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मिशन रिपीट के लिए जयराम को हाईकमान की 'जय श्रीराम', CM पर कायम है नड्डा का भरोसा

कृपाल परमार और पवन गुप्ता के इस्तीफे और भीतरघातियों को लेकर असमंजस में डूबी भाजपा चुनावी साल में प्रवेश कर रही है. मिशन रिपीट हिमाचल भाजपा का पुराना सपना है. धूमल युग में यह सपना पूरा होते-होते टूट गया था. अब जयराम ठाकुर के समय में हिमाचल प्रदेश भाजपा (Himachal Pradesh BJP) यह करिश्मा करना चाहती है. उपचुनाव हारने के बाद चर्चा चल निकली थी कि हिमाचल भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन (Change of Leadership in Himachal BJP) होगा, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐसी चर्चाओं को सोशल मीडिया के कारनामे बताते हुए उनपर ध्यान न देने की बात कही और इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जय श्रीराम कहा.

High command relied on CM Jairam Thakur for mission repeat in Himachal Pradesh
फोटो.
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Published : Nov 27, 2021, 7:25 PM IST

शिमला: सत्ता के फाइनल से पहले हिमाचल में चार उपचुनाव हारने के बाद भाजपा में खूब हलचल हुई. कृपाल परमार और पवन गुप्ता के इस्तीफे और भीतरघातियों को लेकर असमंजस में डूबी भाजपा चुनावी साल में प्रवेश कर रही है. मिशन रिपीट भाजपा (Mission Repeat BJP) का पुराना सपना है. धूमल युग में यह सपना पूरा होते-होते टूट गया था. अब जयराम ठाकुर के समय में हिमाचल प्रदेश भाजपा (Himachal Pradesh BJP) यह करिश्मा करना चाहती है.

उपचुनाव हारने के बाद चर्चा चल निकली थी कि हिमाचल भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन होगा, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐसी चर्चाओं को सोशल मीडिया के कारनामे बताते हुए उनपर ध्यान न देने की बात कही और इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जय श्रीराम कहा. यानी सीधा-सीधा संकेत यह कि फिल्हाल नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं. यह अलग बात है कि मुखिया कायम रहे और टीम में फेरबदल हो. संगठन पर भी यही बात लागू होती है. यूं तो हिमाचल प्रदेश एक छोटा राज्य (Himachal Pradesh a small state) है, लेकिन राजनीतिक तौर पर यह बहुत अहमियत रखता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) कभी इस राज्य के प्रभारी रहे हैं. समय का फेर कुछ ऐसा है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुखिया इसी छोटे प्रदेश से संबंध रखते हैं. जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP National President JP Nadda) हैं और लंबे समय से केंद्र की राजनीति में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी हैं. मोदी सरकार में भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं और हिमाचल की हमीरपुर सीट से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं.

ऐसे में हिमाचल बेशक चार सांसदों वाला छोटा राज्य है लेकिन देश की राजनीति में इस समय केंद्र बिंदु के तौर पर स्थान रखता है. जाहिर है उपचुनाव में हार का झटका प्रदेश से लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लगा है. हाईकमान का मानना है कि अभी चुनाव के लिए एक साल का समय है और इस दौरान हाथ से फिसलती बाजी को पलटा जा सकता है. ऐसे समय में हाईकमान को फिलहाल यह उचित लग रहा है कि जयराम ठाकुर के हाथ में ही कमान रखी जाए. वैसे जयराम ठाकुर को लेकर पूर्व में अमित शाह भी सॉफ्ट कॉर्नर दर्शा चुके हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जब भी दिल्ली जाते हैं तो प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के अन्य नेताओं से मिलते वक्त उनकी बॉडी लेंग्वेज आत्म विश्वास वाली ही देखी गई है.

हिमाचल में चार साल तक सत्ता संभालने का अनुभव हासिल कर चुके जयराम ठाकुर को प्रदेश में पार्टी के भीतर किसी खुली चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा है. गुटबाजी भी इस दौरान हवा में ही देखी गई. अलबत्ता संगठन मंत्री को लेकर जरूर भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश धवाला (Senior BJP leader Ramesh Dhawala) की नाराजगी ने पार्टी को जरूर असहज किया. फिलहाल गुटबाजी का कोई बड़ा मसला हिमाचल में भाजपा (BJP in Himachal) के सामने नहीं है. जयराम ठाकुर पर यह आक्षेप लगता रहा है कि वे अफसरशाही को काबू में नहीं रख पाते हैं.

