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पीटीए शिक्षकों को नियमित करने वाली याचिका पर हाईकोर्ट कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - पीटीए अध्यापकों को नियमित करना

प्रदेश हाईकोर्ट ने पीटीए शिक्षकों को नियमित करने संबंधित राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल ने बीते दिनों पीटीए शिक्षकों को नियमित करने की मंजूरी दी थी.

high court shimla
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Published : Aug 14, 2020, 8:52 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने पीटीए शिक्षकों को नियमित करने संबंधित राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल ने बीते दिनों पीटीए शिक्षकों को नियमित करने की मंजूरी दी थी.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीटीए अध्यापकों का नियमितीकरण अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. याचिका में दलील दी गई है कि राज्य सरकार ने पीटीए अध्यापकों को नियमित करने का फैसला सरासर गलत है.

याचिकाकर्ता के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में पीटीए अध्यापकों को नियमित करने के बारे में कोई जिक्र नहीं है. पीटीए अध्यापकों को नियमित करना भर्ती व पदोन्नति नियमों का सरासर उल्लंघन है. मामले में पीटीए शिक्षक संघ और कुछ पीटीए शिक्षकों को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

गौरतलब कि कुछ समय पहले ‌ही सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी शिक्षकों की सेवाओं को जारी रखने बाबत फैसला ‌सुनाया था. जिसे आधार मानकर राज्य मंत्रिमंडल ने इन शिक्षकों को नियमित करने का फैसला ले लिया. मामले पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई होगी.

पढ़ें: कुल्लू अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव आई महिला, गायनी वॉर्ड सील

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने पीटीए शिक्षकों को नियमित करने संबंधित राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल ने बीते दिनों पीटीए शिक्षकों को नियमित करने की मंजूरी दी थी.

मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीटीए अध्यापकों का नियमितीकरण अदालत के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा. याचिका में दलील दी गई है कि राज्य सरकार ने पीटीए अध्यापकों को नियमित करने का फैसला सरासर गलत है.

याचिकाकर्ता के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में पीटीए अध्यापकों को नियमित करने के बारे में कोई जिक्र नहीं है. पीटीए अध्यापकों को नियमित करना भर्ती व पदोन्नति नियमों का सरासर उल्लंघन है. मामले में पीटीए शिक्षक संघ और कुछ पीटीए शिक्षकों को भी प्रतिवादी बनाया गया है.

गौरतलब कि कुछ समय पहले ‌ही सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी शिक्षकों की सेवाओं को जारी रखने बाबत फैसला ‌सुनाया था. जिसे आधार मानकर राज्य मंत्रिमंडल ने इन शिक्षकों को नियमित करने का फैसला ले लिया. मामले पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई होगी.

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