शिमला: कोरोना संक्रमण के कारण उपजे चिकित्सा संकट से निपटने के लिए सरकार को जरूरी आदेश दिए जाने को लेकर दायर याचिका में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जरूरी निर्देश जारी किए हैं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चन्दरभूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने नाहन निवासी आशुतोष गुप्ता की याचिका की सुनवाई के पश्चात सरकार को आदेश दिया कि वह प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए लैबरेटरी, क्लिनिक व अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के आदेश दिए हैं, ताकि बड़ी जनसंख्या में कोरोना टेस्ट करवाया जा सके.
बड़े शहरों में टेस्टिंग को बढ़ाने के निर्देश
कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि रोजाना आधार पर टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए रैपिड एंटीजन किट एवं आरटी पीसीआर टेस्ट के अलावा दूसरे टेस्ट भी करने पर विचार करें. बड़े शहरों में टेस्टिंग को बढ़ाने के लिए कहा गया है. टेस्टिंग फैसिलिटी को बढ़ाने के लिए सभी उपकरणों से लैस मोबाइल वैन को भी शामिल करने पर विचार किया जाये. कोर्ट ने भविष्य में महामारी के अधिक बढ़ने की संभावना जताते हुए प्रदेश सरकार को और अधिक डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पताल भी बढ़ाने को कहा है.
कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि केंद्र सरकार की सहायता से अस्थायी अस्पताल बनाने पर भी विचार करें. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी अस्पतालों में यह सुनिश्चित करें कि कोविड-19 के मद्देनजर अस्पतालों में वेंटिलेटर ऑक्सीजन एवं अन्य सुविधाएं सुचारू रूप से दी जाए. कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अस्पतालों एवं कोविड-19 केयर सेंटर में सभी डॉक्टर्स, नर्सों, वार्ड बॉय एवं अन्य स्टाफ को पीपीई किटस, मास्क एवं सैनिटाइजर उचित मात्रा में मुहैया कराया जाए. कोर्ट ने कहा कि सरकार मीडिया के माध्यम से कोविड अस्पताल एवं टेस्टिंग सेंटर के बारे में लोगों को बताये.
प्रार्थी का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में बहुत-से सी मौतें हुई है जिसका कारण ऑक्सीजन की भारी किल्लत होना है. प्रदेश में लाइफ सेविंग ड्रग्स विशेषतया रेमडेसीविर, टॉइलीजुमाव व फवीपीरावीर की भारी किल्लत है जो कोरोना मरीजों के लिए जीवनोपयोगी है. प्रदेश में केवल 5 मुख्य शहरों के अस्पतालों को डेडीकेटेड कोविड-19 होस्पिटल बनाया गया है जैसे कि शिमला धर्मशाला, मंडी, नाहन और चंबा परंतु अन्य जिलों के मुख्यालय में ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई है जिस कारण मरीजों को इन पांच अस्पतालों में ही आना पड़ रहा है. यहां प्रदेश में कोई ऐसा सिस्टम ही नहीं है जिससे यह पता चल सके कि प्रदेश के सरकारी व निजी अस्पतालों में कितने नॉर्मल बेड हैं, कितने आईसीयू हैं और कितने वेंटीलेटर्स उपलब्ध हैं.
इनकार करने वाले प्राइवेट अस्पतालों पर केस
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि जो प्राइवेट अस्पताल कोविड टेस्ट एवं अन्य सुविधाएं देने में अपनी असमर्थता जताते हैं, उनके खिलाफ डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट एवं एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट के तहत तुरंत कार्रवाई की जाए. इसके अलावा अदालत ने सरकार से कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए कदम उठाने बारे सूचना भी देने को कहा है. जिसमें मुख्य रुप से अस्पतालों में उचित बेड एवं ऑक्सीजन सुविधा शामिल है.
वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह 18 से 44 उम्र के व्यक्तियों को कब से टीकाकरण शुरू करेंगे इस बाबत भी स्पष्ट करें. कोर्ट ने केंद्र सरकार को आवश्यक निर्देश दिए हैं जिसमें राज्य सरकार को उपयुक्त आवश्यक दवाएं जिनमें जीवन रक्षक दवाएं प्रदान करने को कहा है. सरकार को मामले पर अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट को उपरोक्त आदेशों बाबत उठाए गए कदमों से भी अवगत करवाने को भी कहा गया है. मामले पर अगली सुनवाई 10 मई को तय की गई है.
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