शिमला: हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर्स के 300 पदों की भर्ती से जुड़े लेकर (Recruitment of 300 posts of doctors) हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख (himachal high court reserves the decision) लिया है. हिमाचल सरकार ने पहले ये 300 पद वॉक इन इंटरव्यू के जरिए भरने का ऐलान किया था. बाद में सरकार ने निर्णय पलटा और इन पदों की भर्ती को लेकर लिखित परीक्षा आयोजित करने का ऐलान किया. सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका की सुनवाई के बाद अब हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पूर्व में सुनवाई के दौरान आदेश जारी किया था कि अदालत की अनुमति के बिना रिजल्ट नहीं निकाला जाएगा. इससे पहले हाईकोर्ट से याचिकाकर्ता डॉक्टरों को कोई फौरी राहत नहीं मिली थी. याचिका दाखिल करने वालों ने लिखित परीक्षा के बजाय वॉक इन इंटरव्यू के जरिए ही पदों को भरने की मांग की थी. इस पर उन्हें अदालत से राहत नहीं मिली थी. हालांकि, याचिकाकर्ताओं को भर्ती परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए परीक्षा परिणाम कोर्ट के आगामी आदेशानुसार ही घोषित करने के आदेश पारित किए गए थे. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने डाक्टरों के 300 पदों की भर्ती लिखित परीक्षा के माध्यम से करवाने का निर्णय लिया था.
याचिकाकर्ता डॉक्टर शौर्या (Petitioner Dr. Shaurya Choudhary) चौधरी और अन्य ने अदालत में आग्रह किया था कि राज्य सरकार वर्ष 2012 से 2022 तक इन पदों को वॉक इन इंटरव्यू से ही भरती आ रही है. इस साल सरकार ने कुल 500 पदों की भर्ती का फैसला लिया. पहले लिए गए फैसले में सरकार ने 200 पद सीधी भर्ती और 300 पद वॉक इन इंटरव्यू से भरने की बात कही थी. इससे पूर्व 21 दिसंबर 2020 को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 251 पद वॉक इन इंटरव्यू से ही भरे थे. इसके अलावा एक फरवरी 2022 को भी चिकित्सकों के 43 पद भरे गए थे. फिर इसी साल 14 जुलाई को राज्य सरकार ने चिकित्सकों के 300 पद वाक इन इंटरव्यू से भरे जाने को स्वीकृति दी थी.
आरोप लगाया गया है कि 3 अगस्त, 2022 को राज्य सरकार ने अपने ही फैसले को पलटते हुए 300 पदों को लिखित परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का निर्णय लिया है. सरकार का इस तरह का निर्णय नियमों के विपरीत ही नहीं ,बल्कि नौकरी की राह देख रहे प्रशिक्षु चिकित्सकों के साथ भी खिलवाड़ है. फिलहाल इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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