विपक्ष का तो मुख्य आरोप ही यही है. यह सही है कि जयराम ठाकुर का स्वभाव विनम्र है और अफसरशाही ने बीच-बीच में अपना रंग भी दिखाया है. फिर कैबिनेट के ताकतवर चेहरे महेंद्र ठाकुर की ब्यूरोक्रेसी से टकराहट भी जगजाहिर है. इन मसलों पर मुख्यमंत्री सीधे-सीधे कोई भी बात करने से गुरेज करते रहे हैं. सत्ता के आरंभ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सामाजिक न्याय के कुछ बेहतर फैसले किए. वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा घटाना, गंभीर रोगियों के लिए सहारा योजना और 65 से 69 वर्ष की बुजुर्ग महिलाओं के लिए पेंशन लागू करना लोकप्रिय फैसलों में शामिल रहा है. कोविड काल में भाजपा के तत्कालीन मुखिया राजीव बिंदल का नाम एक विवाद में आने से पार्टी की छवि पर असर पड़ा था.

कुछ बातों को छोड़ दिया जाए तो हाईकमान का मुख्यमंत्री पर भरोसा (High command trust On Chief Minister) शुरू से लेकर अब तक बरकरार है. हां यह जरूर है कि चार उपचुनाव हारने के बाद पार्टी को तगड़ा सैटबैक लगा है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लगभग स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक मात्र लक्ष्य जयराम सरकार को मजबूत करना और 2022 में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनाना है. वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानू (Senior Journalist Krishna Bhanu) का कहना है कि राजनीति में कोई भी चीज स्थाई नहीं हैं. यहां किसी भी वक्त परिवर्तन घट जाते हैं, लेकिन जेपी नड्डा के बयान पर गौर करें तो फिलहाल जयराम ठाकुर की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि उनकी सरकार के कार्यकाल में कोविड के बावजूद विकास में कोई कमी नहीं आई. चुनाव में हार जीत होती रहती है. भाजपा इस हार से सबक सीखकर आने वाले विधानसभा चुनाव में फिर सत्ता में आएगी. वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप (BJP State President Suresh Kashyap) का कहना है कि सरकार के चार साल पूरा होने के बाद महाजनसंपर्क अभियान छेड़ा जाएगा और मजबूत कैडर के कारण पार्टी फिर सत्ता में आएगी.

ये भी पढ़ें- शिमला में JCC की मीटिंग में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की ये बड़ी घोषणाएं, एक क्लिक पर सारी जानकारी

शिमला: सत्ता के फाइनल से पहले हिमाचल में चार उपचुनाव हारने के बाद भाजपा में खूब हलचल हुई. कृपाल परमार और पवन गुप्ता के इस्तीफे और भीतरघातियों को लेकर असमंजस में डूबी भाजपा चुनावी साल में प्रवेश कर रही है. मिशन रिपीट भाजपा (Mission Repeat BJP) का पुराना सपना है. धूमल युग में यह सपना पूरा होते-होते टूट गया था. अब जयराम ठाकुर के समय में हिमाचल प्रदेश भाजपा (Himachal Pradesh BJP) यह करिश्मा करना चाहती है.

उपचुनाव हारने के बाद चर्चा चल निकली थी कि हिमाचल भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन होगा, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐसी चर्चाओं को सोशल मीडिया के कारनामे बताते हुए उनपर ध्यान न देने की बात कही और इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जय श्रीराम कहा. यानी सीधा-सीधा संकेत यह कि फिल्हाल नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं. यह अलग बात है कि मुखिया कायम रहे और टीम में फेरबदल हो. संगठन पर भी यही बात लागू होती है. यूं तो हिमाचल प्रदेश एक छोटा राज्य (Himachal Pradesh a small state) है, लेकिन राजनीतिक तौर पर यह बहुत अहमियत रखता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) कभी इस राज्य के प्रभारी रहे हैं. समय का फेर कुछ ऐसा है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुखिया इसी छोटे प्रदेश से संबंध रखते हैं. जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP National President JP Nadda) हैं और लंबे समय से केंद्र की राजनीति में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी हैं. मोदी सरकार में भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं और हिमाचल की हमीरपुर सीट से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं.

