शिमला: हिमाचल सरकार को प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार की रिटेंशन पॉलिसी को रद्द करने पर पुनर्विचार करने के लिए दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की एक (Petition for review on cancellation of retention policy dismissed) खंडपीठ ने सरकार की रिटेंशन पॉलिसी को रद्द करने के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट के (Himachal High Court) न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने ये साफ कह दिया कि अदालत का फैसला पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है. अदालत ने कहा कि पॉलिसी को रद्द करने वाला फैसला कानूनन सही है और इस कारण इसमें पुनर्विचार की जरूरत नहीं है. यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार की शिमला सहित प्रदेश के अन्य शहरों में अवैध निर्माण को वैध करने के लिए बनाई रिटेंशन पॉलिसी को रद्द कर दिया था. सरकार ने रिटेंशन पॉलिसी के लिए टीसीपी एक्ट में संशोधन किया था.
राज्य सरकार के उक्त संशोधन को एडवोकेट अभिमन्यु राठौर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की इस पॉलिसी को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार हेतु याचिका दायर की थी. इस पुनर्विचार याचिका को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
उल्लेखनीय है कि राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में काफी मकान टीसीपी नियमों की अनदेखी करते हुए बनाए गए हैं. डेढ़ दशक से भी अधिक समय से ऐसे मकानों के मालिक, सरकार ने रिटेंशन पॉलिसी की मांग कर रहे हैं. रिटेंशन पॉलिसी के तहत नियमों के खिलाफ बने मकान नियमित किए जाने थे. इसके लिए सरकार ने टीसीपी एक्ट में संशोधन भी किया था. राज्य सरकार की रिटेंशन पॉलिसी को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. उसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. अब सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है.
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