शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. मीटिंग में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि प्राकृतिक उत्पादों का उचित विपणन और प्रमाणन सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावकारी प्रणाली विकसित की जाएगी ताकि किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर मूल्य मिल सके. प्राकृतिक उत्पादों की उचित मांग और विपणन के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए.
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि इससे प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ेगी और किसान प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित होंगे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए कृतसंकल्प हैं और प्राकृतिक खेती से इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.
प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य सरकार ने किया करोड़ों का बजट प्रावधान
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी ने कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने अपने पहले ही बजट में 25 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से राज्य के युवाओं के लिए कृषि एक लाभप्रद व्यवसाय बना है जो इससे पूर्व बेहतर रोजगार अवसर और आजीविका के लिए प्रदेश से बाहर जा रहे थे. पहले उत्पादन में कमी होने के डर से प्रदेश के किसान प्राकृतिक खेती को अपनाने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन अब राज्य के किसान प्राकृतिक खेती अपनाने में गहरी रूची दिखा रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संभालने में कृषि क्षेत्र ने अहम भूमिका निभाई है.
एफएओ-आईएनआरएई पर एनेबलिंग सस्टेनेबल फूड सिस्टम किताब का विमोचन
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी ने इस अवसर पर एफएओ-आईएनआरएई पर एनेबलिंग सस्टेनेबल फूड सिस्टम नामक किताब का विमोचन किया. कृषि, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि प्राकृतिक खेती द्वारा जहां एक ओर किसानों के लिए बेहतर कीमत सुनिश्चित हुई है, वहीं यह स्वास्थ्य और वातावरण के लिए बहुत अच्छी साबित हुई है. मुख्य सचिव अनिल खाची ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार किसानों की समस्याओं को समझा जब उन्होंने उनकी आय वर्ष 2022 तक दोगुना करने की परिकल्पना की. यह तभी संभव होता यदि किसान रसायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग करते या उत्पादों के बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाएं.
प्राकृतिक खेती में किसानों की आर्थिकी में बदलाव लाने की क्षमता
अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि निशा सिंह ने मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती में किसानों की आर्थिकी में बदलाव लाने की क्षमता है, क्योंकि इससे उन्हें अच्छा मूल्य प्राप्त होता है. एफ.ए.ओ. के भारत में प्रतिनिधि टोमियो सचिचरी ने कहा कि यह पुस्तिका स्थानीय फसलों के संरक्षण पर बल देती है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश और जापान कई तरह से एक जैसे हैं, क्योंकि दोनों में ही विविध संस्कृति और प्रकृति है. फ्रांस के कृषि, खाद्य और पर्यावरण के राष्ट्रीय शोध संस्थान, अंतःविषय प्रयोगशाला विज्ञान, नवाचार एवं समाज के उप निदेशक डॉ. आलिशन लोकोंटो ने फ्रांस से बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल पयार्वरण के लिए बेहतर है, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
'सस्टेनेबल फूड सिस्टमस मेकेनिज्म' पर प्रस्तुति
आईएफओएएम-ऑर्गेनिक्स अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय जर्मनी गाबोर फिगेस्की के वरिष्ठ प्रबन्धक (ग्लोबल पॉलिसी) ने भी जर्मनी से ऑनलाइन माध्यम से 'सस्टेनेबल फूड सिस्टमस' विषय पर विशेषज्ञ टिप्पणियां दीं. ग्राम दिशा ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी और प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के पूर्व सलाहकार आशीष गुप्ता ने इस अवसर पर 'सस्टेनेबल फूड सिस्टमस मेकेनिज्म' पर प्रस्तुति दी. एक्सेस लाइवलिहुड कन्सल्टिंग इंडिया लिमिटेड हैदराबाद के कार्यकारी निदेशक जीवी कृष्णा गोपाल ने इस अवसर पर प्रस्तुति दी। परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा.
ये भी पढ़ें: हिमाचल को पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार, CM जयराम ने दी बधाई