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जल शक्ति विभाग को मिला प्रतीक चिन्ह, जानें जल शक्ति विभाग किस साल दिया गया था नाम

जल शक्ति विभाग का लोगो जारी (Jal Shakti Department released logo) करते हुए मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतीक चिन्ह में पानी की बूंदों को सहेजते दो हाथ पहाड़ों में जल संरक्षण व जल संग्रहण के महत्व को प्रदर्शित करते है. उन्होंने कहा कि जल सरंक्षण के लिए जन सहभागिता और महिला-पुरूष की समान भागीदारी आवश्यक है. इसलिए प्रतीक चिन्ह में महिला व पुरूष का हाथ बनाया गया है

जल शक्ति विभाग
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Published : Jun 30, 2022, 8:13 AM IST

शिमला: जल शक्ति विभाग का लोगो जारी (Jal Shakti Department released logo) करते हुए मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतीक चिन्ह में पानी की बूंदों को सहेजते दो हाथ पहाड़ों में जल संरक्षण व जल संग्रहण के महत्व को प्रदर्शित करते है. उन्होंने कहा कि जल सरंक्षण के लिए जन सहभागिता और महिला-पुरूष की समान भागीदारी आवश्यक है. इसलिए प्रतीक चिन्ह में महिला व पुरूष का हाथ बनाया गया है. उन्होंने कहा कि प्रतीक चिन्ह में बनाए गए हाथों के नीचे पानी की लहरें दर्शाई गई ,जो जल संरक्षण से जल की उपलब्धता में बढ़ोतरी, स्रोत स्थिरता, समाज की समृद्धि व संपन्नता का प्रतीक है.


2020 में बदला गया नाम: जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने बुधवार को जल शक्ति विभाग का विभागीय प्रतीक चिन्ह (लोगो) जारी किया, जिसकी टैग लाइन ‘जलमेव जीवनम्’ जीवन में जल के महत्व और विभाग से इसके जुड़ाव को दिखाती है. विभाग की स्थापना वर्ष 1984 में सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के नाम से की गई थी, लेकिन वर्ष 2020 में विभाग का नाम बदलकर जल शक्ति विभाग किया गया. जल शक्ति मंत्री ने कहा कि राज्य में विभाग का वर्षो पुराना इतिहास है, लेकिन अभी तक इसका अपना कोई प्रतीक चिन्ह नहीं था, जिसकी लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी.

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प्रतीक चिन्ह पहचान को दर्शाता: महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रतीक चिन्ह विभाग की प्रतिष्ठा, उद्देश्य, कार्य, प्रतिबद्धता और पहचान को दर्शाता और आमजन के समक्ष विभाग का दृष्य प्रस्तुत कर उनके मन में गहरी छाप बनाता है.जल शक्ति मंत्री ने प्रतीक चिन्ह की विशेषताओें को बताते हुए कहा कि प्रतीक चिन्ह में दर्शाए गए पहाड़ पर्वतीय प्रदेश व यहां की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को दर्शाते हैं.

शिमला: जल शक्ति विभाग का लोगो जारी (Jal Shakti Department released logo) करते हुए मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतीक चिन्ह में पानी की बूंदों को सहेजते दो हाथ पहाड़ों में जल संरक्षण व जल संग्रहण के महत्व को प्रदर्शित करते है. उन्होंने कहा कि जल सरंक्षण के लिए जन सहभागिता और महिला-पुरूष की समान भागीदारी आवश्यक है. इसलिए प्रतीक चिन्ह में महिला व पुरूष का हाथ बनाया गया है. उन्होंने कहा कि प्रतीक चिन्ह में बनाए गए हाथों के नीचे पानी की लहरें दर्शाई गई ,जो जल संरक्षण से जल की उपलब्धता में बढ़ोतरी, स्रोत स्थिरता, समाज की समृद्धि व संपन्नता का प्रतीक है.


2020 में बदला गया नाम: जल शक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने बुधवार को जल शक्ति विभाग का विभागीय प्रतीक चिन्ह (लोगो) जारी किया, जिसकी टैग लाइन ‘जलमेव जीवनम्’ जीवन में जल के महत्व और विभाग से इसके जुड़ाव को दिखाती है. विभाग की स्थापना वर्ष 1984 में सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के नाम से की गई थी, लेकिन वर्ष 2020 में विभाग का नाम बदलकर जल शक्ति विभाग किया गया. जल शक्ति मंत्री ने कहा कि राज्य में विभाग का वर्षो पुराना इतिहास है, लेकिन अभी तक इसका अपना कोई प्रतीक चिन्ह नहीं था, जिसकी लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी.

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प्रतीक चिन्ह पहचान को दर्शाता: महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रतीक चिन्ह विभाग की प्रतिष्ठा, उद्देश्य, कार्य, प्रतिबद्धता और पहचान को दर्शाता और आमजन के समक्ष विभाग का दृष्य प्रस्तुत कर उनके मन में गहरी छाप बनाता है.जल शक्ति मंत्री ने प्रतीक चिन्ह की विशेषताओें को बताते हुए कहा कि प्रतीक चिन्ह में दर्शाए गए पहाड़ पर्वतीय प्रदेश व यहां की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को दर्शाते हैं.

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