शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए सड़क हादसे नासूर बन गए हैं. परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग और पुलिस के निरंतर प्रयास के बावजूद सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे. हिमाचल में हर साल औसतन तीन हजार के (accidents in himachal) करीब सड़क हादसे होते हैं. हर साल एक हजार से अधिक अनमोल जीवन हादसों के कारण काल का शिकार बन जाते हैं. पुलिस प्रशासन ने वैज्ञानिक अध्ययन (himachal police study on road accidents) के जरिए यह जानने का प्रयास किया है कि हादसों के कारण और अन्य पहलू कौन-कौन से हैं.
शाम 6 से 9 के बीच सबसे ज्यादा हादसे- बीते पांच साल के अध्ययन से ऐसे खुलासे हुए हैं, जिन पर योजना बनाकर काम करने से सड़क हादसे (Time Wise road accident in himachal) कम किए जा सकते हैं. राज्य की सड़कों पर सबसे अधिक हादसे शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होते हैं. जबकि सबसे कम हादसे सुबह 3 बजे से 6 बजे के बीच होते हैं. दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक 19 फीसदी हादसे होते हैं, जबकि शाम 6 से 9 बजे के बीच 22 फीसदी हादसे हुए हैं. पांच साल का अध्ययन बताता है कि इस दौरान रोड़ ट्रैफिक एक्सीडेंट्स का आंकड़ा 13740 रहा है
ओवर स्पीड के कारण सबसे ज्यादा एक्सीडेंट- हिमाचल में सड़क हादसों की वजह (reasons of road accidents in himachal) की बात करें तो सबसे ज्यादा 49% हादसे ओवर स्पीड के कारण (reasons of road accidents in himachal) पेश आते हैं. पुलिस विभाग के अनुसार 13740 सड़क हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण बताता है कि 6673 सड़क हादसे ओवर स्पीड के कारण हुए. यह कुल हादसों का 49 प्रतिशत है. खतरनाक तरीके से ड्राइविंग के कारण 2638 एक्सीडेंट हुए. यह कुल हादसों का 19 प्रतिशत है. इसी तरह बिना सिग्नल दिए वाहन मोड़ने के कारण 1505 यानी 11 प्रतिशत, खतरनाक तरीके से ओवरटेक करने से 866 हादसे, नशे की हालत में 554, तीखे मोड़ों के कारण 204 और पैरापिट न होने के कारण 185 सड़क हादसे पेश आए हैं.
हादसों का वक्त- हिमाचल पुलिस के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक (himachal police report on road accidents) कुल 13740 हादसों में 3033 यानी 22 प्रतिशत एक्सीडेंट शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच हुए हैं. इसी तरह दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक कुल हादसों का 19 प्रतिशत यानी 2646 एक्सीडेंट हुए हैं. वहीं दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक 2119, सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक 2003 हादसे, रात 9 बजे से 12 बजे तक 1572 हादसे और सुबह 6 बजे से 9 बजे तक 1237 रोड़ एक्सीडेंट हुए हैं. सबसे कम 448 एक्सीडेंट सुबह 3 बजे से 6 बजे के बीच हुए हैं.
साल 2022 में सड़क हादसे- हिमाचल में इस साल एक अप्रैल तक 553 सड़क हादसे हो चुके हैं. पिछले साल इसी अवधि में 595 सड़क हादसे हुए थे. बिलासपुर में 12 ऐसे पॉइंट हैं जहां बार-बार हादसे हो रहे हैं. चंबा में 10, कुल्लू में 30, किन्नौर में 10, लाहौल स्पीति में 3, सिरमौर में 9, सोलन में 5, ऊना में 9, शिमला में 20, मंडी में 11, कांगड़ा में 9 और हमीरपुर में 8 ऐसे पॉइंट हैं जहां बार-बार सड़क हादसे हो रहे हैं. पुलिस ने इन पॉइंट्स की सारी जानकारी लोक निर्माण विभाग व अन्य संबंधित विभागों के साथ साझा की है.
हादसों का हिमाचल- हिमाचल में वर्ष 2017 में 3114 सड़क हादसों में 1203 लोगों की जान गई. 2018 में 3110 हादसों में 1208 लोगों ने जान गवाई. 2019 में 2873 सड़क हादसों के कारण 1146 लोग काल का शिकार हुए. कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन लगने से वर्ष 2020 में हादसे कम हुए. वर्ष 2020 में 2190 हादसों में 882 लोगों की जान गई. वर्ष 2021 में सड़क हादसे फिर बढ़ गए और 2403 एक्सीडेंट में 1049 लोगों की मौत हुई. 2022 में अभी तक 553 हादसों में 217 लोगों ने जान गंवा चुके हैं. हिमाचल प्रदेश में रोजाना औसतन 8 सड़क हादसे होते हैं और रोजाना तीन लोग अपनी जान गंवाते हैं. कोरोना काल में 2020 में रोजाना हादसों की औसतन संख्या 6 रह गई थी. उस दौरान मौत का आंकड़ा भी गिरा था. सड़क हादसों में औसतन हर रोज 15 लोग घायल होते हैं.
इंसानी लापरवाही से सबसे ज्यादा हादसे- सरकार के अन्य अध्ययन के मुताबिक 95 प्रतिशत हादसे इंसानी लापरवाही से होते हैं. हिमाचल में अगस्त 2015 से अगस्त 2019 के बीच 12 हजार 475 सड़क हादसे हुए थे. करीब पांच फीसदी हादसों का कारण सड़कों की खराबी आदि से जुड़ा है. हिमाचल में ओवर स्पीड से 51 फीसदी से अधिक, गफलत के कारण मुड़ने से 16 फीसदी से अधिक, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण 9 फीसदी से अधिक हादसे हुए. कुल 4.5 फीसदी हादसे खराब सड़कों, गाड़ियों की खस्ताहालत और मौसम आदि के कारण पेश आए हैं.
क्या कहते हैं मंत्री- परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि पुलिस और लोक निर्माण विभाग के साथ मिलकर हादसों को रोकने का प्रयास किया जाता है. हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के प्रवक्ता के अनुसार ब्लैक स्पॉट्स को सुधारने पर खास ध्यान दिया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में पहले 516 ब्लैक स्पॉट्स थे. अब 200 से कम ब्लैक स्पॉट्स रह गए हैं.
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