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JAPAN के JICA PROJECT से होगा सपना साकार, किसानों की आय होगी दोगुनी

कृषि कानून(agricultural law) वापस लेने के बाद किसानों के मसले फिर से चर्चा के केंद्र में हैं. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल(Himachal) की 90 फीसदी करीब आबादी कृषि कार्यों से जुड़ी है.बागवानों की आय को दोगुना करने के लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं. जापान सरकार(japan government) के सहयोग से जाइका प्रोजेक्ट चल रहा है.मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) के अनुसार भारत और जापान दोनों ने खाद्यान्न के थोक उत्पादन के बजाय सतत उत्पादन की प्रणाली विकसित की है.

JICA project
जाइका प्रोजेक्ट
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Published : Nov 20, 2021, 6:37 PM IST

शिमला: देश में इस समय कृषि कानून(agricultural law) वापस लेने के बाद किसानों के मसले फिर से चर्चा के केंद्र में हैं. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल(Himachal) की 90 फीसदी करीब आबादी कृषि कार्यों से जुड़ी है. हिमाचल में किसानों और बागवानों की आय को दोगुना करने के लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं. इनमें प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना(Natural Farming Khushal Kisan Yojana), एचपी शिवा परियोजना(HP Shiva Project), पुष्प उत्पादक किसानों के लिए पुष्प क्रांति योजना (flower revolution scheme)जैसी कई योजनाएं चल रही हैं. इसी कड़ी में जापान सरकार(japan government) के सहयोग से जाइका प्रोजेक्ट चल रहा है. हाल ही में इस परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत हुई.

इस चरण में राज्य के लिए 1010.60 करोड़ रुपये की कृषि परियोजना लागू की जाएगी. जाइका परियोजना के इस चरण में फसल विविधीकरण पर जोर रहेगा. इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. हिमाचल में वर्ष 2007 से यह परियोजना चल रही है. इसका पहला चरण वर्ष 2011 से प्रायोगिक आधार पर हिमाचल के पांच जिलों मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में चल रहा है. उल्लेखनीय है कि इस परियोजना का फोकस फसल विविधीकरण पर है. हिमाचल में इस परियोजना के तहत आने वाले एक दशक में सब्जी उत्पादन क्षेत्र को 2500 हेक्टेयर से बढ़ाकर 7000 हेक्टेयर किया जाना प्रस्तावित है. राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए केंद्र सरकार, बाहरी वित्त पोषण एजेंसियां जैसे जाइका , विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक आदि सभी संभावित स्रोतों से संसाधन जुटा रही है. राज्य सरकार जायका को वित्तीय सहायता का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत मानती है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) के अनुसार भारत और जापान दोनों ने खाद्यान्न के थोक उत्पादन के बजाय सतत उत्पादन की प्रणाली विकसित की है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी सतत विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है. हिमाचल में किसानों के लिए एक अन्य परियोजना पर भी कार्य किया जा रहा है. सरकार का मिशन 2022 तक हिमाचल के किसानों की आय दोगुनी करने का है. इसके लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना का भी सहारा लिया जा रहा है.

प्रदेश में इस समय सवा लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके .राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश के सभी 9.61 लाख किसानों को नेचुरल फार्मिंग(natural farming) से जोड़ने का है. नेचुरल फार्मिंग के कई लाभ हैं. जहर मुक्त खेती का अभियान पूरे देश में चल रहा और हिमाचल इसमें देश का रोल मॉडल बन सकता है. कृषि के ऋषि कहे जाने वाले डॉ. सुभाष पालेकर(Dr. Subhash Palekar) के मॉडल को हिमाचल अपना रहा है. डॉ. पालेकर फरवरी 2018 में हिमाचल आए और यहां एक सेमिनार हुआ. उसके बाद से हिमाचल में प्राकृतिक खेती का चलन तेज हो गया. किसानों को प्रशिक्षण दिया जाने लगा. खुद सीएम जयराम ठाकुर की भी इस प्रोजेक्ट में रुचि है.

हिमाचल प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य जहां, 89.96 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. अकेले कृषि से हिमाचल के कुल कामगारों में से 62 प्रतिशत को रोजगार मिलता है. प्रदेश की जीडीपी(GDP) का 10 प्रतिशत हिस्सा कृषि और उससे जुड़े कार्यों से मिलता है. किसानों बागवानों को अच्छी उपज के लिए सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिए हिमाचल में तीन योजनाएं अलग से चल रही. इनमें जल से कृषि को बल, बहाव सिंचाई योजना और सौर सिंचाई योजना शामिल है. इन योजनाओं पर 600 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे .इसके अलावा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना(Prime Minister's Agriculture Irrigation Scheme) के तहत 338 करोड़ रुपए की 111 लघु सिंचाई योजनाएं भी चल रही हैं. जाइका परियोजना में भी सिंचाई क्षेत्र पर बल दिया जाता .इस परियोजना में भू-क्षरण रोकने के लिए पौधे भी लगाए जाते हैं.

कुछ समय पूर्व रियलाइजेशन ऑफ मिशन नेचुरल फार्मिंग अमंग स्मॉल होल्डर्ज विषय पर आयोजित नेशनल सेमिनार में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में इस खेती से किसानों की आय अगले साल तक दोगुनी करने का प्रयास है. सीएम जयराम ठाकुर के अनुसार हिमाचल में सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की नीति आयोग ने भी सराहना की है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए पहले बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया था. हिमाचल में 1.28 लाख किसान पहले से ही प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण ले चुके. हिमाचल इस दिशा में देश के लिए एक उदाहरण बना है. उन्होंने कहा कि सेब राज्य हिमाचल में अब अधिक से अधिक सेब उत्पादक प्राकृतिक खेती को अपना रहे. नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार (NITI Aayog Vice Chairman Dr. Rajiv Kumar)ने हिमाचल सरकार के प्रयासों को सराहा है.

