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पहाड़ पर अंधाधुंध निर्माण से हाईकोर्ट नाराज, मुख्य सचिव सहित कई अफसर 17 अक्टूबर को अदालत में तलब - पहाड़ियों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य

हिमाचल में पहाड़ियों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. एक मामले की सुनवाई के (indiscriminate construction work on hills in Himachal) दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सहित अन्य संबंधित विभागों के अफसरों को 17 अक्टूबर को अदालत में तलब किया है.

Himachal High court
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Published : Oct 12, 2022, 10:34 PM IST

शिमला: पर्वतीय प्रदेश हिमाचल में पहाड़ियों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. बेतरतीब और अवैज्ञानिक निर्माण से जुड़े मामले की सुनवाई के (indiscriminate construction work on hills in Himachal) दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सहित अन्य संबंधित विभागों के अफसरों को 17 अक्टूबर को अदालत में तलब किया है. पिछली सुनवाई में अफसरों ने अदालत को बताया था कि सोलन जिले में कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त निरीक्षण कमेटी का गठन किया गया है.

इस कमेटी में एडीसी सोलन अध्यक्ष हैं. एडीसी सोलन के अलावा कमेटी में लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता, जिला वन अधिकारी और टॉउन एंड कंट्री प्लानर को इसका सदस्य बनाया गया है. अदालत को बताया गया था कि इस कमेटी का गठन 20 सितंबर को किया गया. सरकारी पक्ष ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया था कि संबंधित क्षेत्र को नजदीकी प्लानिंग क्षेत्र में मिलाए जाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि इस बारे में कैबिनेट की ओर से ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. बड़ोग क्षेत्र नजदीक होने के कारण कुमारहट्टी को साडा यानी स्पेशल एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी बड़ोग में विलय करने की संभावना भी तलाशी जा रही है.

फिलहाल, हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी संबंधित अफसरों को 17 अक्टूबर को अदालत तलब किया है. उल्लेखनीय है कि पहाडिय़ों पर बेतरतीब व अवैध निर्माणों के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाबी शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पहाड़ों पर अवैध निर्माणों के मुद्दे को अतिमहत्वपूर्ण और गंभीर बताया. अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने जवाबी शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करे कि प्रदेश की कौन सी अथॉरिटी ने सोलन जिला के गांव खील झालसी से कोरों गांव को मिलाकर कैंथरी गांव तक के 6 किलोमीटर की सडक़ के दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतों को बनाने की अनुमति प्रदान की है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया था कि ऐसे बेतरतीब और अंधाधुंध निर्माणों को रोकने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है. कोर्ट का मानना था कि पर्यावरण दृष्टि से संवेदनशील इलाके में यह इमारतें पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्रतीत होती हैं. प्रार्थी कुसुम बाली ने याचिका में यह भी बताया है कि यह निर्माण गैरकानूनी है. इनसे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं. कोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहाड़ों को काटकर इन अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माणों को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत करवाने के आदेश भी मुख्य सचिव को दिए थे. कोर्ट ने याचिका को विस्तार देते हुए इसे पूरे राज्य में पहाड़ों पर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से ऐसे कार्यों से जुड़े सभी आला अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष तलब किया है.

ये भी पढ़ें: भाजपा नेता सूरत नेगी के उद्घाटन करने पर कांग्रेस विधायक जगत नेगी को था एतराज, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

शिमला: पर्वतीय प्रदेश हिमाचल में पहाड़ियों पर अंधाधुंध निर्माण कार्य को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. बेतरतीब और अवैज्ञानिक निर्माण से जुड़े मामले की सुनवाई के (indiscriminate construction work on hills in Himachal) दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सहित अन्य संबंधित विभागों के अफसरों को 17 अक्टूबर को अदालत में तलब किया है. पिछली सुनवाई में अफसरों ने अदालत को बताया था कि सोलन जिले में कुमारहट्टी के समीप बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त निरीक्षण कमेटी का गठन किया गया है.

इस कमेटी में एडीसी सोलन अध्यक्ष हैं. एडीसी सोलन के अलावा कमेटी में लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता, जिला वन अधिकारी और टॉउन एंड कंट्री प्लानर को इसका सदस्य बनाया गया है. अदालत को बताया गया था कि इस कमेटी का गठन 20 सितंबर को किया गया. सरकारी पक्ष ने हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया था कि संबंधित क्षेत्र को नजदीकी प्लानिंग क्षेत्र में मिलाए जाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि इस बारे में कैबिनेट की ओर से ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. बड़ोग क्षेत्र नजदीक होने के कारण कुमारहट्टी को साडा यानी स्पेशल एरिया डवलपमेंट अथॉरिटी बड़ोग में विलय करने की संभावना भी तलाशी जा रही है.

फिलहाल, हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी संबंधित अफसरों को 17 अक्टूबर को अदालत तलब किया है. उल्लेखनीय है कि पहाडिय़ों पर बेतरतीब व अवैध निर्माणों के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाबी शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पहाड़ों पर अवैध निर्माणों के मुद्दे को अतिमहत्वपूर्ण और गंभीर बताया. अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने जवाबी शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करे कि प्रदेश की कौन सी अथॉरिटी ने सोलन जिला के गांव खील झालसी से कोरों गांव को मिलाकर कैंथरी गांव तक के 6 किलोमीटर की सडक़ के दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतों को बनाने की अनुमति प्रदान की है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया था कि ऐसे बेतरतीब और अंधाधुंध निर्माणों को रोकने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है. कोर्ट का मानना था कि पर्यावरण दृष्टि से संवेदनशील इलाके में यह इमारतें पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्रतीत होती हैं. प्रार्थी कुसुम बाली ने याचिका में यह भी बताया है कि यह निर्माण गैरकानूनी है. इनसे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं. कोर्ट ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहाड़ों को काटकर इन अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माणों को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत करवाने के आदेश भी मुख्य सचिव को दिए थे. कोर्ट ने याचिका को विस्तार देते हुए इसे पूरे राज्य में पहाड़ों पर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से ऐसे कार्यों से जुड़े सभी आला अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष तलब किया है.

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