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हिमाचल कांग्रेस का पावर सेंटर फिर से Holly Lodge शिफ्ट, पार्टी में अब 'रानी' युग - hp congress news

हिमाचल कांग्रेस में संगठन व सत्ता का पावर सेंटर होली लॉज ही रहा. अब प्रतिभा सिंह के (Holly Lodge shimla) प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करने का वैन्यू भी होली लॉज ही चुना है. ये एक तरह का संकेत है कि होली लॉज से ही संगठन की गतिविधियों की रूपरेखा तय होगी. ये सांकेतिक कदम बड़ा अहम है. इसके कई मनोवैज्ञानिक पक्ष हैं.

Holly Lodge shimla
हिमाचल कांग्रेस में संगठन व सत्ता का पावर सेंटर होली लॉज
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Published : Apr 26, 2022, 10:40 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस ने चौंकाने वाला (Himachal Congress New Committee Formed) फैसला लिया है. छह बार के सीएम रहे स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी की सांसद प्रतिभा वीरभद्र सिंह को हिमाचल कांग्रेस का नया मुखिया बनाया गया है. इस तरह से प्रदेश कांग्रेस का पावर सेंटर एक बार फिर से होली लॉज (वीरभद्र सिंह के निजी आवास) में शिफ्ट हो गया है. इस फैसले का हिमाचल की राजनीति पर क्या प्रभाव होगा, उससे पहले एक दिलचस्प तथ्य यहां दर्ज करना जरूरी है.

वीरभद्र सिंह ने जब-जब भी हिमाचल में सरकार की बागडोर संभाली, वे मुख्यमंत्री के लिए तय सरकारी आवास ओक ओवर में बहुत कम रहते थे. वे शिमला में स्थित अपने निजी आवास होली लॉज से ही सरकार व संगठन को चलाते थे. हिमाचल कांग्रेस का मुखिया कोई भी हो, लेकिन हिमाचल कांग्रेस में संगठन व सत्ता का पावर सेंटर होली लॉज ही रहा. अब प्रतिभा सिंह के प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करने का वैन्यू भी होली लॉज ही चुना है. ये एक तरह का संकेत है कि होली लॉज से ही संगठन की गतिविधियों की रूपरेखा तय होगी. ये सांकेतिक कदम बड़ा अहम है. इसके कई मनोवैज्ञानिक पक्ष हैं.

हिमाचल कांग्रेस दशकों तक वीरभद्र सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रही है. होली लॉज से (Holly Lodge shimla) जनता का भावुक जुड़ाव है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह फैक्टर को भुनाना चाहती है. वीरभद्र सिंह बेशक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कोई भी पार्टी का नेता वीरभद्र सिंह के नाम की अनदेखी नहीं कर सकता. पार्टी हाईकमान ने भी ये माना है कि वीरभद्र सिंह का नाम हिमाचल में कांग्रेस को सहानुभूति जरूर दिलाएगा. बड़ी बात ये है कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी मानते हैं कि वीरभद्र सिंह के नाम में अभी भी असर है. खासकर ग्रामीण इलाकों के बुजुर्गों और महिलाओं में वीरभद्र सिंह का बहुत सम्मान है. प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह को भी प्रदेश की जनता वीरभद्र सिंह के रूप में देखती है.

फिलहाल कांग्रेस ने तो अपनी रणनीति साफ कर दी है कि चुनाव में वीरभद्र सिंह का (Himachal assembly election 2022) नाम चलेगा और होली लॉज कांग्रेस की गतिविधियों का फिर से केंद्र बिंदु बनेगा. प्रतिभा सिंह के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर उनके बेटे ने भी सोशल मीडिया पर संकल्प दोहराया है कि हिमाचल में पार्टी को फिर से सत्ता में लाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करेंगे. अब नए समीकरणों के बाद हिमाचल में कांग्रेस के नेता फिर से होली लॉज की परिक्रमा करेंगे. लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव जीतने की स्थिति में पार्टी का सत्ता का समीकरण कैसे मोड़ लेगा. प्रतिभा सिंह के पास संगठन के कामकाज का खास अनुभव नहीं है. अलबत्ता वीरभद्र सिंह के साथ रहते हुए वे राजनीति का चेहरा जरूर अच्छे से सीख चुकी हैं. जनता के साथ कनेक्ट करने की क्षमता भी उनमें है.

शिमला, कुल्लू, मंडी, सोलन, सिरमौर आदि जिलों में वीरभद्र सिंह परिवार का खासा रसूख रहा है. यही कारण है कि कांग्रेस हाईकमान ने सुखविंद्र सिंह सुक्खू को भी समान महत्व दिया है ताकि वे निचले हिमाचल को साध सकें. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश जनारथा का कहना है कि प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने से कांग्रेस को काफी ज्यादा फायदा होगा. उपचुनाव में जिस तरह से जीत दर्ज की गई थी उसी तर्ज पर विधानसभा में भी कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और प्रदेश भर में विकास करवाया है और लोग आज भी इस परिवार का मान सम्मान करते हैं. प्रतिभा सिंह को कांग्रेस की कमान देने से प्रदेश में कांग्रेस मजबूत होगी.

