शिमला: शिक्षक सम्मान में भेदभाव और राजनीति (Discrimination in Teacher Honor in Himachal) को लेकर गुपचुप चर्चाएं चलती रहती हैं. इस बार शिक्षक सम्मान में गड़बड़ी के आरोप को लेकर मामला हिमाचल हाईकोर्ट पहुंच गया है. अदालत ने इस संदर्भ में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सोलन जिले के डुमैहर स्कूल (Dumaihar Schools in Solan District) के एक अध्यापक की याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया है.
शिक्षक सम्मान में गड़बड़ी के आरोप: सोलन जिले के डुमैहर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तैनात पीटीआई राजकुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अपनी याचिका में पीटीआई राजकुमार ने आरोप लगाया है कि उससे कम मेरिट वाले शिक्षकों का चयन किया गया है. इस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ (High Court on discrimination in honor of teachers) ने स्टेट टीचर अवार्ड के लिए चयनित तीन शिक्षकों को भी नोटिस जारी कर अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखने के आदेश दिए. प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर उससे कम मेरिट के अध्यापकों को स्टेट टीचर अवार्ड के लिए चयनित किया.
2011 की जनगणना में बेहतर कार्य को लेकर प्रार्थी शिक्षक कांस्य पदक से सम्मानित: याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी शिक्षक का चयन वर्ष 2007 में पीटीए शिक्षक के रूप में हुआ था. प्रार्थी ने बास्केट बॉल, हैंड बॉल, खो-खो और कबड्डी इत्यादि खेलों के कोच के रूप में बच्चों को प्रशिक्षण दिया. प्रार्थी से प्रशिक्षण पाने वाले 8 छात्र खेल कोटे के तहत सरकारी नौकरी पाने में भी सफल रहे. खेल जगत में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए के लिए प्रार्थी को मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों सहित शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी पुरस्कृत किया. वर्ष 2011 की जनगणना में उसकी कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने कांस्य पदक से भी सम्मानित किया है.
स्टेट टीचर अवार्ड के लिए प्रार्थी ने किया था आवेदन: प्रार्थी के अनुसार वह अबू धाबी दुबई में आयोजित स्पेशल चिल्ड्रन ओलंपिक (Special Childrens Olympics in Dubai) में भारतीय बास्केट बॉल टीम के कोच के रूप में सक्रिय रहे. यही नहीं, उसकी अगुवाई में भारत की टीम ने ब्रॉन्ज मेडल जीता. फिर जुलाई 2022 को बास्केट बॉल खेल के लिए उसे रिसोर्स पर्सन नियुक्त किया गया और उसने पूरे हिमाचल के डीपीई को प्रशिक्षण दिया है. सरकार ने वर्ष 2018 में स्कूल अध्यापकों के लिए स्टेट टीचर अवार्ड नीति (Teacher Award Policy in Himachal) बनाई. अपनी उपलब्धियों के साथ प्रार्थी ने इस नीति के तहत अवार्ड के लिए आवेदन किया.
क्या है प्रार्थी शिक्षक का आरोप: प्रार्थी का कहना है कि 12 अगस्त 2022 को उच्च शिक्षा निदेशक ने उसका आवेदन बिना किसी कारण बताए खारिज करते हुए वापस भेज दिया. सरकार का यह रवैया भेदभावपूर्ण रहा क्योंकि उसका आवेदन स्टेट लेवल कमेटी को भेजने से पहले ही बिना कारण बताए वापस भेज दिया. याचिका में बताया गया कि 2 सितम्बर को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अवार्ड के लिए प्रार्थी के समकक्ष 3 ऐसे शिक्षकों के नाम की घोषणा की जो उससे मेरिट में कम हैं.
'बिना मापदंड के अपने चहेतों के नामों की घोषणा': प्रार्थी के अनुसार यह अधिसूचना मेरिट के लिए बिना मापदंड तय किए ही जारी कर दी गई और अपने चहेतों के नामों की घोषणा स्टेट टीचर अवार्ड के लिए कर दी. प्रार्थी ने अवार्ड के लिए चयनित अध्यापक गजेंद्र सिंह ठाकुर, हरीश कुमार ठाकुर और सुरिंदर सिंह का चयन रद्द करने की गुहार लगाते हुए अपने आवेदन पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व तीन अध्यापकों को नोटिस जारी किया है.
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