शिमला: हिमाचल पुलिस ने पेपर लीक मामले (Himachal Police Paper Leak) में अपनी पीठ थपथपाई है. शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दाैरान हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में एसआईटी ने बेहतर काम किया है. पेपर लीक मामले के मास्टर माइंड शिव बहादुर सिंह को यूपी से एसटीएफ की मदद से गिरफ्तार किया गया है. ऐसे में अब जल्द ही आने वाले 7 दिन के अंदर एसआईटी चार्जशीट दाखिल करेगी.
डीजीपी ने कहा कि जाे लाेग पकड़े गए हैं, उनका काम पेपर लीक करना ही था, वे इस काम में प्राेफेशनल हैं. इसमें हिस्ट्रीशीटर और इंजीनियर से लेकर ट्रांसपोर्टर तक का काम करने वाले लाेग शामिल हैं. डीजीपी ने बताया कि शिमला, लाहौल-स्पीति और किन्नौर से अब तक कोई अभ्यर्थी या ऐजेंट गिरफ्तार नहीं किया है, इसकी जांच जारी है.
अब तक 171 लाेग गिरफ्तार किए गए हैं: डीजीपी संजय कुंडू (Himachal DGP Sanjay Kundu on Police Paper Leak) ने कहा कि पेपर लीक मामले में अब तक 171 आराेपियाें काे गिरफ्तार किया जा चुका है. अभी भी इन्वेस्टिगेशन (जांच पड़ताल) चल रही है. उन्हाेंने कहा कि पुलिस अपना काम अच्छे तरीके से कर रही है. अगर इसमें किसी भी पुलिस अफसर की संलिप्तता पाई गई ताे उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी.
CBI ने अभी तक जांच शुरू नहीं की: प्रदेश सरकार ने जांच CBI काे सौंपी है, लेकिन CBI ने अभी तक इसकी जांच शुरू ही नहीं की है. सीबीआई की ओर से सरकार को हां या ना का जवाब नहीं मिला है. वहीं, इस मामले पर डीजीपी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है.
ऐसे लगा पेपर लीक का पता, 24 मार्च की चैट, अप्रैल में हुई थी वायरल: सोशल मीडिया पर वायरल हुई चैट 24 मार्च की है, जबकि कॉन्स्टेबल परीक्षा 27 मार्च को थी. 24 मार्च की व्हाट्सऐप चैट को रिजल्ट आने के एक-दो दिन बाद यानी अप्रैल के पहले सप्ताह में वायरल किया गया. अर्की का एक युवक जिसे पेपर खरीदने का ऑफर मिला था, लेकिन उसने पेपर नहीं खरीदा था. जब रिजल्ट आया तो वह युवक रिजल्ट में मेरिट में नहीं आ सका. इसके बाद उस युवक ने ही 24 मार्च का व्हाट्सऐप चैट सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिसे शुरुआत में पुलिस अफसर गलत बताते रहे.
75803 अभ्यर्थियों को दोबारा देनी होगी लिखित परीक्षा: हिमाचल में 75 हजार से अधिक युवाओं ने परीक्षा दी थी. बाद में यह खुलासा हुआ कि कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिन्होंने लिखित परीक्षा में अच्छे अंक लिए, लेकिन उनका शैक्षणिक रिकॉर्ड बहुत खराब था. वहीं, से कांगड़ा पुलिस को शक हुआ और धांधली सामने आई. अभी तक की जांच में यह पता चला है कि कुछ अभ्यर्थियों ने पेपर लीक की एवज में 8 से 10 लाख रुपए तक चुकाए हैं. कयास लगाया जा रहा है कि पेपर लीक होने के बाद कम से कम 2 हजार अभ्यर्थियों तक पहुंचाया गया. इस तरह यह घोटाला डेढ़ सौ करोड़ से अधिक का हो सकता है. अब हिमाचल के 75803 अभ्यर्थियों को दोबारा लिखित परीक्षा देनी होगी. यह भर्ती प्रक्रिया पुलिस कॉन्स्टेबल के 1334 पद भरने के लिए शुरू की गई थी.
हिमाचल में 27 मार्च को ली गई पुलिस कॉन्स्टेबल की भर्ती परीक्षा का पांच अप्रैल को परिणाम घोषित किया गया था. प्रदेश भर के 81 केंद्रों पर 1334 पदों के लिए 75000 से अधिक युवाओं ने लिखित परीक्षा दी थी. परिणाम घोषित होने के बाद जिलों में चयनित युवाओं के दस्तावेजों की जांच का कार्य चल रहा था, कुछ जिलों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, जबकि कई जगह यह प्रक्रिया चल रही थी. चंडीगढ़ के पंचकूला में छपे इस पेपर को लीक करने के लिए प्रिंटिंग प्रेस भी संदेह के घेरे में है. उधर कांगड़ा जिले के रैहन में चलने वाले एक कोचिंग सेंटर के संचालक से भी पुलिस ने पूछताछ की थी. इस कोचिंग संस्थान के आठ युवाओं ने पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा दी थी.
आरोपी अभ्यर्थी बोले नरेंद्र मोदी हैं हिमाचल के मुख्यमंत्री: कांगड़ा जिले में एक अभ्यर्थी ने काफी अच्छे अंक लिए उसके दस्तावेजों की जांच के दौरान पुलिस अफसर ने उससे एक सामान्य सवाल कर दिया. पुलिस अधिकारी ने अभ्यर्थी से हिमाचल के मुख्यमंत्री का नाम पूछा तो उसने पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लिया. इससे पुलिस अफसर को शक हुआ. जब अन्य अभ्यर्थी से भी सामान्य ज्ञान के सवाल पूछे गए तो उन्होंने सभी का गलत जवाब दिया. लिखित परीक्षा में अच्छे अंक हासिल करने वाले युवाओं से जब ऐसे जवाब मिले तो उनके दस्तावेजों की गहराई से जांच हुई. पता चला कि उनके दसवीं की परीक्षा में मामूली अंक हैं. उसके बाद शक गहराया और एसपी कांगड़ा ने पूरे मामले की तह तक जाने का फैसला लिया.
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