ये भी पढ़ें: प्रतिभा सिंह बनीं हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष, सुक्खू होंगे कैम्पेन कमेटी के चेयरमैन
ये भी पढ़ें: 1998 में सक्रिय राजनीति में आई थीं प्रतिभा सिंह, ऐसा रहा अब तक का सफर

शिमला: हिमाचल प्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस ने चौंकाने वाला (Himachal Congress New Committee Formed) फैसला लिया है. छह बार के सीएम रहे स्व. वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी की सांसद प्रतिभा वीरभद्र सिंह को हिमाचल कांग्रेस का नया मुखिया बनाया गया है. इस तरह से प्रदेश कांग्रेस का पावर सेंटर एक बार फिर से होली लॉज (वीरभद्र सिंह के निजी आवास) में शिफ्ट हो गया है. इस फैसले का हिमाचल की राजनीति पर क्या प्रभाव होगा, उससे पहले एक दिलचस्प तथ्य यहां दर्ज करना जरूरी है.

वीरभद्र सिंह ने जब-जब भी हिमाचल में सरकार की बागडोर संभाली, वे मुख्यमंत्री के लिए तय सरकारी आवास ओक ओवर में बहुत कम रहते थे. वे शिमला में स्थित अपने निजी आवास होली लॉज से ही सरकार व संगठन को चलाते थे. हिमाचल कांग्रेस का मुखिया कोई भी हो, लेकिन हिमाचल कांग्रेस में संगठन व सत्ता का पावर सेंटर होली लॉज ही रहा. अब प्रतिभा सिंह के प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने मीडिया से बात करने का वैन्यू भी होली लॉज ही चुना है. ये एक तरह का संकेत है कि होली लॉज से ही संगठन की गतिविधियों की रूपरेखा तय होगी. ये सांकेतिक कदम बड़ा अहम है. इसके कई मनोवैज्ञानिक पक्ष हैं.

हिमाचल कांग्रेस दशकों तक वीरभद्र सिंह के इर्द-गिर्द घूमती रही है. होली लॉज से (Holly Lodge shimla) जनता का भावुक जुड़ाव है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह फैक्टर को भुनाना चाहती है. वीरभद्र सिंह बेशक इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कोई भी पार्टी का नेता वीरभद्र सिंह के नाम की अनदेखी नहीं कर सकता. पार्टी हाईकमान ने भी ये माना है कि वीरभद्र सिंह का नाम हिमाचल में कांग्रेस को सहानुभूति जरूर दिलाएगा. बड़ी बात ये है कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी मानते हैं कि वीरभद्र सिंह के नाम में अभी भी असर है. खासकर ग्रामीण इलाकों के बुजुर्गों और महिलाओं में वीरभद्र सिंह का बहुत सम्मान है. प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह को भी प्रदेश की जनता वीरभद्र सिंह के रूप में देखती है.

फिलहाल कांग्रेस ने तो अपनी रणनीति साफ कर दी है कि चुनाव में वीरभद्र सिंह का (Himachal assembly election 2022) नाम चलेगा और होली लॉज कांग्रेस की गतिविधियों का फिर से केंद्र बिंदु बनेगा. प्रतिभा सिंह के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर उनके बेटे ने भी सोशल मीडिया पर संकल्प दोहराया है कि हिमाचल में पार्टी को फिर से सत्ता में लाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करेंगे. अब नए समीकरणों के बाद हिमाचल में कांग्रेस के नेता फिर से होली लॉज की परिक्रमा करेंगे. लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव जीतने की स्थिति में पार्टी का सत्ता का समीकरण कैसे मोड़ लेगा. प्रतिभा सिंह के पास संगठन के कामकाज का खास अनुभव नहीं है. अलबत्ता वीरभद्र सिंह के साथ रहते हुए वे राजनीति का चेहरा जरूर अच्छे से सीख चुकी हैं. जनता के साथ कनेक्ट करने की क्षमता भी उनमें है.

शिमला, कुल्लू, मंडी, सोलन, सिरमौर आदि जिलों में वीरभद्र सिंह परिवार का खासा रसूख रहा है. यही कारण है कि कांग्रेस हाईकमान ने सुखविंद्र सिंह सुक्खू को भी समान महत्व दिया है ताकि वे निचले हिमाचल को साध सकें. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश जनारथा का कहना है कि प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने से कांग्रेस को काफी ज्यादा फायदा होगा. उपचुनाव में जिस तरह से जीत दर्ज की गई थी उसी तर्ज पर विधानसभा में भी कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और प्रदेश भर में विकास करवाया है और लोग आज भी इस परिवार का मान सम्मान करते हैं. प्रतिभा सिंह को कांग्रेस की कमान देने से प्रदेश में कांग्रेस मजबूत होगी.

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