबदल की आवश्यकता नहीं है.
मामले के अनुसार सात साल पहले 5 नवंबर की तारीख को चंबा पुलिस ने बनखड़ी मोड़ पर नाका लगाया था. बिशन दत्त बनीखेत की तरफ से मोटरसाइकिल पर आ रहा था. पुलिस ने उसे तलाशी के लिए रोका और चेकिंग के दौरान पुलिस ने उसके थैले से 2.5 किलोग्राम चरस बरामद की. पुलिस ने मामले की प्रारंभिक जांच कर पुलिस थाना डलहौजी में मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम की धारा 20 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया.
मामले की जांच के बाद अभियोजन पक्ष ने दोषी के खिलाफ निचली अदालत में अभियोग चलाया. अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए 14 गवाह पेश किये. निचली अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष दोषी के खिलाफ अभियोग साबित करने में सफल रहा है. निचली अदालत ने दोषी को चरस रखने का दोषी पाते हुए 10 साल की कठोर कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी.
इस निर्णय को दोषी ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी. हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों को सही तरीके से परखा है. दोषी की अपील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय को सही ठहराया है.
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