ऐसे में हिमाचल बेशक चार सांसदों वाला छोटा राज्य है लेकिन देश की राजनीति में इस समय केंद्र बिंदु के तौर पर स्थान रखता है. जाहिर है उपचुनाव में हार का झटका प्रदेश से लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लगा है. हाईकमान का मानना है कि अभी चुनाव के लिए एक साल का समय है और इस दौरान हाथ से फिसलती बाजी को पलटा जा सकता है. ऐसे समय में हाईकमान को फिलहाल यह उचित लग रहा है कि जयराम ठाकुर के हाथ में ही कमान रखी जाए. वैसे जयराम ठाकुर को लेकर पूर्व में अमित शाह भी सॉफ्ट कॉर्नर दर्शा चुके हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जब भी दिल्ली जाते हैं तो प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के अन्य नेताओं से मिलते वक्त उनकी बॉडी लेंग्वेज आत्म विश्वास वाली ही देखी गई है.

हिमाचल में चार साल तक सत्ता संभालने का अनुभव हासिल कर चुके जयराम ठाकुर को प्रदेश में पार्टी के भीतर किसी खुली चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा है. गुटबाजी भी इस दौरान हवा में ही देखी गई. अलबत्ता संगठन मंत्री को लेकर जरूर भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश धवाला (Senior BJP leader Ramesh Dhawala) की नाराजगी ने पार्टी को जरूर असहज किया. फिलहाल गुटबाजी का कोई बड़ा मसला हिमाचल में भाजपा (BJP in Himachal) के सामने नहीं है. जयराम ठाकुर पर यह आक्षेप लगता रहा है कि वे अफसरशाही को काबू में नहीं रख पाते हैं.

विपक्ष का तो मुख्य आरोप ही यही है. यह सही है कि जयराम ठाकुर का स्वभाव विनम्र है और अफसरशाही ने बीच-बीच में अपना रंग भी दिखाया है. फिर कैबिनेट के ताकतवर चेहरे महेंद्र ठाकुर की ब्यूरोक्रेसी से टकराहट भी जगजाहिर है. इन मसलों पर मुख्यमंत्री सीधे-सीधे कोई भी बात करने से गुरेज करते रहे हैं. सत्ता के आरंभ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सामाजिक न्याय के कुछ बेहतर फैसले किए. वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा घटाना, गंभीर रोगियों के लिए सहारा योजना और 65 से 69 वर्ष की बुजुर्ग महिलाओं के लिए पेंशन लागू करना लोकप्रिय फैसलों में शामिल रहा है. कोविड काल में भाजपा के तत्कालीन मुखिया राजीव बिंदल का नाम एक विवाद में आने से पार्टी की छवि पर असर पड़ा था.

कुछ बातों को छोड़ दिया जाए तो हाईकमान का मुख्यमंत्री पर भरोसा (High command trust On Chief Minister) शुरू से लेकर अब तक बरकरार है. हां यह जरूर है कि चार उपचुनाव हारने के बाद पार्टी को तगड़ा सैटबैक लगा है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लगभग स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक मात्र लक्ष्य जयराम सरकार को मजबूत करना और 2022 में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनाना है. वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण भानू (Senior Journalist Krishna Bhanu) का कहना है कि राजनीति में कोई भी चीज स्थाई नहीं हैं. यहां किसी भी वक्त परिवर्तन घट जाते हैं, लेकिन जेपी नड्डा के बयान पर गौर करें तो फिलहाल जयराम ठाकुर की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि उनकी सरकार के कार्यकाल में कोविड के बावजूद विकास में कोई कमी नहीं आई. चुनाव में हार जीत होती रहती है. भाजपा इस हार से सबक सीखकर आने वाले विधानसभा चुनाव में फिर सत्ता में आएगी. वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कश्यप (BJP State President Suresh Kashyap) का कहना है कि सरकार के चार साल पूरा होने के बाद महाजनसंपर्क अभियान छेड़ा जाएगा और मजबूत कैडर के कारण पार्टी फिर सत्ता में आएगी.

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