शिमला: हिमाचल प्रदेश में टीजीटी से लेक्चरर के पद पर प्रमोशन के लिए डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी यानी डीपीसी की प्रक्रिया में देरी पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. इस संदर्भ में अदालत में दाखिल अवमानना याचिका में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा सचिव को खुद अदालत में हाजिर होने के आदेश जारी किए हैं. रविंद्र सिंह नामक व्यक्ति ने अवमानना याचिका दाखिल की थी.
मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने इस साल 7 जनवरी को पारित निर्णय की अनुपालना न होने पर नाराजगी जताई. एकल पीठ ने सख्ती जताते हुए आगामी 22 अगस्त को शिक्षा सचिव को स्वयं हाई कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश जारी किए है.
उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने इस साल के आरंभ में 7 जनवरी को पारित निर्णय में साफ कहा था कि टीजीटी शिक्षक रविंद्र सिंह व ऐसे अन्य शिक्षकों को इतिहास विषय में खाली पड़े प्रवक्ता के पद पर प्रमोट किया जाए. इसके लिए विभागीय प्रमोशन कमेटी की बैठक तीन माह यानि 7 अप्रैल तक पूरी की जाए. प्रार्थी रविंद्र की बतौर टीजीटी 5 साल के सेवाकाल की अवधि वर्ष 2014 में पूरी हुई थी. उसके बाद कई बार उसका नाम प्रमोशन पैनल में आगे भेजा गया. उसके बावजूद हिस्ट्री लेक्चरर के खाली पड़े 95 पदों के बावजूद प्रार्थी को प्रमोशन नहीं मिली.
ऐसे में हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग को आदेश दिए थे कि इतिहास विषय के प्रवक्ता पद पर प्रमोशन के लिए विशेष डीपीसी करते हुए प्रार्थी और ऐसे अन्य पात्र शिक्षकों को लाभ दिया जाए, लेकिन शिक्षा विभाग ने 7 अप्रैल तो दूर, अभी तक प्रार्थी को प्रमोशन नहीं दी है. इससे आहत प्रार्थी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट ने प्रारम्भिक सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग को 2 सप्ताह का समय दिया, मगर विभाग ने कोई भी कोई जवाब दायर नहीं किया. फिर हाई कोर्ट ने 8 अगस्त को इसका संज्ञान लिया और 22 अगस्त तक प्रमोशन प्रक्रिया के तहत डीपीसी न किए जाने पर शिक्षा सचिव को स्वयं हाई कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश जारी किया है.
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