ये भी पढ़ें :उपचुनावों में हार के बाद हिमाचल बीजेपी का कमबैक प्लान, कर्ज लेकर कर्मचारियों को देगी 'खुशियों' की सौगात

शिमला: देश में इस समय कृषि कानून(agricultural law) वापस लेने के बाद किसानों के मसले फिर से चर्चा के केंद्र में हैं. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल(Himachal) की 90 फीसदी करीब आबादी कृषि कार्यों से जुड़ी है. हिमाचल में किसानों और बागवानों की आय को दोगुना करने के लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं. इनमें प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना(Natural Farming Khushal Kisan Yojana), एचपी शिवा परियोजना(HP Shiva Project), पुष्प उत्पादक किसानों के लिए पुष्प क्रांति योजना (flower revolution scheme)जैसी कई योजनाएं चल रही हैं. इसी कड़ी में जापान सरकार(japan government) के सहयोग से जाइका प्रोजेक्ट चल रहा है. हाल ही में इस परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत हुई.

इस चरण में राज्य के लिए 1010.60 करोड़ रुपये की कृषि परियोजना लागू की जाएगी. जाइका परियोजना के इस चरण में फसल विविधीकरण पर जोर रहेगा. इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. हिमाचल में वर्ष 2007 से यह परियोजना चल रही है. इसका पहला चरण वर्ष 2011 से प्रायोगिक आधार पर हिमाचल के पांच जिलों मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में चल रहा है. उल्लेखनीय है कि इस परियोजना का फोकस फसल विविधीकरण पर है. हिमाचल में इस परियोजना के तहत आने वाले एक दशक में सब्जी उत्पादन क्षेत्र को 2500 हेक्टेयर से बढ़ाकर 7000 हेक्टेयर किया जाना प्रस्तावित है. राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए केंद्र सरकार, बाहरी वित्त पोषण एजेंसियां जैसे जाइका , विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक आदि सभी संभावित स्रोतों से संसाधन जुटा रही है. राज्य सरकार जायका को वित्तीय सहायता का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत मानती है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) के अनुसार भारत और जापान दोनों ने खाद्यान्न के थोक उत्पादन के बजाय सतत उत्पादन की प्रणाली विकसित की है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी सतत विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है. हिमाचल में किसानों के लिए एक अन्य परियोजना पर भी कार्य किया जा रहा है. सरकार का मिशन 2022 तक हिमाचल के किसानों की आय दोगुनी करने का है. इसके लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना का भी सहारा लिया जा रहा है.

प्रदेश में इस समय सवा लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती से जुड़ चुके .राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश के सभी 9.61 लाख किसानों को नेचुरल फार्मिंग(natural farming) से जोड़ने का है. नेचुरल फार्मिंग के कई लाभ हैं. जहर मुक्त खेती का अभियान पूरे देश में चल रहा और हिमाचल इसमें देश का रोल मॉडल बन सकता है. कृषि के ऋषि कहे जाने वाले डॉ. सुभाष पालेकर(Dr. Subhash Palekar) के मॉडल को हिमाचल अपना रहा है. डॉ. पालेकर फरवरी 2018 में हिमाचल आए और यहां एक सेमिनार हुआ. उसके बाद से हिमाचल में प्राकृतिक खेती का चलन तेज हो गया. किसानों को प्रशिक्षण दिया जाने लगा. खुद सीएम जयराम ठाकुर की भी इस प्रोजेक्ट में रुचि है.

हिमाचल प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य जहां, 89.96 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. अकेले कृषि से हिमाचल के कुल कामगारों में से 62 प्रतिशत को रोजगार मिलता है. प्रदेश की जीडीपी(GDP) का 10 प्रतिशत हिस्सा कृषि और उससे जुड़े कार्यों से मिलता है. किसानों बागवानों को अच्छी उपज के लिए सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिए हिमाचल में तीन योजनाएं अलग से चल रही. इनमें जल से कृषि को बल, बहाव सिंचाई योजना और सौर सिंचाई योजना शामिल है. इन योजनाओं पर 600 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे .इसके अलावा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना(Prime Minister's Agriculture Irrigation Scheme) के तहत 338 करोड़ रुपए की 111 लघु सिंचाई योजनाएं भी चल रही हैं. जाइका परियोजना में भी सिंचाई क्षेत्र पर बल दिया जाता .इस परियोजना में भू-क्षरण रोकने के लिए पौधे भी लगाए जाते हैं.

कुछ समय पूर्व रियलाइजेशन ऑफ मिशन नेचुरल फार्मिंग अमंग स्मॉल होल्डर्ज विषय पर आयोजित नेशनल सेमिनार में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में इस खेती से किसानों की आय अगले साल तक दोगुनी करने का प्रयास है. सीएम जयराम ठाकुर के अनुसार हिमाचल में सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों की नीति आयोग ने भी सराहना की है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए पहले बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया था. हिमाचल में 1.28 लाख किसान पहले से ही प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण ले चुके. हिमाचल इस दिशा में देश के लिए एक उदाहरण बना है. उन्होंने कहा कि सेब राज्य हिमाचल में अब अधिक से अधिक सेब उत्पादक प्राकृतिक खेती को अपना रहे. नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार (NITI Aayog Vice Chairman Dr. Rajiv Kumar)ने हिमाचल सरकार के प्रयासों को सराहा है.

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